पाक में सताई जा रही है हिन्दू लड़कियां

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कुछ खबरें सोचने के लिए मजबूर कर जाती हैं कि क्या आज के इस तथाकथित सभ्य समाज में भी मनुष्य इतना बेबस हो सकता है? क्या हमने कभी खबर के पार जाकर यह सोचने की कोशिश की है कि क्या बीती होगी उस 12 साल की बच्ची पर जो हर रोज बेफिक्र होकर अपने घर के आंगन में खेलती थी लेकिन एक रोज उसका अपना ही आंगन उसके लिए महफूज नहीं रह जाता?

दिन की शुरुआत अखबार में छपी खबरों से करना आज लगभग हर व्यक्ति की दिनचर्या का हिस्सा है। लेकिन कुछ खबरें सोचने के लिए मजबूर कर जाती हैं कि क्या आज के इस तथाकथित सम्भ समाज में मनुष्य इतना बेबस हो? क्या हमने कभी खबर के पार जाकर यह सोचने की कोशिश की है कि क्या बीती होगी उस 12 साल की बच्ची पर जो हर रोज बेफिक्र होकर अपने घर के आंगन में खेलती थी लेकिन एक रोज उसका अपना ही आंगन उसके लिए महफूज नहीं रह जाता? आखिर क्यों उस आंगन में एक दिन यकायक एक तुफान आता है और उसका जीवन बदल जाता है? वो बच्ची जो अपने माता पिता के द्वारा दिए नाम से खुद को पहचानती थी आज वो नाम ही उसके लिए बेगाना हो गया । सिर्फ नाम ही नहीं पहचान भी पराई हो गई। कल तक वो रीना थी लेकिन आज रेहाना है। सिर्फ पचनान ही नहीं उसकी जिन्दगी बदल गई। कल तक उसके सिर पर पिता का साया था और भाई का प्यार था लेकिन आज उसके पास एक शौहर है। कल तक वो एक बेटी थी एक बहन थी लेकिन आज वो एक शरीके हयात है।

यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान से हिन्दू लड़कियों के जबरन धर्मातरण और निकाह कराने की खबरें आई हो। लेकिन हां शायद यह पहली बार है जब पाक में रह रहे हिन्दुओं के साथ वहां होने वाले किसी अत्याचार की खबर पर भारत के विदेश मंत्री ने सीधे वहां मौजूद भारतीय उच्चायोग से इसकी विस्तृत रिपोर्ट मांगी हो। इसके साथ ही भारत सरकार ने पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को इस मामले में आधिकारिक नोट लिख कर वहां मौजूद अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा है। गौरतलब है कि सिंध से दो लड़कियों के अपहरण की वक्त खबर के कुछ ही देर बाद मुल्तान से भी दो हिन्दू लड़कियों के वीडियों सामने आए है जिसमें वे सरकार से खुद को कट्टरपंथियों से बचाने की मिन्नत कर रही हैं। हिन्दू लड़कियों को अगवा करके उनसे जबरन इस्लाम कबूल करवा कर उनका निकाह करवा देना पाकिस्तान में कितनी बड़ी समस्या है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इमरान खान ने 2018 के अपने चुनावी भाषणों में यह दावा किया था कि अगर वे सत्ता में आते हैं तो हिन्दू लड़कियों के जबरन धर्मातरण को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।

दरअसल आतंकवाद को संरक्षण देने के मामले में जिस प्रकार पाक पूरे विश्व के सामने बेनकाब हो चुका है उसी प्रकार अब हिन्दू लड़कियों का जबरन धर्मांतरण करने के बाद उनका निकाह करवाने के मामले में भी उनका सच अब धीरे-धीरे दुनिया के सामने आने लगा है। एक अनुमान के मुताबिक पाकिस्तान में हर महीने लगभग 20 से 25 लड़कियों का अपहरण कर धर्मातरण कराया जाता है। और अब तो वहां का मानवाधिकार आयोग ही कट्टरपंथियों की इस दलील को खोखला बता रहा है जो अक्सर उनके द्वारा दी जाती है कि अगवा हुई लड़की ने अपने मर्जी से एक मुसलमान से शादी की है और वो अब अपने पुराने धर्म या परिवार में लौटना नहीं चाहती। दर असल 2010 की अपनी रिपोर्ट में पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग ने स्पष्ट कहा था कि अधिकांश मामलों में हिन्दू लड़कियों का अपहरण कर उनके साथ बलात्कार किया जाता है और बाद में उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जाता है।

आयोग का यह भी कहना है कि यह घटनाएं सिंध प्रांत तक ही सीमित नहीं है बल्कि देश के अन्य भागों जैसे थार, संघार, जैकोबाबाद इलाकों में भी ऐसा हो रहा है। सिंध और इन इलाकों में हिन्दुओं की गिरती हुइ जनसंख्या की अपने आप में वहां के हालात के बारे में बयां करने के लिए काफी है। आखिरी सवाल 18 साल से कम उम्र के किसी आजाद युवा को अपने देश की सरकार चुनने का अधिकार नहीं है लेकिन एक अपहत नाबालिक लड़की को धर्मातरण और निकाह करके अपनी पहचान बदल लेने का अधिकार है? इन सवालों के ईमानदार उत्तर में ही धर्मांतरण की समस्या का समाधान छुपा है।

डॉ. नीलम महेन्द्र
लेकिखा टिप्पणीकार हैं, ये उनके निजी विचार है

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