दागियों पर सख्ती

0
264

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब उन भ्रष्ट पुलिस कर्मियों की सूची तलब की है, जिसकी वजब से अपराध पर उम्मीद के मुताबिक रोग नहीं लग पाती। शासन से सख्ती का फरमान तो मिलता है पर दागी पुलिसकर्मी उस पर अमल नहीं करते। इससे जनता के बीच सरकार की भी छवि प्रभावित होती है। बीते शनिवार मुख्यमंत्री वाराणसी दौरे पर थे। वहां उन्होंने टॉप टेन अपराधियों की सूची तैयार कर उनके खिलाफ सगत कार्रवाई करने की हिदायत भी दी। इससे पहले मुख्यमंत्री ने सचिवालय प्रशासन की समीक्षा बैठक में भी अपने सख्त तेवर का इजहार किया था। भ्रष्ट अफसरों- कार्मिकों की सूची बनाकर सौंपे जाने की ताकीद भी हुई थी। दरअसल, दागी अफसरों की वजह से सरकार के महत्वाकांक्षी विकास कार्यक्रमों को जमीन पर तो सफलता नहीं मिल पाती, जिसकी लोगों को अपेक्षा होती है। सरकार के मुखिया को यह समझ में आ चुका है कि जब तक दागी अफसरों-कार्मियों का बोलबाला रहेगा, तब तक प्रदेश की सूरत नहीं बदलने वाली।

इसीलिए अब हर महक मे से भ्रष्ट लोगों का ब्योरा जुटाया जा रहा है ताकि उन पर अंतिम कार्रवाई हो सके । अब यह तो वक्त बताएगा कि भ्रष्टों पर सख्ती का यह सिलसिला कब तक जारी रहता है, पर इतना तय है कि कुछ वक्त तक की बर्खास्तगी जैसी कार्रवाई चलती रही तो निश्चित तौर पर उसका यूपी की नौक रशाही पर प्रभाव पड़ेगा। दागी प्रवृत्ति के लोगों को यह पता चलेगा कि अब उनके मामलों को न्यायालयों से अंतिम फैसले की उम्मीद से पहले ही बर्खास्तगी के रूप में भी निपटाया जा सकता है, शायद तब भ्रष्टाचार की तरफ बढऩे से पहले उन्हें सोचने को मजबूर होना पड़े। सख्ती भले ही अच्छी ना लगे लेकिन व्यापक संदर्भ में इसके बिना कामकाज ठीक ढंग से नहीं चल सकता, यह बात सरकारी विभागों पर पूरी तरह लागू होती है। यही वजह है कि सरकार की तरफ से चलाई गयी विकास की तमाम योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती हैं और इसीलिए बार-बार एक ही तरह की योजनाओं की दरकार होती है।

जब जमीन पर कुछ हुआ ही नहीं या कहीं हुआ भी तो वो भी आधा-अधूरा, ऐसे में जरूरतों को बार-बार विकास की बाट जोहना पड़ता है लेकिन उनके हिस्से में विकास आने की बजाय तो अफसरों की जेब में पहुंच जाता है। यह तस्वीर कमोवेश हर सरकारी योजना की है। वाकई यह कितनी बड़ी विसंगति है, जहां भ्रष्टाचार को सामान्य व्यवहार का दर्जा प्राप्त है। कितना भी वाजिब काम हो, आप कितने भी चक्कर दफ्तर के लगाएं, जब तक जेब ढीली नहीं होती, तय मानिए काम नहीं होगा। यह स्थिति छोटे से लेकर बड़े काम तक की है। मुख्यमंत्री ने फिलहाल जो सगती दिखाई है, उससे स्पष्ट है कि कुछ तो असर दिखेगा। हालांकि भ्रष्टाचार की जड़ें बड़ी गहरी हैं। दशकों से सरकारी धन को सुनियोजित ढंग से लूटने का सिलसिला चलता आ रहा है। शिकायत पर निलंबन और जांच के बाद भ्रष्टाचार के मामले ठंडे बस्ते में जगह पाते रहे हैं। शायद ही कभी ऐसे मामलों में विभगाीय स्तर पर बड़ी कार्रवाई हुई हो। इसीलिए ऐसे मामले वक्त के साथ बढ़ते गए हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here