(माननीय केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री भारत सरकार)
बौद्ध धर्म के उत्थान से भारत बनेगा विश्वगुरू- डा. अतुल कृष्ण बौद्ध
मेरठ। स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के लॉ कॉलिज स्थित सरदार पटेल प्रेक्षागृह में आषाढ़ी पूर्णिमा के अवसर पर धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस का भव्य आयोजन धूमधाम के साथ किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि माननीय केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री भारत सरकार, श्री रामदास अठावले जी ने विशिष्ट अतिथि महाराष्ट्र के पूर्व सांसद श्री सुनील बी गायक्वाड़, सुभारती विश्वविद्यालय की संस्थापिका डा. मुक्ति भटनागर, संस्थापक डा. अतुल कृष्ण बौद्ध, कुलपति डा. एन.के आहूजा एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. शल्या राज के साथ मिलकर तथागत गौतम बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलन एवं पुष्प अर्पित करके किया। इस दौरान बौद्ध विद्वान डा. चन्द्रकीर्ति भंते के नेतृत्व में भिक्षुओं ने बौद्ध वंदना प्रस्तुत करके सभी को बौद्ध धर्म की धारा में प्रवाहित कर दिया। मुख्य अतिथि श्री रामदास अठावले जी को सुभारती विश्वविद्यालय की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. शल्या राज ने पौधा देकर उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया इसी क्रम में संस्थापिका डा. मुक्ति भटनागर ने शाल भेंट करके मुख्य अतिथि का अभिनंदन किया।
स्वागत भाषण को संबोधित करते हुए सुभारती विश्वविद्यालय के संस्थापक डा. अतुल कृष्ण बौद्ध ने अतिथियों का अभिनंदन करते हुए कहा कि मानव को अतिवादी नही होना चाहिए बल्कि मानव को मध्यम मार्ग पर आशावादी विचारधारा के साथ चलकर सुख की अनुभूति करनी चाहिए। उन्होंने सुभारती विश्वविद्यालय एवं सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज के द्वारा बौद्ध धर्म के लिए किए जा रहें कार्यों से सभी को रूबरू कराते हुए कहा कि आज के समय में समाज को करूणा, प्रेम, शान्ति, प्रकृति संरक्षण एवं विकास के संदेश को देने की अति आवश्यकता है, जिसके लिए सुभारती विश्वविद्यालय पूरी मुस्तैदी के साथ तथा गौतम बुद्ध एवं बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर की शिक्षाओं को भारत एवं विश्व भर में पल्लवित कर रहा है तथा उन्नति के संदेश को अपने छात्र छात्राओं में रोपित कर संस्कृति एवं ज्ञान से भरपूर देश के लिए युवा पीढी़ का निर्माण कर रहा है। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म भारतीय संस्कृति का प्रतीक है एवं इसी धर्म ने ही संसार को सत्य की दिशा दी है लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि भारत में बौद्ध धर्म का उदय होने के बावजूद यह विदेशों में अधिक पल्लवित हो रहा है परन्तु अब समय आ गया है कि भारत को पुनः विश्वगुरू बनाने का संकल्प लेकर बौद्ध धर्म के उत्थान के लिये कार्य किये जाए ताकि हमारी संस्कृति एवं सभ्यता का संरक्षण हो सकें। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म एक विचारधारा व जीने की कला है जिससे मानव को जीवन की सत्यता का आभास होता है। उन्होंने मुख्य अतिथि श्री रामदास अठावले जी को सुभारती विश्वविद्यालय के सभी संकायों एवं विभागों से रूबरू कराते हुए कहा कि विश्वविद्यालय जातिविहीन समाज की बुनियाद पर आधारित है जो तथागत गौतम बुद्ध व बाबा साहब डा.भीमराव अम्बेडकर के विचारों को गति देकर भारत के विभिन्न महापुरूषों के नाम पर अपने सभी संकायां एवं विभागों को स्थापित करके छात्र छात्राओं को उनसे सीख लेने की प्रेरणा दे रहा है।
मुख्य अतिथि श्री रामदास अठावले ने अपने भाषण की शुरूआत काव्य पंक्तियों से करते हुए कहा कि ‘‘मै बौद्ध हूं इसका मुझे अभिमान है इसलिये अतुल कृष्ण बौद्ध पर मेरा ध्यान है‘‘ इन पंक्तियों को सुनकर प्रेक्षागृह तालियों की गड़गड़ाहट की गूंज उठा। उन्होंने धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस की सभी को बधाई देते हुए कहा कि सुभारती विश्वविद्यालय में प्रवेश करते ही बौद्ध धर्म व भारतीय संस्कृति का आभास होता है एवं यहां का हराभरा वातावरण जिस प्रकार मन को शान्ति देता ठीक इसी तरह सुभारती मेडिकल कॉलिज, डेन्टल कॉलिज सहित सभी कॉलिज समाज में शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने में अग्रणीय योगदान दे रहे है। उन्होंने कहा कि समाज में ऊंच नीच व जाति धर्म के आधार पर व्याप्त दुराभाव को समाप्त करने के लिये नई पीढ़ियों को आगे आना होगा जिससे सशक्त भारत का निमार्ण हो सकता है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार सुभारती विश्वविद्यालय के साथ मिलकर भारत को विश्व गुरू बनाने का हर संभव प्रयास करेगी एवं जिस प्रकार संस्थापक डा. अतुल कष्ण बौद्ध मेरठ की धरती पर इतिहास रच कर बौद्ध धर्म के उत्थान के लिये कार्य कर रहे हैं वह प्रेरणा का प्रतीक होने के साथ सराहनीय भी है और समाज के हर व्यक्ति को सुभारती के साथ जुड़कर भारत का नाम विश्व पटल पर रोशन करने का संकल्प लेना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि महाराष्ट्र के पूर्व सांसद श्री सुनील बी गायक्वाड़ ने पाली भाषा के उत्थान के लिये कार्य करने की बात कहते हुए कहा कि सुभारती विश्वविद्यालय आज भारत में बौद्ध धर्म को सही मायनों में संरक्षित करने का कार्य कर रहा है तथा समाज को इसी प्रकार की मुहिम की आवश्यकता है। सम्राट अशोक सुभारती स्कुल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज के सलाहकार डा. हिरो हितो ने कहा कि भारत से उदय होकर विश्व में बौद्ध धर्म आज शीर्ष पर है तथा भारतीय संस्कृति का पूर्ण समावेश बुद्ध की शिक्षाओें में है। लगभग ढ़ाई हजार वर्ष पूर्व सारनाथ में दिए गए प्रथम धम्मचक्र आज भी गतिमान है, बौद्ध धर्म मे ऐसी मान्यता है कि धम्माचक्कापवत्तना सूत्र पाठ मात्र से जीवन के सारे कष्टों का निवारण होता है तथा शान्ति आती है। उन्होंने इस दिन के महत्व को विशेष रूप से बताया कि अषाढ़ी पूर्णिमा से लेकर अश्विनी पूर्णिमा तक तीन माह का कार्यकाल वर्षावास का कार्यकाल कहलाता है जिसमें प्रत्येक भिक्षु तीन माह तक एक ही स्थान पर रहकर अपना समय व्यतीत करते है एवं ज्ञान का संपादन करते है।इस कार्यकाल में दान,शील एवं समाधि का अभ्यास कर अपने चित्त को शुद्ध कर निर्वाण प्राप्ती के लिए भिक्षु ,शिक्षुणी एवं उपासक, उपासिकाए प्रत्यनशील रहते है। यह कार्यकाल पुण्य अर्जित करने का कार्यकाल माना जाता है।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा.शल्या राज ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि आज का दिन समाज के कल्याण का दिन है इसलिये हमे समाज में एकता, प्रेम करूणा लाने के साथ भारत को विकास की गति पर लाकर विश्व में अपनी संस्कृति का डंका बजाना होगा इसके लिये सुभारती विश्वविद्यालय शिक्षा, सेवा, संस्कार एवं राष्ट्रीयता की भावना के साथ बौद्ध धर्म के संदेशों से मानव कल्याण के कार्य अंजाम दे रहा है। मंच का संचालन पत्रकारिता एवं जनसंचार संकाय के प्राचार्य डा. नीरज कर्ण सिंह ने किया। इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक राजकुमार सागर बौद्ध, शिब्बन लाल स्नेही, वरिष्ठ कुलसचिव ई पीके गर्ग, कुलसचिव डीके सक्सेना, लॉ कॉलिज के प्राचार्य डा. वैभव गौयल भारतीय, डा. पिन्टू मिश्रा, डा. अभय एम शंकरगौड़ा, सुभारती मीडिया के सीईओं डा. आरपी सिंह, डा. संदीप कुमार, डा.मनोज कुमार त्रिपाठी, इन्द्रपाल बौद्ध, यशपाल सिंह, अशोक सिद्धार्थ, विजय जाटव, मदन सिंह आनन्द, रामपाल सिंह बौद्ध, अशोक टकसालिया, देवेन्द्र बौद्ध, संजय कलंजरी, अनिल कुमार सहित विश्वविद्यालय परिवार के सभी सदस्य उपस्थित रहे।