प्रदोष व्रत आज जानिए महत्व व पूजा विधि विधान

0
72

प्रदोष व्रत एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है जो भगवान शिव को समर्पित होता है। यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है, जो कि हिंदू पंचांग के अनुसार चंद्र मास की तेरहवीं तिथि होती है। प्रदोष व्रत को सोमवार या शनिवार के दिन रखने पर उसका विशेष महत्व होता है। ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस बार 18 जुलाई, गुरुवार को प्रदोष व्रत है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। प्रदोष पर व्रत व पूजा कैसे करें और इस दिन क्या उपाय करने से आपका भाग्योदय हो सकता है

व्रत विधि:

  1. स्नान और शुद्धि: प्रदोष व्रत के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं। पूरे दिन निराहार (संभव न हो तो एक समय फलाहार) कर सकते हैं) रहें और शाम को दुबारा इसी तरह से शिव परिवार की पूजा करें।
  2. पूजा सामग्री: भगवान शिव की पूजा के लिए फूल, फल, धूप, दीप, पंचामृत, और बेलपत्र तैयार करें।
  3. पूजन: संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग एक घंटे पहले भगवान शिव की पूजा शुरू करें। शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल चढ़ाएं। इसके बाद बेलपत्र, फूल और धूप-दीप अर्पित करें।
  4. मंत्र जाप: शिव पंचाक्षर मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें और शिवजी की आरती करें।
  5. कथा सुनना: प्रदोष व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। इस कथा में भगवान शिव और पार्वती के विभिन्न लीलाओं का वर्णन होता है।
  6. व्रत पालन: इस दिन व्रती को एक समय निराहार या फलाहार करना चाहिए।

प्रदोष व्रत के लाभ:

  1. शांति और समृद्धि: प्रदोष व्रत रखने से घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है।
  2. कष्टों से मुक्ति: यह व्रत कष्टों और दुखों से मुक्ति दिलाता है।
  3. स्वास्थ्य लाभ: व्रत से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  4. धार्मिक पुण्य: इस व्रत से धार्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान शिव की कृपा बनी रहती है।

प्रदोष व्रत को श्रद्धा और भक्ति भाव से करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का अनुभव होता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here