रवि प्रदोष व्रत

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पुराणों के अनुसार प्रदोष व्रत भगवान शिव और पार्वती की कृपा पाने का दिन है। इस बार प्रदोष व्रत रविवार को है इसलिए इसे रवि प्रदोष भी कहा जाता है। इस व्रत को करके व्यक्ति लंबा और निरोगी जीवन प्राप्त कर सकता है। यह व्रत रोग और जीवन के सारे दुख, संकट दूर करके व्यक्ति को दीर्घायु प्रदान करता है।

हर महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। किसी भी प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा शाम के समय सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है। रवि प्रदोष का व्रत करके सूर्य से संबंधित सभी रोग जैसे आंखों की और हड्डियों की समस्या आदि को बहुत आसानी से दूर किया जा सकता है। रवि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और सूर्य की पूजा कैसे करें- सबसे पहले रवि प्रदोष के दिन सूर्य उदय होने से पहले उठकर स्नान करने के बाद साफ हल्के सफेद या गुलाबी कपड़े पहनें। सूर्य नारायण जी को तांबे के लोटे से जल में शक्कर डालकर अर्घ्य दें। इसके बाद अर्घ्य दिए जल का छींटा अपनी दोनों आंखों पर दें।

सारा दिन भगवान शिव के मन्त्र नमः शिवाय मन ही मन जाप करते रहे और निराहार रहें।शाम के समय प्रदोष काल मे भगवान शिव को पंचामृत से स्नान करवाएं।साबुत चावल की खीर और फल भगवान शिव को अर्पण करें।वहीं आसन पर बैठकर ॐ नमः शिवाय के मन्त्र या पंचाक्षरी स्तोत्र का 5 बार पाठ करें।

रवि प्रदोष के व्रत में बरतें ये सावधानियां और नियम-घर में और घर के मंदिर में साफ सफाई का ध्यान रखें।साफ-सुथरे कपड़े पहनकर ही भगवान शिव और सूर्य की पूजा करें।सारे व्रत विधान में मन में किसी तरीके का गलत विचार ना आने दें।काले नीले वस्त्र बिल्कुल न पहनें। सारे व्रत विधान में अपने आप को भगवान शिव को समर्पण कर दें।

रवि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और सूर्य की पूजा कैसे करें-

– सबसे पहले रवि प्रदोष के दिन सूर्य उदय होने से पहले उठकर स्नान करने के बाद साफ हल्के सफेद या गुलाबी कपड़े पहनें।

– सूर्य नारायण जी को तांबे के लोटे से जल में शक्कर डालकर अर्घ्य दें. इसके बाद अर्घ्य दिए जल का छींटा अपनी दोनों आंखों पर दें।

-सारा दिन भगवान शिव के मन्त्र नमः शिवाय मन ही मन जाप करते रहे और निराहार रहें।

-शाम के समय प्रदोष काल मे भगवान शिव को पंचामृत से स्नान करवाएं।

-साबुत चावल की खीर और फल भगवान शिव को अर्पण करें।

-वहीं आसन पर बैठकर ॐ नमः शिवाय के मन्त्र या पंचाक्षरी स्तोत्र का 5 बार पाठ करें।

रवि प्रदोष के व्रत में बरतें ये सावधानियां और नियम-

-घर में और घर के मंदिर में साफ सफाई का ध्यान रखें।

-साफ-सुथरे कपड़े पहनकर ही भगवान शिव और सूर्य की पूजा करें।

-सारे व्रत विधान में मन में किसी तरीके का गलत विचार ना आने दें।

-काले नीले वस्त्र बिल्कुल न पहनें।

– सारे व्रत विधान में अपने आप को भगवान शिव को समर्पण कर दें।

रवि प्रदोष पर भगवान शिव को इस तरह करें प्रसन्न-

– जिन लोगों के सरकारी नौकरी में दिक्कत आ रही हो वह रवि प्रदोष के दिन शाम के समय भगवान शिव को कच्चे दूध से स्नान कराएं और गुलाब का इत्र अर्पण करें इससे सरकारी नौकरी की चिंता परेशानी बहुत जल्द खत्म होगी।

– किसी को भी सूर्य से संबंधित कोई रोग हो जैसे आंखों और हड्डियों की समस्या आदि तो वह सफेद चंदन में गंगाजल मिलाकर इसका लेप रवि प्रदोष के दिन शाम के समय शिवलिंग पर करें तथा रोग ठीक हो जाने पर जरूरतमंद लोगों को दवा और भोजन का दान करें।

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