मोदी को ही मिलेगा एक और टर्म

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हमने कहा, कुछ होता-हवाता नहीं। जो खा गया, सो खा गया। बाद में पीटते रहो लकीर। नीरव मोदी का मामला ठंडा पड़ गया कि नहीं? देशभक्ति के इस दौर में अब कोई आवाज उठाने में भी डरता है लेकिन तू हमारे एरियर का हिसाब-किताब होने को लेकर इतना आश्वस्त कैसे है? बोला-मास्टर, यह जो मोदी जी संगम पर स्वच्छाग्रहियों अर्थात सफाई कर्मचारियों के चरण धो रहे है।

आज जैसे ही तोताराम आया, हमने घोषणा कर दी कि तोताराम, मई 2019 में मोदी जी को एक टर्म और मिलेगा। बोला-क्यों, क्या तेरा भी मुलायक जी की तरह आय से अधिक संपत्ति का कोई मामला तो लंबित नहीं है? हमने कहा, हमारा आय से अधिक संपत्ति का मामला कहां से आएगा? हमारी तो हो चुकी आय भी अभी तक तीन साल से अटकी पड़ी है। पता नहीं मिलेगी भी या नहीं? या जब मिलेगी तब तक उसकी क्रय शक्ति कितनी घट चुकी होगी? पे कमीशन का पूरे तीन साल का एरियर बकाया है। बोला, नियति पर विश्वास रख। हिसाब किताब घूम फिरकर युगों बाद भी करना पड़ता है। हमसे कहा, कुछ होता-हवाता नहीं। जो खा गया, सो खा गया। बाद में पीटते रहो लकीर। नीरव मोदी का मामला ठंड़ा पड़ गया कि नहीं? देशभक्ति के इस दौर में अब कोई आवाज उठाने में भी डरता है लेकिन तू हमारे एरियर का हिसाब-किताब होने को लेकर इतना आश्वस्त कैसे है?

बोला मास्टर यह जो मोदी जी संगम पर स्वच्छाग्रियों अर्थात सफाई कर्मचारियों के चरण धो रहे हैं, यह क्या है? हमने कहा, मायावती बहिन जी के अनुसार- ‘इस तरह से वादाखिलाफी के पाप नहीं धुलेंगे।’ कुछ इसे चुनावी स्टंट कह रहे हैं। राज बब्बर कह रहे हैं कि इससे अच्छा तो सफाई कर्मचारियों को कपड़े दे देते। बोला- ये सब फालतू के कॉमेंट है। यदि चरण धोने से मोदी जी या बीजेपी के पाप नहीं धुलेंगे तो खुद की मूर्तियां बनवाने से कौनसा दलितों का उद्धार हो जाएगा? सच का किसी को पता नहीं। यह तो कोई आपके अनुज जैसा त्रिकालदर्शी ही जान सकता है। आज तोताराम का यह ज्योतिषाचार्यावातार हमारे लिए नितांत नया था। उत्सुकता हुई, पूछा-बता, जल्दी बता, सच क्या है? बोला-पिछले जन्म में मोदी जी राम थे और ये सफाई कर्मचारी उस केवट के परिवार के सदस्य जिसने राम, सीता और लक्ष्मण को अपनी नाव से सरयू पार करवाई थी। उस समय नोटबंदी के कारण राम के पास केवल हजार और पांच सौ के ही नोट थे जो केवट ने लिए नहीं औ कहा दिया-

फिरती बार मोहि जो देवा, सो प्रसाद मैं सिर धरि लेवा। इसके बाद रामचरित मानस में केवट और राम के हिसाब-किताब का कोई प्रसंग नहीं आता। यह वही हिसाब-किताब है। हम चकित, पूछा-कैसे? बोला-पहले केवट ने राम के चरण धोने के बहाने अपने परिवार और पूर्वजों-पितरों तक का उद्धार करवा लिया था। स्वर्ग में आरक्षण ले लिया था। हमने कहा-लेकिन तोताराम, केवट-प्रसंग में तो यह भी आता है-

पद पखार जल पान करि, आपु सहित परिवार।
पितरु पार करि प्रभुहि पुनि मुदित गयउ ले पारि।।

केवट ने राम के चरणामृत का आचमन भी किया था। उसका तो हिसाब इस पद-प्रक्षालन में नहीं हुआ। बोला-भवार्थ समझाकर। केवट ने भी राम से डील फाइनल होने के बाद जलपान किया। फिर राम, सीता, लक्ष्मण को सरयू पार करवाई। उसी तरह मोदी जी ने भी पहले स्वच्छाग्रहियों के चरण धोए, फिर जलपान किया और फिर रैली में भाषण दिया। पूछा-तो तोताराम, यह भी हिसाब लगा कि हम अपने पे कमीशन के एरियर के लिए किस केवट के चरण धोएं? बोला-हे अग्रज, यदि तोताराम को मौसम-विज्ञान का इतना ही ज्ञान होता तो राम विलास पासवान जी की तरह परिवार शक्ति पार्टी का प्रधान नहीं होता।।

          रमेश जोशी
(लेखक जाने-माने व्यंगकार हैं)

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