महंगाई पर नियंत्रण जरूरी

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भारतीय रिजर्व बैंक का प्रमुख नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं करना उम्मीद के अनुरूप ही है। दरअसलए आरबीआई ने मुद्रास्फ्रीति के लक्ष्य बढ़ाये जाने के बावजूद आर्थिक पुन: द्धार को गति देने को महत्व दिया है। केन्द्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति के रुख को नरम बनाये रखने का फैसला कर संकेत दिया है कि वह अर्थव्यवस्था को रतार देने के प्रति सजग है। अभी रेपो रेट 4 फीसदी है और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी है। रेपो रेट का यह लेवल 2001 अप्रैल के बाद सबसे निचला स्तर है।

आरबीआई ने कोविड-9 महामारी के बीच मांग बढ़ाने के झादे से 22 मई, 2020 को नीतिगत दर रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर ले आया था। रेपो दर वह दर है जिस पर वाणिज्यक बैंक केंद्रीय बैंक से फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये अल्पकालीन कर्ज लेते हैं। रेपो और रिवर्स रेपो को इससे कम स्तर पर लाना केंद्रीय बैंक के लिए जोखिम भरा है। छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सामने आगे रेपो रेट को बढ़ाने का ही कदम होगा। केंद्रीय बैंक का मानना है कि अर्थव्यवस्था अभी कोविड की दुसरी लहर से उबर नहीं सकी है और ऐसे में उदार रुख बनाए रखना जरूरी है।

अभी पेट्रो व खाद्य महंगाई बढऩे के चलते खुदरा मुद्रास्फ्रीति दर में लगातार बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है। आपूर्ति पक्ष की बाधाओं कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और कच्चा माल महंगा होने के चलते सीपीआई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फ्रीति के चालू वित्त वर्ष 2021-22 के वैरान 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पहले यह 5.1 प्रतिशत था। महंगाई दर का यह अनुमान रिजर्व बैंक को दिये गये 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ मुद्रास्फ्रीति को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखने के लक्ष्य के करीब है। इसका मतलब है कि मानसून के बेहतर होने तथा खरीफ बुआई अच्छी होने के बाद भी कीमत पर दबाव फिलहाल जाने वाला नहीं है। रिजर्व बैंक के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही जुलाई-सितंबर में 5.9 प्रतिशतए तीसरी तिमाही अक्टूबर-दिसंबर में 5.3 प्रतिशत और चौथी तिमाही जनवरीमार्च में 5.8 प्रतिशत रह सकती है।

सीपीआई आधारित मुद्रास्फ्रीति के अगले वित्त वर्ष 2022.23 की पहली तिमाही अप्रैल-जून में 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। खाद्य तेलों, दालों, अंडे, दूध और तैयार भोजन के साथ ही सब्जियों के महंगा होने के कारण जून में खुदरा मद्रास्फ्रीति बढ़कर 63 प्रतिशत रही। इससे साफ है कि महंगाई दर रिजर्व बैंक के अनुमान से ज्यादा रहने वाली है। महंगाई दर उच्च रहने की स्थिति रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ा कर उसे दायरे में लाने की कोशिश करता है, लेकिन केंद्रीय बैंक ने साहस दिखाते हुए महंगाई को थामने के बजाय ग्रोथ को तवज्जो दी है। रिजर्व बैंक का यह विवेकपूर्ण फैसला है। कोविड से प्रभावित अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए महंगाई दर से डरने की बजाय आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने वाले फैसले की जरूरत है।

खुदरा महंगाई के छह प्रतिशत जाने पर भी रिजर्व बैंक को घबरा कर रेपो रेट नहीं बढ़ाना चाहिए। हमें ग्रोथ चाहिए तो महंगाई से डरना बंद करना पड़ेगा। रिजर्व बैंक के ताजा फैसले के बाद ज्यादातर बैंक अभी निकट समय में व्याज की दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं करेंगे। इससे होम लोन, इंडसट्रयल लोन, कार लोन, पर्सनल लोन आदि पर ब्याज नहीं देंगे। उद्योग जगत ने इसलिए रिजर्व बैंक के फैसले का स्वागत किया है। रिजर्व बैंक के इस फैसले से पहले से ही खस्ताहाल चल रहे रियल एस्टेट सेक्टर को भी रेस्ट मिलेगा। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 के लिये वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर के अनुमान को 95 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। यह लक्ष्य तभी हासिल होगा जब सभी प्रकार के कर्ज सस्ते रहेंगे। रिजर्व बैंक ने यही कोशिश की है।

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