भागवत महापुराण में समुद्र मंथन के दौरान लक्ष्मी से पहली उनकी बड़ी बहन अलक्ष्मी निकली थीं। कम ही लोग जानते हैं कि देवी लक्ष्मी की कोई बड़ी बहन भी है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है अलक्ष्मी, इसलिए उन्होंने आसुरी शक्तियों का वरण किया और उनके बाद समुद्र से निकलीं लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को चुना। जहां देवी लक्ष्मी धन-धान्य की देवी है, उनकी पूजा-अर्चना करने से धन की प्राप्ति होती है, उसके विपरीत देवी अलक्ष्मी गरीबी और दरिद्रता की देवी हैं। हालांकि इन्हें समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों में नहीं गिना जाता है। ग्रंथों में उल्लेख है कि एक महर्षि से इनका विवाह हुआ था।
लोक कथाओं के मुताबिक समुद्र मंथन के समय जब रत्न निकले तो इनके बीच कुछ उपरत्न आदि भी निकले। इन्हीं में से एक देवी अलक्ष्मी भी थीं। कुछ मान्यताओं के अनुसार समुद्र से वारुणी यानी मदिरा लेकर निकलने वाली स्त्री ही अलक्ष्मी थीं,मदिरा को भगवान विष्णु की अनुमति से दैत्यों को दे दिया गया। कुछ लोग मान्यताओं के मुताबिक अलक्ष्मी की उत्पत्ति भी समुद्र से हुई थी, इस कारण उन्हें लक्ष्मी की बड़ी बहन कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, देवी लक्ष्मी की तरह ही अलक्ष्मी का उद्गम भी समुद्र में से हुआ था, जिसके कारण अलक्ष्मी को देवी लक्ष्मी की बड़ी बहन माना जाता है। देवी अलक्ष्मी का विवाह उद्दालक नाम के मुनि से हुआ था। जब मुनि देवी अलक्ष्मी को लेकर अपने आश्रम गए तो अलक्ष्मी ने उस आश्रम में प्रवेश करने से माना कर दिया। जब मुनि ने इसका कारण पूछा तो देवी अलक्ष्मी ने बताया कि वे कैसे घरों में निवास करती हैं और कैसे जगहों पर वे प्रवेश भी नहीं करतीं। देवी अलक्ष्मी के द्वारा बताई गई बातों से धन हानि के कारणों और उनसे बचाव के बारे में आसानी से जाना जा सकता है। इन जगहों पर अपना डेरा डालती हैं अलक्ष्मी देवी अलक्ष्मी कहती हैं कि मैं सिर्फ उन ही घरों में जाती हूं जो घर गंदे रहते हों, जहां के लोग हर समय लड़ाई-झगड़ा करते रहते हों, जहां लोग गंदे कपड़े पहनते हों और जहां रहने वाले लोग अधर्म या गलत काम करते हों।
जिन घरों में हमेशा साफ -सफाई रहती हो, जहां के लोग सुबह जल्दी उठते हों, रोज भगवान की पूजा-अर्चना करते हों, साफ कपड़े पहनते हों, ऐसी जगहों पर देवी अलक्ष्मी प्रवेश नहीं कर पाती। ऐसे घरों में देवी लक्ष्मी का अधिकार होता है। मान्यता है कि देवी अलक्ष्मी को तीखी और खट्टी वस्तुएं पसंद हैं और इसी वजह से घर-दुकान के बाहर नींबू-मिर्ची टांगे जाते हैं।माना जाता है कि ऐसी वस्तुएं देवी अलक्ष्मी को प्रिय होने के कारण वे दरवाजे पर ही उनका भोज कर देती है और उस जगह पर अंदर प्रवेश करने की जगह दरवाजे से ही चली जाती है। जिन लोगों को देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने के बावजूद पैसों की हानि होती रहती है, ऐसे लोगों पर देवी अलक्ष्मी का प्रभाव होता है और वे लोग देवी अलक्ष्मी के द्वारा बताई गई बातों को ध्यान में रखकर उनसे और धन हानि से छुटकारा पा सकते हैं। ग्रंथों के नुसार, घर-दुकान में कभी भी देवी लक्ष्मी की ऐसी मूर्ति या तस्वीर नहीं रखनी चाहिए, जिसमें वे उल्लू पर बैठी हों। मान्यता है कि ऐसी लक्ष्मी चंचल स्वभाव की होती है और वे कभी भी एक जगह पर नहीं ठहरती। इसके अलावा देवी लक्ष्मी की खड़ी मूर्ति रखने से भी बचना चाहिए। घर-दुकान में देवी लक्ष्मी की ऐसी तस्वीर या मूर्ति रखनी चाहिए, जिसमें वे कमल के फूल पर बैठी हुई हों। लक्ष्मी जी की ऐसी तस्वीर धन लाभ के लिए शुभ मानी जाती है।