रक्त का सौदा

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पुलवामा की घटनाओं ने विश्व को अचम्भित और व्यथित कर दिया था। भारत ने अपने स्वंय जनों को खोया है। अतः उसकी मर्मात पीड़ा अन्य की तुलना में अधिक तथा आक्रोशपूर्ण हो सकती है। इस आक्रोश के भावनात्मक आवेश में कुछ अतिरिक्त तथा अनुचित भी किसी न कह दिया होगा। पर सत्य यही कै कि पुलवामा की घटानाओं ने भारतीयों के अंतःमन पर सीधा प्रहार किया है। इसी मध्य राजनीतिक तथा पत्रकारिता के क्षेत्र में ऐसे विचार जन्म ले रहे हैं। जो पुलवामा की घटना को शंका की दृष्टि से देख कर पाकिस्तान को दोषमुक्त कर रहे हैं। पाकिस्तान मीडिया तथा राजनीतिक क्षेत्रों में ऐसे नेताओं तथा पत्रकारों को काफी सम्मान मिल रहा है।

हाल ही में, हाफिज सईद ने एक चैनल को दिए साक्षत्कार में कांग्रेस की जमकर प्रशंसा की है। इसी प्रकार से पाकिस्तानी मीडिया कुछ भारतीय नेताओं के बयानों के आधार पर भारत सरकार की आलोचना कर रहा है। हद तो तब हो गई जब एक पत्रकार ने वीरगति प्राप्त जवानों को जातियों में वर्गीकृत कर इस घटना के लिए हिन्दुत्ववादी सोच पर शंका प्रकट की है। इस लेख के लेखक की भावनाएं स्पष्ट हो रही हैं कि पाकिस्तान को दोषमुक्त करना चाहता है और भारतीय समाज में शंका पैदा कर भावनात्मक विभाजन करना चाहता है। कितनी दुखद बात है कि जब सम्पूर्ण राष्ट्र को एकमत तथा एक संकल्प में होना चाहिए। उस समय कुछ लोग विभ्रम पैदा करने का कार्य कर रहे हैं।

ऐसी स्थिति देखकर ऐसा लगता हैं कि पाकिस्तान से अधिक भारत राष्ट्र को वे लोग हानि पहुंचा रहे हैं। जो भारतीय होने के नाते सारी नागरिक सुविधाएं प्राप्त करते हैं, लेकिन आतंकवादी घटना के पश्चात पाकिस्तान के पक्षधर हो जाते हैं। सच यह है कि कश्मीर में पत्थरबाजी तथा सैनिकों का अपमान ऐसे ही तत्वों के कारण हो रहा है। वे आए दिन मानवधिकार की बात करने लगते हैं। उन्हें न तो शहीद होते जवानों के प्रति कोई सहानुभूति है और न ही पांच लाख हिन्दू विस्थापितों का दर्द है। आज स्थिति यह है कि पूरा विश्व पाकिस्तान की आलोचना कर रहा है। विश्व जमनत भारत सरकार के साथ है। पर अपने ही देश में विभीषणों की कमी नहीं है।

उनके लिए पाकिस्तान निर्दोष है। कांग्रेस ने पुलवामा में शामिल आतंकी को तथाकथित आंतकी शब्द का प्रयोग किया है। उसी तरह से एक अंग्रेजी दैनिक आतंकी को स्थानीय लड़का लिख रहा है। जब आतंकी को आतंकी कहने का साहस नहीं, तो फिर देश प्रेमी होने का दावा क्यों। इतना निहितार्थ क्यों है कि पाकिस्तान सरकार जो कुछ कह रही है। वही हमारे देश में भी अनेक पत्रकार कर रहे हैं। हाफिज सईद ने एक पत्रकार की प्रशंसा भी की। देश की रक्षा केवल सेना से नहीं होती। देश सेना का मनोबल बनाता है। जब शहादत पर ही शक पैदा किया जाए। कश्मीर में सेना के कार्यों पर आपत्ति होए तो कैसे रक्षा की रक्षा होगी।

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