बालाकोट का बदला लेना चाहता है पाक

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शंका प्रकट करने वाले कहने लगे हैं कि पाकिस्तान चुनाव में गड़बड़ी फैलाने के खातिर अल-कायदा तथा तालिबान के सदस्यों की मदद भी लेना चाहता है। जबकि सेनाधिकारियों का कहना है कि इस बार के चुनाव सबसे अधिक खूनी साबित हो सकते हैं क्योंकि इस दौरान क्षति पहुंचाने की आतंकी कोशिश पहले से कहीं अधिक होगी।

सारे देश के साथ ही जम्मू-कश्मीर में होने जा रहे लोकसभा चुनाव में पाकिस्तान की ओर से व्यापक स्तर पर गड़बड़ी फैलाने की आशंका अब हर गलियारे में व्यक्त की जाने लगी है। शंका प्रकट करने वाले कहने लगे हैं कि पाकिस्तान चुनाव में गड़बड़ी फैलाने के खातिर अल-कायदा तथा तालिबान के सदस्यों की मदद भी लेना चाहता है। जबकि सेनाधिकारियों का कहना है कि इस बार के चुनाव सबसे अधिक खूनी साबित हो सकते हैं। क्योंकि इस दौरान क्षति पहुंचाने की आतंकी कोशिश पहले कहीं से अधिक होगी। कारण सर्जिकल स्ट्राइक की तिलमिलाहट को पाक सेना चुवानों में निकालना चाहती है।

सूत्रों पर विश्वास किया जाए तो जम्मू-कश्मीर में होने वाले चुनावों में खलल डालने के लिए पाकिस्तान तथा उसकी खुफिया संस्था आईएसआई ने अपने प्रयासों को तेज कर दिया है। इन सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान पांच से दस हजार विदेशी भाड़े के सैनिकों को किसी प्रकार जम्मू-कश्मीर में धकेलने को तत्पर है। राज्य सरकार गृह विभाग के पास उपलब्ध खुफिया विभाग की रिपोर्टों में इस आशंकाओं को उजागर किया गया है। इन खबरों के बाद कि पाक एजेंटों के ‘विशेष मौत के दस्ते’ राज्य में भयानक तबाही मचा सकते हैं, विशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा व्यवस्था की पुनः समीक्षा की गई है और संभावित लूप होलों को दूर करने का प्रयास किया गया है। राज्यपाल सहित अन्य विशिष्ट राजनेताओं की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की गई है। अधिकारी बताते हैं कि आईएसआई जल्द से जल्द इन विदेशी भाड़े के सैनिकं को इस ओर धकेलना चाहती है जिनमें अधिकतर अल-कायदा और तालिबान के सदस्य शामिल है।

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए ये समाचार भी परेशानी लिए हुए हैं क्योंकि बताया जाता है आईएसआई उन आतंकवादियों को भारत में प्रवेश करवाने के लिए उन्हें किसी भी भेष और किसी भी रास्ते से धकेल सकती है। जबकि गुप्तचर सूत्रों के अनुसार खाली हाथ आने वाले आतंकवादी उन हथियारों के भंडारों का प्रयोग कर सकते हैं जो उनके समर्थकों तथा कूरियरों द्वारा पहले ही हासिल किया जा चुके हैं। हालांकि इन भंडारों की तलाश में आतंकवादग्रस्त क्षेत्रों में व्यापक तलाशी अभियान छेड़ा जा चुका है। राज्य सरकार के अधिकारी कहते हैं कि सरकार पाकिस्तान के कुत्सित इरादों के कारण चिंतित है क्योंकि वे जानते हैं कि आतंकी अभी भी जहां चाहे मार करने की शक्ति रखते हैं क्योंकि उन्हें कुछ भीरत लोगों का समर्थन हासिल है जिनको निकाल बाहर करना सरकार के लिए कठिन हो चला है।

वे बताते हैं कि इन आतंकियों के जम्मू-कश्मीर के प्रवेश को रोकने के लिए पाकिस्तान के साथ लगने वाली नियंत्रण रेखा, अतंराष्ट्रीय सीमा के साथ ही पंजाब तथा हिमाचल से लगी सीमा पर भी सतर्कता बरती जा रही है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान सर्जिकल स्ट्राइक के बाद इस समय बहुत बौखलाया हुाआ है और बौखलाहट में वह कोई कदम भी उठा सकता है। इन सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान की बौखलाहट ने सिर्फ राज्य के नेताओं को ही खतरा पैदा नहीं किया है बल्कि हुर्रियत के सदस्यों के लिए भी खतरा पैदा किया है। सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान कश्मीर में चल रही हवा का रूख मोड़ने के लिए एक या एक से अधिक हुर्रियत नेताओं को रास्ते से हटा सकता है।

सुरेश डुग्गर
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं…

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