हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि नवरात्र में मां दुर्गा धरती पर आती हैं इसलिए धरतीवासी उनकी स्वागत में विभिन्न प्रकार की तैयारियां करते हैं। धरती को देवी का मायके कहा जाता है। जिस तरह मायके में आई बेटी का घर वाले सत्कार करते हैं वैसे ही देवी की विभिन्न प्रकार के प्रसाद तथा श्रृंगार की वस्तुओं से स्वागत किया जाता है। भक्त गण देवी को प्रसन्न करने के लिए विविध रूप में आराधना कर रहें हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नौ देवियों को भोग में विभिन्न प्रकार के प्रसाद पसंद हैं तो आइए हम आपको प्रसाद के बारे में बताते हैं।
* चौथा दिन :- नवरात्र के चौथे दिन देवी कुष्मांडा की पूजा होती है। मां को मालपुआ प्रिय है इसलिए देवी को मालपुआ का भोग लगाएं। मालपुआ बनाकर गरीब बच्चों में बांटें। ऐसा माना जाता है कि मालपुआ बनाकर ब्रह्माण को दान करने से बुद्धि का विकास होता है।
* पांचवां दिन :- पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा होती है। मां को केला प्रिय है इसलिए इस दिन केला का भोग लगाएं। साथ ही ब्रह्माण को केला दान करने से सदबुद्धि आती है।
* छठवां दिन :- छठे दिन मां कात्यायनी को पूजा जाता है। देवी कात्यायनी को शहद प्रिय है इसलिए इस दिन शहद का भोग लगाएं। ऐसा माना जाता है कि नवरात्र के छठे दिन शहद का प्रयोग करने से सम्बन्ध मधुर होते हैं तथा साधक के रूप का आर्कषण बढ़ता है।
* सातवां दिन :- सातवें दिन मां कालरात्रि की आराधना होती है। देवी को गुड़ बहुत पसंद है इसलिए उन्हें गुड़ या गुड़ से बनी चीजे का भोग लगाएं। देवी को गुड़ का भोग लगाने से साधक शोक मुक्त रहता है।
* आठवां दिन :- आठवें दिन महागौरी की पूजा होती है। देवी महागौरी को नारियल पसंद हैं इसलिए उन्हें नारियल का भोग लगाएं। साथ ही अष्टमी के दिन नारियल को सिर के ऊपर घुमा कर पानी में प्रवाहित करने से मनोकामना पूरी होती है।
* नौवां दिन :- नवरात्र में आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की आराधना होती है। उन्हें तिल का भोग लगाएं तथा नौवे दिन पूरी और हलवा गरीबों में बांटने से घर में सुख-समृद्धि आती है।