वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत

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श्रीगणेशजी के दर्शन-पूजन व व्रत रखने से होगी मनोकामना की पूर्ति
श्रीगणेश जी को दूर्वा और मोदक है अतिप्रिय

भारतीय संस्कृति में हिन्दू धर्म के अनुसार सर्वनिघ्नहर्ता प्रथम पूज्यदेव भगवान श्रीगणेशजी की महिमा अपरम्पार है। भगवान श्रीगणेशजी की पूजा-अर्चना की पूजा-अर्चना से जीवन में सुख-समृद्धि व सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है। मास के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि भगवान श्रीणेशजी को अतिप्रिय है। प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि प्रत्येक माह के शुक्लपक्ष में चतुर्थी तिथि के दिन गौरीनन्द श्रीगणेशजी की पूजा-अर्चना करना विशेष फलदायी होता है। शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को किए जाने वाला व्रत वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत महिला-पुरुष एवं विद्यार्थियों के लिए समानरूप से पुण्य फलदायी है। इस बार मध्याह्ण व्यापिनी चतुर्थी तिथि गुरुवार, 6 जून को पड़ रही है। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि गुरुवार, 6 जून को प्रातः 9 बजकर 55 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन शुक्रवार, 7 जून को प्रातः 7 बजकर 38 मिनट तक रहेगी। मध्याह्ण व्यापीनी चतुर्थी तिथि गुरुवार, 6 जून को होने से वरद् वैनायिकी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत इसी दिन रखा जाएगा। इसके साथ ही श्रीगणेश भक्त श्रीगणेशजी की विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना करके लाभान्वित होंगे।

ऐसे करें श्रीगणेश जी की पूजा – ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि प्रातःकाल ब्रह्मामुहूर्त में व्रतकर्ता को समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्ति होकर अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करने के पश्चात् वैनायकी चतुर्थी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। श्रीगणेश का पंचोपचार, दशोपचार या षोडशोपचार पूजा-अर्चना पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके उन्हें दूर्वा एवं दूर्वा की माला, मोदक (लड्डू), अन्य मिष्ठान, ऋतुफल आदि अर्पित करने चाहिए। धूप-दीप, नैवेद्य के साथ पूजा करके श्रीगणेश जी की विशेष अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए उनकी महिमा में श्रीगणेश स्तुति, श्रीगणेश चालीसा संकटनाशक श्रीगणेशस्तोत्र, श्रीगणेश सहस्त्रनाम एवं श्रीगणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करना चाहिए। साथ ही श्रीगणेश जी से सम्बन्धित विविध मन्त्रों का जप करना लाभकारी रहता है। जिन्हें जन्मकुण्डली में ग्रहों की महादशा, अन्तर्दशा, प्रत्यन्तर्दशा चल रही हो, उन्हें वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत रखकर श्रीगणेशजी की पूजा-अर्चना अवश्य करनी चाहिए। श्रीगणेश पुराण के अनुसार भक्तिभाव व पूर्ण आस्था के साथ किए गए वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत से जीवन में सुख-समृद्धि के साथ अलौकिक शान्ति व खुशहाली की प्राप्ति होती है।

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