लवासा का गलत पासा

0
201

लोकसभा चुनाव का आखिरी चरण आते-आते चुनाव आयोग के अंदर घमासाम छिड़ गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ हुआ आचार संहिता उल्लंघन की शिकायतों में बार बार क्लीन चिट दिए जाने पर दूसरे वरिष्ठ चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने नाराजगी जताई है। क्या ये सही समय था नाराजगी का? क्या इससे चुनाव आयोग की विश्वसनीयता प्रभावित नहीं होगी? लवासा का कहना है कि मोदी को आदर्श चुनाव आचार संहिता के मामले में क्लीन चिट दिए जाने का फैसला करते समय उन्होंने इस पर असहमति जताईकी, लेकिन उनकी आपत्तियों को रिकार्ड नहीं क या गया इसलिए आयोग की बैठकों में भाग लेने का कोई औचित्य नहीं है। इससे पहले मीडिया में खबर आई थी कि मोदी को कई मामलों में क्लीन चिट दिए जाने पर लवासा ने आपत्ति की थी और उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त को इस बारे में पत्र भी लिखा था।

मोदी को आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के छह मामलों में क्लीन चिट दी गई है जबकि कई मामले लंबित रह गए हैं। चुनाव आयोग ने मोदी से जुड़ी शिकायतों पर भी सुनवाई तब की, जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जल्दी से जल्दी फैसला करने को कहा। मोदी के खिलाफ शिकायत करने वाली कांग्रेस का कहना है कि मोदी के खिलाफ 11 मामलों में शिकायत दर्ज कराई गई है। कांग्रेस का कहना है कि आयोग ने मोदी को किसी मामले में न तो नोटिस जारी किया न उन शिकायतों को अपनी वेबसाइट पर डाला। इसके अलावा क्लीन चिट के बारे में कोई आदेश भी जारी नहीं किया और न ही उसे वेबसाइट पर अपलोड किया, जबकि आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों से जुड़े अन्य सारे आदेश अपलोड किए गए हैं।

चुनाव आयोग ने शनिवार को कहा कि आदर्श चुनाव आचार संहिता पर आंतरिक मामलों को लेकर मीडिया में उठा विवाद दुर्भाग्यपूर्ण है। आयोग का यह भी कहना है कि उसके सभी सदस्य बिल्कुल एक जैसे नहीं होते और पहले भी उनकी राय कई मामलों में अलग अलग रही है और होनी भी चाहिए लेकिन फैसला आयोग के नियमों और दिशा निर्देशों के दायरे में होता है। अगर आयोग ये कह रहा है और उम्मीद कर रहा है कि सब कुछ ठीक चल रहा है तो शांत तालाब में पत्थर फैंकने का क्या मतलब? लाख टके का सवाल यही है कि क्या मंगलवार को ये मसला हल हो जाएगा? होना ही चाहिए। सवाल दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की प्रतिष्ठा का है। हो सकता है कि लवासा सही हों लेकिन क्या ये समय सही है? आखिरी दौर भी खत्म हो चुका है। नतीजों की बारी है तो फिर इस तरह के कदमों का क्या मतलब? क्या ये अनावश्यक का विवाद नहीं है?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here