महाराष्ट्र में ओबीसी को दुलारने का दौर

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सुप्रीम कोर्ट से मराठों का सामाजिक और शैक्षणिक आरक्षण तथा ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण रद्द हो जाने के बाद से बीजेपी दोनों ही समाजों के टारगेट पर है। ऐसे में महाराष्ट्र बीजेपी नेताओं के लिए नई रणनीति बनाना अपरिहार्य हो गया है। मराठों का नेतृत्व कर रहे छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज और बीजेपी सांसद संभाजी राजे भोसले छत्रपति की भी बीजेपी से दूरियां बढ़ गई हैं। लिहाजा, अब बीजेपी ओबीसी को दुलारने में लगी है। इसके लिए सबसे पहले मराठा नेता और प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील की बलि देने की तैयारी चल रही है।

खबर है कि पार्टी महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष पद पर किसी ओबीसी नेता को बैठाने की तैयारी में लगी है। इसीलिए, चंद्रकांत पाटील, देवेंद्र फडणवीस और आशीष शेलार इन दिनों दिल्ली में डेरा जमाए हैं। चंद्रकांत बीजेपी अध्यक्ष पद बचाए रखने की लॉबिंग कर रहे हैं। फडणवीस करीबी ओबीसी नेता चंद्रकांत बवनकुले या संजय कुटे को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं और शेलार आगामी मुंबई महानगरपालिका चुनाव का हवाला देकर खुद प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं।

इनमें से कौन सफल होता है, यह आने वाला वक्त बताएगा। परंतु, बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, फडणवीस केंद्रीय नेतृत्व को यह समझा रहे हैं कि मराठा आरक्षण का मुद्दा अब लंबे समय तक लटकने के कारण चंद्रकांत की कोई प्रासंगिकता नहीं रह गई है और वैसे भी चंद्रकांत खुद को मराठा चेहरे के रूप में स्थापित नहीं कर पाए हैं। कहा जा रहा है कि 2014 में बीजेपी को भरभरा कर वोट देने वाले विदर्भ में 2019 के चुनाव में बीजेपी को अपेक्षाकृत सफलता नहीं मिली है। इसकी बड़ी वजह ओबीसी वोटरों का बीजेपी से नाराज होना है।

एकनाथ खडसे के बीजेपी छोड़ने और पंकजा मुंडे की नाराजगी का असर भी उत्तर महाराष्ट्र और मराठवाडा में बीजेपी को झेलना पड़ सकता है। दूसरी तरफ, ओबीसी वोटरों को अपनी तरफ खींचने के लिए कांग्रेस ने विदर्भ के ओबीसी नेता नाना पटोले को अपना अध्यक्ष बना दिया है। कांग्रेस नेता और राज्य के राहत और पुनर्वास मंत्री विजय वडेट्टीवार भी ओबीसी के मुद्दे पर दोनों हाथ से सक्रिय हैं। कांग्रेस और एनसीपी के ओबीसी नेता ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण खत्म होने के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

राज्य की ओबीसी जनता पर उनकी दलीलों का असर साफ दिखाई पड़ रहा है। ऐसे में राज्य के ओबीसी मतदाताओं को रिझाने के लिए बीजेपी के अंदरखाने प्रदेश अध्यक्ष पद ओबीसी नेता की ताजपोशी का मंथन चल रहा है। जल्द ही इसके परिणाम देखने को मिलेंगे। बीजेपी का डर निकट भविष्य में मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई, कल्याण-डोंबिवली, पुणे, नासिक, नागपुर, औरंगाबाद और कोल्हापुर महानगर पालिकाओं समेत आधे से भी ज्यादा जिला परिषदों के चुनाव होने वाले हैं।

इन चुनावों में मराठा और ओबीसी वोटरों ने बीजेपी के खिलाफ नाराजगी जताई, तो आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बीजेपी के लिए खतरनाक मुश्किल पैदा हो जाएगी। बीजेपी को डर यही है कि कहीं महाराष्ट्र का 53 प्रतिशत ओबीसी और 31 प्रतिशत मराठा समाज मिलकर 2024 में मोदी के विजय रथ को रोक न दे।

अभिमन्यु शितोले
(लेखक पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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