देवउठनी एकादशी : 11-12 नवंबर को जानें महत्व

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देवउठी एकादशी देव-जगी एकादशी के दिन को संध्या के समय कपूर आरती करने से आजीवन अकाल-मृत्यु से रक्षा होती है; एक्सीडेंट, आदि उत्पातों से रक्षा होती है हिंदू धर्म में देव उठनी एकादशी का विशेष महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है. इसे प्रबोधिनी या देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस बार देवउठनी एकादशी का व्रत 12 नवंबर को रखा जाएगा. इस दिन से सभी शुभ व मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. शास्त्रों के अनुसार, देवउठनी एकादशी के दिन ही जगत के पालनहार भगवान विष्णु चार महीने बाद योग निद्रा से जागते हैं और पुन: सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं. आपको बता दें कि इस दिन भगवान शालीग्राम और माता तुलसी के विवाह का भी प्रवधान है. तो चलिए जानते हैं देव उठनी एकादशी पर बनाई जाने वाली रेसिपी और तिथि, शुभ मूहूर्त.

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