वो मुझे याद कर रही होगी
सूर्ख होंठों से गुन रही होगी,
उसके अंतस में चल रही हलचल,
उसके जिगरे में मच रही उमड़न,
आंत ऐंठन मचा रही होगी,
वो मुझे याद कर रही होगी
सूर्ख होंठों से गुन रही होगी,
जैसे घायल हुई कोई मछली
बांण बींधी हुई कोई हिरणी
झाड़ियों में फंसी हुई तितली
दूर भटका हुआ कोई तीतर
मुश्किलों में तड़प रही होगी
वो मुझे याद कर रही होगी
सूखे होंठों से गुन रही होगी,
प्यासी हिरणी सा हांफता चेहरा
छोटे बच्चे सा कांपता चेहरा
भींच कर मुट्ठियां दिवारों में
मारकर सिसिकियां रूमालों में
देखकर मुझको अपनी डीपी में.
जैसे सारस चिघर रही होगी
वो मुझे याद कर रही होगी
सूखे होंठों से गुन रही होगी,
जब तिमिर में बनी कोई छाया
पास उसके खड़ी कोई काया
उससे बातें बना रही होगी
भूखी प्यासी वो बस मेरी खातिर
जानता हूं हिचक रही होगी
वो मुझे याद कर रही होगी
सूखे होंठों से गुन रही होगी,
मौन सहसा सिसर रही होगी
अबतो कितनी निढल गई होगी
निराशेपन में ढ़ल गई होगी
फिर भी जब भी वो मुझको पाएगी
जैसे बच्चा लिपट वो जाएगी
जानता हूं मचल रही होगी
वो मुझे याद कर रही होगी
सूर्ख होंठों से गुन रही होगी