पुत्रदा एकादशी : श्रीहरि विष्णु की आराधना से मिलेगी खुशहाली

0
251

भारतीय संस्कृति के हिन्दू धर्मशास्त्रों में प्रत्येक माह की तिथियों का अपना खास महत्व है। मास व तिथि के संयोग होने पर ही पर्व मनाया जाता है। सनातन धर्म में व्रत त्यौहार की परम्परा काफी पुरातन है। चान्द्रमास के अनुसार प्रत्येक मास में दो बार एकादशी पड़ती है। सबकी अपनी अलग-अलग महिमा है। इस बार पौष मास में शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि पुत्रदा एकादशी के रूप में मनाई जाएगी। इस तिथि के दिन भगवान श्रीहरि विष्णुजी की विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना की जाएगी। ऐसी मान्यता है कि जिनको दाम्पत्य जीवन में सन्तान सुख की प्राप्ति न होती हो, उन्हें आज के दिन नियम-संयम के साथ भगवान श्रीहरि के शरण में रहकर पुत्रदा एकादशी का व्रत-उपवास रखना चाहिए। प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि पौष शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि 23 जनवरी, शनिवार की रात्रि 8 बजकर 57 मिनट पर लग रही है जो 24 जनवरी, रविवार की रात्रि 10 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। 24 जनवरी, रविवार को एकादशी तिथि का मान होने से पुत्रदा एकादशी का व्रत इसी दिन रखा जाएगा।

ऐसे करें भगवान् श्रीहरि की पूजा-श्री विमल जैन जी ने बताया कि व्रतकर्ता को एक दिन पूर्व सायंकाल अपने दैनिक नित्य कृत्यों से निवृत्त होकर स्नान ध्यान के पश्चात् पुत्रदा एकादशी व्रत का संकल्प लेना चाहिए, और दूसरे दिन यानि पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान श्रीविष्णुजी की पूजा-अर्चना के पश्चात् उनकी महिमा में श्रीविष्णु सहस्रनाम, श्रीपुरुषसूक्त तथा श्रीविष्णुजी से सम्बन्धित मन्त्र ‘ॐ श्रीविष्णवे नमः’ या ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जप अधिक से अधिक संख्या में करना चाहिए। सम्पूर्ण दिन निराहार रहकर व्रत सम्पादित करना चाहिए। व्रत का पारण द्वादशी तिथि के दिन किया जाता है। एकादशी तिथि के दिन चावल ग्रहण नहीं किया जाता। इस दिन अन्न ग्रहण न करके विशेष परिस्थितियों में दूध या फलाहार ग्रहण किया जा सकता है। साथ ही व्रत के समय दिन में शयन नहीं करना चाहिए। पुत्रदा एकादशी के व्रत व भगवान श्रीविष्णुजी की विशेष कृपा से सभी मनोरथ सफल होते हैं, साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि, आरोग्य के साथ ही सन्तान-सुख की प्राप्ति होती है। अपने जीवन में मन-वचन कर्म से पूर्णरूपेण शुचिता बरतते हुए यह व्रत करना विशेष फलदायी रहता है। आज के दिन ब्राह्मण को यथा सामर्थ्य दक्षिणा के साथ दान करके लाभ उठाना चाहिए। पौराणिक मान्यता है कि प्राचीन नगरी भद्रावती के राजा वसुकेतु ने पुत्रदा एकादशी के व्रत से ही पुत्रप्राप्ति की थी।

ज्योतिर्विद् श्री विमल जैन
मो. : 09335414722

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here