उपेंद्र कुशवाहा बिहार व शरद यादव केन्द्र की राजनीति करेंगे
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दो धुर विरोधी अब एक होने जा रहे हैं। राजनीतिक हल्कों से मिल रही खबरों के मुताबिक रालोसपा के मुखिया उपेंद्र कुशवाह अपनी पार्टी का विलय जल्दी ही शरद यादव के दल लोकतांत्रिक जनता दल में करने वाले हैं। इसके लिए दोनों नेताओं में सारी रूपरेखा तय हो चुकी है। कुशवाहा के नजदीकी नेताओं के मुताबिक उनका मकसद नीतीश कुमार के राजपाट को ध्वस्त करना है। इस विलय की बुनियाद इस पर खड़ी की गई है कि शरद यादव केन्द्र की राजनीति करेंगे और कुशवाहा बिहार की। दोनों वेता अपनी-अपनी सीटों से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे ये तय है। माना जा राह है कि इस विलय के बाद लोजद में नीतीश विरोधी तमाम और भी वो नेता शामिल होंगे जिन्हें जद यू में ना तो टिकट मिलेंगे और ना ही उचित सम्मान मिल रहा है।
नीतीश कुमार और उपेन्द्र कुशवाहा के बीच खींचतान कोई नई बात नहीं है। दोनों का वोट बैंक तकरीबन एक ही है होने से कौन बड़ा की रेस चलती रही है। लेकिन भाजपा के सहयोग से नीतीश कुमार आगे निकल गए। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक कुशवाहा ने इस उम्मीद के साथ 2014 भाजपा का दामन थामा था कि नीतीश कुमार फिर भाजपा के साथ खड़े नहीं होंगे। लेकिन भाजपा ने 2019 के लिए नीतीश को ज्यादा उपयोगी माना। पिछले माह कुशवाहा ने केन्द्रीय कैबिनेट ले इस्तीफा भी दे दिया था और साथ राजग से नाता भी तोड़ लिया था। जिसके बाद रालोसपा में बिखराव कुशवाहा पर भारी पड़ा। कुशवाहा ने यूपीए के साथ गठजोड़ की राणनीति पर अमल किया।
कुशवाहा से पहले ही अप्रैल 2018 में नीतीश कुमार व शरद यादव के बीच टकराव चमर पर पहुंच गया था। नीतीश कुमार शरद यादव को हटाकर जद यू के मुखिया पद को पहले हथिया चुके थे और पार्टी में शरद यादव ने उपेक्षा के चलते 26 अप्रैल को अलग दल बनाने का ऐलान कर दिया था। चुनाव चिन्ह की लड़ाई हारने के बाद आयोग ने उन्हें आटो रिक्शा चुनाव चिन्ह दिया था। नीतीश के धुर विरोधी दोनों नेता अब एक हो रहे हैं। विश्वसनीय जानकारी के मुताबिक कुशवाहा जल्दी ही अपने दल का विलय शरद यादव के गल में करेंगे। उन्हें दल का बिहार का अध्यक्ष बनाया जाएगा।।
जहां तक बिहार के राजनीतिक समीकरणों का सवाल है तो 2014 में यहां 40 लोकसभा सीटों में से 31 राजग ने जीती थी और तब कुशवाहा और पासवान क साथ थे रालोपसा को 3 व पासवान के दल को 6 सीटें मिली थी। अब ये दोनों नेता यूपीए गठजोड़ का हिस्सा बनेंगे। माना जा राह है कि बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 20 पर राजद और बाकी आधी सीटों पर कांग्रेंस, जीतनराम मांझी व शरद यादव की पार्टी चुनाव लड़ेगी। बिहार के वरिष्ठ पत्रकार मणिकांत ठाकुर कहते है कि कुशवाहा का भाजपा से अलग होना राजग के लिए झटका तो है ही। अब अगर दोनों दल का विलय होता है तो इनकी ताकत भी बढ़ेगी और साथ ही मोलभाव भी ज्यादा कर सकेंगे। उन्होंने माना कि कुशवाहा का बिहार में अपना वोट बैंक है। साफ सुथरी छवि है। नुकसान नीतीश को जरूर होगा, कितना ये समय बताएगा।।
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