राहुल गांधी ने चला तुरुप का पत्ता

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनावी खेल में तुरुप का पत्ता मार दिया है। राहुल ने कहा है कि किसी भी गरीब परिवार की आमदनी 12 हजार रु. महिने से कम नहीं होनी चाहिए। अगर कांग्रेस की सरकार बन गई तो वे इस बात की गारंटी देते हैं कि हर गरीब परिवार को वे छह हजार रु. महिना देंगे। भारत के औसत गरीब परिवारों की आमदनी यों भी पांच-छह हजार रु. महीना तो है ही । इससे देश के 5 करोड़ गरीब परिवारों या 25 करोड़ गरीबों को सीधा लाभ मिलेगा।

उन गरीबों से भी ज्यादा लाभ राहुल गांधी को मिलने की आशा है, क्योंकि उन 25 करोड़ गरीबों में से 12—15 करोड़ लोग तो वोटर होंगे ही। 2014 के चुनाव में कांग्रेस को 10 करोड़ वोट मिले थे। यदि इस चुनाव में उसे इस घोषणा से 8—10 करोड़ वोट भी ज्यादा मिल गए तो भाजपा के 17 करोड़ वोटों से वे ज्यादा हो ही सकते हैं। इसके अलावा तीन बड़े हिंदी राज्यों में कांग्रेस की सरकार है और उप्र में भाजपा को सपा+बसपा की जातिवादी चुनौती है।

पुलवामा और बालाकोट से मोदी को जो अदृश्य और निर्गुण फायदा मिला था, उसके मुकाबले जनता को यह ठोस, सगुण और व्यक्तिगत फायदा देने वाली घोषणा है। यह मोदी की 15 लाख रु. हर नागरिक की जेब में पहुंचाने की घोषणा याने चुनावी सभा में अचानक की गई जुमलेबाजी थी जबकि कांग्रेस की इस घोषणा के पीछे 3-4 महिने की कड़ी मेहनत, विशेषज्ञों की राय और उस पर होने वाले 3 लाख 60 हजार करोड़ रु. के खर्च के स्त्रोत भी खोज लिए गए हैं।

यदि यह मान लें कि इसे लागू करना कठिन या असंभव है तो भी इसका भोले वोटरों पर जबर्दस्त असर होने की पूरी संभावना है। इसके सामने बालाकोट, राम मंदिर और कश्मीर जैसे मसले फीके पड़ जाएंगे। भाजपा चाहे तो अब भी नहले पर दहला मार सकती है। वह भारत के हर गरीब परिवार को 12 की बजाय 15 हजार रु. महिना देने की विधिवत और भरोसेमंद घोषणा कर सकती है। वह सरकार में है। उसके पास बड़े-बड़े अर्थशास्त्री हैं, विशेषज्ञ हैं, नीति आयोग है और सबसे बड़ी बात यह कि ऐसा प्रधानमंत्री है, जो प्रचारमंत्री की अदभुत भूमिका भी सफलतापूर्वक निभा सकता है।

डा. वेद प्रताप वैदिक
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं

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