मेरठ। भैंसाली मैदान में चल रही श्रीराम कथा के दूसरे दिन बुधवार को परम पूजनीय अतुल कृष्ण भारद्वाज जी ने स्वर्ग-नरक की सुंदर व्याया करते हुए कहा कि मनुष्य जब अपनी वासना भौतिक सुख के लिए दुराचार, पाप, चार, व्यभिचार, भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाता हैं, तो उसे नारकीय जीवन यापन करना पड़ता है। जिस कारण वह परमात्मा तक नहीं पहुंच पाता है। वह बार-बार जीवन- मरण की लीला में भटकता रहता हैं। परम पूज्य अतुल कृष्ण जी ने बताया कि इस कलयुग में श्रीमद् भागवत एवं रामचरित मानस रूपी कथा ही प्राणी को इस भवसागर से पार कराकर आत्मा का मिलन परमात्मा से करा सकती है। उन्होंने कहा कि स्वर्ग की प्राप्ति संभव है, इस कलयुग में केवल राम नाम एवं सत्संग ही मोक्ष द्वार हैं। गृहस्थ जीवन कैसा होना चाहिए, पति-पत्नी के मध्य संबंध कैसा होना चाहिए, यह सब भगवान शिव से सीखने को मिलता है।
कौन सी बात पत्नी को बतानी चाहिए, कौन सी बात नहीं यह भगवान शिव बताते हैं। उन्होंने कहा कि पिता के घर मित्र, मित्र के घर स्वामी व गुरु के घर बिना बुलाए जाना चाहिए, परंतु जब कोई समारोह हो तो बिना बुलाए नहीं जाना चाहिए। ऐसी स्थिति में अपमानित होने के अलावा कुछ भी नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि पत्नी यदि किसी विषय पर हठ करे तो उसे कैसे समझाना चाहिए। यह भगवान शिव से सीखना चाहिए। यदि पत्नी न माने तो भगवान भरोसे छोड़ देना चाहिए। ग्रस्थ जीवन में तनाव खड़ा करने से कुछ लाभ नहीं होना हैं, बल्कि समस्या का समाधान खोजना चाहिए। आज के समय में परिवार में माता-पिता, पतिपत्नी, पुत्र-पुत्री, भाई-बहन ही बातें नहीं मानते, तो समाज का भरोसा कैसे किया जाए। समस्या चाहे कितनी बड़ी हो दुखी नहीं होना चाहिए। मन और बुद्धि को शांत रखते हुए उस पर विचार करने से उसका निराकरण हो जाता है।
कथा वाचन अतुल जी ने कहा कि मनुष्य आज औसत 79 वर्ष की आयु तक ही जीवन जी रहा हैं, यदि इससे अधिक आयु हैं तो समझ उसे बोनस प्राप्त है। मनुष्य को जीवन में चार पड़ाव आते हैं, उसका पूर्ण सदुपयोग करना चाहिए। अंतिम समय में जो सन्यास आश्रम की बात पुराणों में कही गई है, उसका भी उसे पालन करना चाहिए, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि वह घर को परिवार को छोड़कर चला जाए। बल्कि घर को ही बैकुंठ बनाएं। हनुमान जी की तरह भगवान के नाम का सुमिरन और कीर्तन करते रहे। उन्होंने कहा कि शरीर का संबंध स्थाई नहीं होता। स्थाई संबंध तो आत्मा का परमात्मा से होता है, इसलिए मनुष्य को अपनी सोच का दायरा अत्यधिक बढ़ाना चाहिए।
उसे संकुचित नहीं करना चाहिए। मनुष्य को शिया-राम मैं सब जग जानी के, सिद्धांत पर जीना चाहिए। सभी को परमात्मा का दर्शन करना चाहिए। कथा के मुख्य यजमान योगेश मोहन गुप्ता रहे। संघ परिवार से धर्म जागरण समन्वय के क्षेत्रीय प्रमुख ईश्वर दयाल, विनोद भारतीय, सह प्रांत प्रचारक अनिल कामेश, संतोष, प्रांत प्रमुख ओमपाल, अरुण सोलंकी, ललित मोहन, योगेंद्र, सुदर्शन चक्र महाराज, संयुक्त व्यापार संघ अजय गुप्ता, नटराज, कमल ठाकुर, आयोजक समिति से प्रदीप, पूर्व विधायक अमित अग्रवाल, संजय त्रिपाठी, पीयूष शास्त्री, ललित नागदेव, दलजीत सिंह, महेश बाली, मनोज वर्मा, मीडिया प्रभारी अमित शर्मा, शिवा सिंघल, गौरव गोयल उपस्थित रहे।