परीक्षा देनी पड़ती है

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कोई भी लड़की किसी लड़के से जितना प्यार कर सकती है, उससे कहीं ज्यादा प्यार उसने किया था उस शख्स से जो उसकी जिन्दगी में काफी देर से आया था। इस बात का उसे मलाल था ओर इस मलाल पर उस शख्स को थोड़ा नाज भी था। प्यार न सही, इज्जत उस शख्स के मन में काफी थी इस प्यार के लिए जो उसे अप्रत्याशित रूप से मिल गया था। आप जानते होंगे, शायद न भी जानते हों पर मुझे अच्छी तरह मालूम है कि प्यार और इज्जत का मेल कम ही हो पाता है। मेरी जिन्दगी में भी जब प्यार को ठुकराया गया तो उसका बहाना इज्जत ही बनी थी। कहा गया, ‘तुम इतने अच्छे हो, तुम्हारे लिए मन में इतनी इज्जत है कि मैं तुम्हें अपनी बराबरी पर नहीं देख पाती।’ मेरे मन में तब कोई संदेह नहीं था और अब भी मैं उसके लिए कोई गुंजाइश नहीं बनने देता अपने मन में।

पर आप चाहें तो पूरा-पूरा संदेह कर सकते हैं कि मेरे लिए कहे गए उस वाक्य में सचाई ज्यादा थी या सिर्फ चोट न पहुंचाने की मशक्कत। तो साहेबान, वह वाला मामला तो इज्जत बनाम प्यार का था ही नहीं। लेकिन यह जो किस्सा मैं बता रहा हूं, सौ टका प्यार और इज्जत का ही है। सोने से खरे प्यार और चांदी सी चमकती इज्जत का। उम्र का जो अंतर था, करीब 20 वर्षों का, वह कोई बड़ी बात न थी। अमृता प्रीतम ने भी तो अपने बेटे की उम्र के दोस्त का प्यार कबूला और निभाया था। यहां कबूलने की जिम्मेदारी भी उसी की थी जो उम्र में छोटा था। पर कितनी भी सच्ची भावना हो, परीक्षा से उसे गुजरना ही होता है। और आप जानते ही हैं कि जिंदगी जब परीक्षा लेती है तो अच्छे अच्छों की हेकड़ी निकाल देती है।

बहरहाल, यहां हालात इतने आसान थे जिसकी आम तौर पर कल्पना भी नहीं की जाती। पति गुजर चुके थे। बच्चे बड़े हो चुके थे। ससुराल पक्ष से बाधा खड़ी करने वाला कोई था नहीं। मायके वाले इतने समझदार और संवेदनशील थे कि समर्थन भले न करें, विरोध तो नहीं ही करते। इतना सब होने के बावजूद अगर दोनों ताउम्र चंद कदमों की दूरी पर खड़े एक -दूसरे को जीवन की धूप-छांव झेलते देखते रहे, न पास आकर एक -दूसरे का हाथ थामा और न ही एक -दूसरे से मुंह फेरा, तो इसमें मुख्य भूमिका प्यार और इज्जत की ही रही। एक ने दूर न जाने दिया और दूसरे ने करीब नहीं होने दिया। इस तरह सदियां न सही, आधी सदी तो बीत ही गई। दोनों अब भी वैसे ही हैं। चंद कदमों के फासले पर। हालांकि कदम दिनोंदिन और कमजोर पड़चे जा रहे हैं।

प्रणव प्रियदर्शी
लेखक पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं

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