भगवान श्रीहरि विष्णुजी को समर्पित है वैशाख मास वैशाख मास में गंगा स्नान-दान से मिलता है सुख-समृद्धि, खुशहाली का वरदान
हिन्दू सनातन धर्म में धार्मिक व पौराणिक मान्यता के अनुसार द्वादश मास में वैशाख मास की महिमा अनंत है। इस मास में गंगा स्नान या सरोवर अथवा नदी में स्नान करके दान करना अत्यन्त पुण्य फलदायी माना गया है। वैशाख मास का स्नान दानादि चै । शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि से वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि तक माना जाता है। ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि स्कन्दपुराण के अनुसार वैशाख मास के समान दूसरा कोई मास नहीं, गंगा के समान कोई नदी-तीर्थ नहीं इस बार वैशाख मास 24 अप्रैल, बुधवार से 23 मई, गुरुवार तक रहेगा। मान्यता है कि भगवान श्रीहरि विष्णु, श्रीपरशुरामजी की पूजा करने और श्रीबांके बिहारीजी के दर्शन करने से शांति और सर्वदुःखों से मुक्ति तो मिलती ही है, साथ ही सुख-समृद्धि, खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होता है।
वैशाख मास में विशेष करें- ज्योतिर्विद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि पूरे मास भर सूर्योदय के पूर्व ब्रह्ममुहूर्त में उठ कर गंगा स्नान या गंगाजल मिश्रित स्वच्छ जल से स्नान कर स्वच्छ वस्। धारण करना चाहिए। वैशाख मास के नियम आदि का संकल्प लेना चाहिए। पितरों का तर्पण भी तिल द्वारा करना चाहिए। भगवान श्रीहरि विष्णुजी की विधि-विधानपूर्वक पूजन-अर्चन करके नित्य प्रतिदिन श्रीविष्णु सहस्रनाम, पाप प्रशमन स्तो। का पाठ तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मं। का जप करना सौभाग्य में अभिवृद्धि करता है। इस सम्पूर्ण मास में एक समय भोजन करने का विधान है। वैशाख पूर्णिमा के दिन वैशाख मास के यम-नियम- संयम की समाप्ति हो जाती है, इस दिन उद्यापन करके ब्राह्मण को भोजन करवाकर यथाशक्ति यथासामर्थ्य उपयोगी सामानों का दक्षिणा सहित दान करना चाहिए। सामान्यतः नित्य उपयोग में आनेवाली वस्तुओं का दान करना विशेष फलदायी माना गया है। वैशाख मास में मेष संक्रान्ति, अक्षय तृतीया एवं परशुराम जयन्ती तथा वरुथिनी एकादशी तिथि के दिन स्नान-दानादि का विशेष महत्त्व है।
वैशाख मास में जो वर्जित है- ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि व्रतकर्ता को इस मास में शरीर पर तेल लगाना, दिन में शयन करना, कांस्य पा। में भोजन करना, लहसुन-प्याज आदि का सेवन करना, अपने परिवार के अतिरिक्त अन्य । कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए। नशीले पदार्थों का सेवन करना, रा। में भोजन करना तथा वे अन्य पदार्थ जिसका भोग भगवानजी को न लगता हो उसे वर्जित बताया गया है।
विशेष – वैशाख मास के शुक्लपक्ष की योदशी, चतुर्दशी एवं पूर्णिमा तिथि को पापनाशिनी तिथि माना गया है, जिन्होंने इन तिथियों के अतिरिक्त अन्य दिनों में गंगा स्नानादि न किया हो, उन्हें शुक्लपक्ष की योदशी से पूर्णिमा तिथि तक इन तीन तिथियों में स्नानादि करके विष्णु सहस्रनाम एवं श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करना चाहिए। इस माह में नियम-संयम के साथ स्नान-दान करने पर श्रीहरि विष्णुजी की आशीर्वाद से जीवन के सभी मनोरथ पूरे होते हैं।
वैशाख मास का महत्व – ज्योतिर्विद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि इस माह में भगवान श्रीहरि विष्णु के साथ चंद्रमा की भी पूजा की जाती है। वैशाख में स्नान, दान और व्रत का विशेष महत्व है। वैशाख मास में तुलसी माँ और पीपल के वृक्ष की भी पूजा का विधान है। इसके अलावा तांबे के बर्तन में जल लेकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है। वैशाख के पूरे महीने में भगवान श्रीविष्णु की पूजा की जाती है। भगवान श्रीविष्णु की माधव के रूप में तुलसी प से पूजा की जाती है, इसलिए इसे माधव मास भी कहा जाता है। वैशाख मास में धार्मिक अनुष्ठान विधि-विधानपूर्वक करना चाहिए, साथ ही श्रीमद्भागवत गीता का पाठ या श्रवण अवश्य करना चाहिए। ऐसा माना जाता है। कि वैशाख मास में भगवान श्रीविष्णु की पूजा-अर्चना से सभी कष्टों का निवारण और सुख-समृद्धि व वैभव की प्राप्ति होती है।
वैशाख मास के प्रमुख व्रत व पर्व: 24 अप्रैल से 23 मई तक
• 24 अप्रैल : वैशाख मास प्रारम्भ •27 अप्रैल: संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत •29 अप्रैल श्रीशीतला सप्तमी व्रत •1 मई : श्रीशीतला अष्टमी, कालाष्टमी व्रत •4 मई वरुथिनी एकादशी व्रत •5 मई प्रदोष व्रत •6 मई मास शिवरा। व्रत •7 मई : श्राद्ध की अमावस्या •8 मई स्नान-दान की अमावस्या •10 मई अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती •11 मई : वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत •14 मई: गंगा सप्तमी •15 मई श्रीदुर्गा अष्टमी व्रत, श्रीबगलामुखी जयन्ती •16 मई श्रीसीता नवमी •19 मई : मोहिनी एकादशी •20 मई रुक्मिणी द्वादशी, परशुराम द्वादशी, सोम प्रदोष व्रत •22 मई श्रीनरसिंह जयंती, श्रीछिन्नमस्ता जयन्ती
• 23 मई : वैशाख पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख मास के यम, नियम, व्रत-स्नान आदि के धार्मिक अनुष्ठान का समापन।