अगले हते 14 अप्रैल को लॉकडाउन की 21 दिनी मियाद समाप्त हो रही है और अब लाख टके का सवाल सबके मन में यही है, क्या 15 अप्रैल से जिंदगी पहले की तरह पटरी पर लौट आएगी? लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों तक लॉकडाउन को एक बारगी समाप्त करने के पक्ष में कोई नहीं है। बीते 30 मार्च तक कोरोना के मरीजों के मामले धीमी रफ्तार से सामने आ रहे थे, लग रहा था कि किश्तों में जिंदगी सामान्य होने लगेगी। लेकिन दिल्ली के मरकज से तब्दीली जमात के लोगों में कोरोना वायरस मिलने का मामला सामने आया और यह तस्वीर भी साफ होने लगी कि जमात के लोग जिन भी राज्यों में गये, वहां कोरोना पाजिटिव मरीजों की तादाद में इजाफा देखने को मिला। दक्षिण से लेकर पूरब और पश्चिम तक मरकज से जगह-जगह गये लोगों के चलते संदिग्ध मामलों की लिस्ट लम्बी होती चली गयी। यूपी की बात करें तो इसी जमात के कारण ही लखनऊ समेत पश्चिम यूपी के कई जनपदों में पाजिटिव मरीजों की बाढ़ आ गयी।
तमिलनाडु, आंध्र, तेलंगाना और महाराष्ट्र के साथ ही मध्य प्रदेश व गुजराज में भी कोरोना का व्यापक असर देखा गया। इस लिहाज से केन्द्र और राज्य सरकारें लॉकडाउन को पूरी तरह खोले जाने के लिए तैयार नहीं हो पा रही हैं। यूपी में तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार रात 12 बजे से उन 15 जिलों को पूरी तरह सील कर दिया है, जहां कोरोना पाजिटिव के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। दरअसल, यह संक्रमण तीसरे चरण में पहुंचा तो तय मानिए फिर उस पर काबू पाना कठिन हो जाएगा। भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश में यह इसलिए भी बड़ी चुनौती होगी कि स्वास्थ्य सेवाएं पहले से ही मानक के हिसाब से नहीं हैं और स्पेन व अमेरिका जैसे देशों में भी वर्तमान चुनौतियों से निपटने में पसीना छूट रहा है। वैसे भी महामारी के दिनों में सामान्य चली आ रही व्यवस्था लडख़ड़ाती ही है।
इसलिए भारत की पहली प्राथमिकता इस महामारी को कम्युनिटी ट्रांसमिशन की तरफ जाने से रोकने की है। खुद पीएम मोदी इसीलिए सारे स्टेक होल्डरों से बातचीत करके स्थिति पर काबू पाना चाहते हैं। ऐसे समय में एक नागरिक के तौर पर जो सहयोग की भूमिका होनी चाहिए, उसका कुछ स्थानों पर निर्वाह होता नहीं दिख रहा है। यह स्थिति चिंताजनक ही कही जाएगी। इसके अलावा देश की आर्थिक स्थिति इस महामारी के चलते लगातार बिगड़ती जा रही है, सो अलग है। छोटे उद्योग-धंधों की तो इस लॉकडाउन में कमर ही टूट गयी है। हालांकि सरकार इस बड़े वर्ग को संभालने की गरज से जल्द 23 लाख करोड़ का एक बूस्टर डोज देने जा रही है, ताकि हालात बहुत ना बिगड़े। सबसे ज्यादा रोजगार इस क्षेत्र से लोगों को मिलता है।