प्रियंका गांधी की चुप्पी के मायने

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माना जा रहा था कि खराब स्वास्थ्य की वजह से सोनिया गांधी रायबरेली से चुनाव नहीं लगेंड़ी और उनकी जगह पर प्रियंका गांधी वाड्रा चुनावी समर में कूदेंगी। लेकिन कांग्रेस की पहली लिस्ट में प्रियंका का नाम नहीं है। रायबरेली से सोनिया गांधी और अमेठी से राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस के पुराने अपनी-अपनी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस 11 उम्मीदवारों की लिस्ट आई तो कार्यकर्ताओं से लेकर पत्रकारों की निगाहें लिस्ट में प्रयिंका गांधी के नाम को खोज रही थी। माना जा रहा था कि खराब स्वास्थ्य की वजह से सोनिया गांधी रायबरेली से चुनाव नहीं लड़ेंगी और उनकी जगह पर प्रियंका गांधी वाड्रा चुनावी समर में कूदेंगी। लेकिन कांग्रेस की पहली लिस्ट में प्रियंका का नाम नहीं है। रायबरेली से सोनिया गांधी और अमेठी से राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस के पुराने अपनी-अपनी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।

इसी साल जब प्रियंका गांधी की सक्रिय राजनीति में आने की घोषणा हुई थी तो कयास लगाए जा रहे थे कि वो विपक्षी पार्टियों के लिए बहुत बड़ी चुनौती बनेंगी। जानकार मानते हैं कि प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में लाना कांग्रेस की मजबूरी भी थी। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में गंठबंधन की घोषणा ने कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थी। उत्तर प्रदेश की इन पार्टियों ने देश की इस सबसे पुरानी पार्टी को नजर अंदाज किया। ऐसे में कांग्रेस के सामने विपक्ष के रूप में सिर्फ बीजेपी नहीं, बल्कि उनके पुराने सहयोगी भी थे। सपा और बसपा से मिले इस सबक से कांग्रेस ने शुरुआत में उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की घोषणा की है। हालांकि उन्होंने अन्य समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ गठबंधन की ओर इशारा भी किया है। प्रियंका गांधी के आगमन से एक बार फिर न केवल कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में जबर्दस्त उत्साह आया, बल्कि मीडिया में भी कांग्रेस फिर से खबरों से आ गई। खास तौर से जब प्रियंका गांधी को जिस क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई यानी पूर्वी उत्तर प्रदेश वहां पर उनका सीधा मुकाबला नरेन्द्र मोदी और योगी आदित्यनाथ से है। साथ ही कांग्रेस ने सपा-बसपा गठबंधन को भी इशारा किया वो उन्हें हल्के में ना लें।

प्रियंका गांधी ने पार्टी दफ्तर में आने के बाद जोर-शोर से काम शुरू किया। उनका चार दिन का उत्तर प्रदेश दौरा मीडिया की सुर्खियों में रहा। राजनीति में औपचारिक एंट्री के बाद लखनऊ के पहले दौरे में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने चार दिन और पांच रातों के दौरान पार्टी के चार हजार से अधिक कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। जिस दिन प्रियंका मीडिया से बात करना चाहती थी, उसी दिन पुलवामा में हमला हो गया। तब प्रियंका गांधी ने मीडिया के सामने कहा कि ये समय राजनीति की बात करने का नहीं है। उसके बाद प्रियंका खबरों की सुर्खियों से गायब हो गई। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि देश में जब-जब संकट के बादल छाए है तब-तब कांग्रेस राजनीति छोड़ कर देश हित में काम करती है। पुलवामा हमले के वक्त प्रियंका गांधी का राजीनित पर बात न करना इस बात को दर्शाता है कि वो राजनीतिक रूप से परिपक हैं। हालांकि कांग्रेस ने इस बहाने बीजेपी पर भी निशाना कसा था कि जब देश में गंभीर हमला हुआ तब बीजेपी के शीर्षस्थ नेता प्रचार में लगे रहे। शुरू से माना जाता है कि प्रियंका गांधी कार्यकर्ताओं में काफी लोकप्रिय है। कांग्रेस के ज्यादा नेता जब कार्यकर्ताओं से बात करने के बजाय उनको निर्देश देने में लगे रहते हैं, प्रियंका गांधी उनके साथ बैठ कर उनकी बातें सुनती है।

     अपर्णा द्विवेदी
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है।)

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