माता

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जीवन में एक होता है नाता।
कहते जिसको हम हैं माता।।
माता का दिल है इतना प्यारा।
जो जग में है सबसे न्यारा।।
गर, बच्चे को थोड़ा भी लग जाए।
माता को भी तब रोना आये।।
माता तो माता है होती।
किसने कहा इसमें करूणा ना होती।।
किसने है यह भ्रम बनाया।
माता से तो जन्म है पाया।।
माता से कभी दूर ना होना।
इस पल को खुद से ना खोना।।
जग में तुझको माता है लायी।
समझे फिर भी तु उसे पराई।।
अरे पगले, माता का बोझ ना उतर कभी।
समझ तुझमें नहीं है अक्ल अभी।।
माता का अहसान कभी ना चूके।
माता के आगे सभी हैं झुके।।
किया है हमने माता का जिक्र।
होती है माता को बच्चों की फिक्र।।
माता को करें हम सदैव नमन्।
बनाओ माता के लिये सदैव अमन।।
माता करे जीवन का उद्वार।
है माता में शक्ति अपरंपार।।
माता के रोम-रोक में है प्यार बसा।
मां प्यार से गहरा नहीं कोई नशा।।

-ज्योति

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