थोड़ा – बहुत कानूनी ज्ञान होना जरुरी

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आमतौर पर समाज के विभिन्न वर्ग और समूह मानते हैं कि कानूनी शिक्षा सिर्फ कानून के छात्रों के लिए है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आज आधारभूत कानूनी शिक्षा की जिंदगी में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है? किसी व्यक्ति को कानून का कुछ ज्ञान होना जरूरी है, वर्ना वह उपभोक्ता सरंक्षण से लेकर मौलिक अधिकारों तक के मामले में प्रभावित हो सकता है।

रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड पर टू-व्हीलर पार्किंग का उदाहरण देखें। जब आप गाड़ी को हुआ नुकसान पार्किंग ठेकेदार को दिखाते हैं तो वह आपको बोर्ड बताता है, जिसपर लिखा होता है, ‘गाड़ी को हुए किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी ठेकेदार की नहीं होगी।’ यही बोर्ड दिखाकर ठेकेदार गाड़ी चोरी होने पर भी अपनी जिम्मेदारी से भाग जाते हैं। है न? तो देखिए दक्षिण पूर्वी रेलवे (दपूरे) की बेंगलुरु डिवीजन में बतौर चीफ लॉ असिस्टेंट कार्यरत सीके प्रसन्न कुमार (61) ने क्या किया। उन्होंने दो साल लड़कर ऐसे लोगों के खिलाफ जीत हासिल की। घटनाक्रम कुछ यूं हुआ।

वे 100 रुपए प्रतिमाह फीस चुकाकर अपनी मोटरसाइकिल डिविजनल रेलवे मैनेजर के ऑफिस के पास, व्हीकल स्टैंड में खड़ी करते थे। उन्होंने 21 फरवरी 2017 को वहीं गाड़ी खड़ी की और दो दिन बाद लौटकर देखा कि गाड़ी गायब थी। पैसे लेने वाले केयरटेकर ने उचित प्रतिक्रिया नहीं दी। कुमार ने 1 मार्च 2017 को स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज की।

उन्होंने पार्किंग केयरटेकर की लापरवाही और उसके द्वारा हर्जाना देने से इनकार करने की शिकायत रेलवे प्राधिकरण से भी की। जब उन्हें रेलवे से भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो कुमार ने 21 फरवरी 2019 को बेंगलुरु के चतुर्थ अतिरिक्त जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग से संपर्क किया और दपूरे, बेंगलुरु डिविजन के वरिष्ठ संभागीय वाणिज्य प्रबंधक और पार्किंग केयरटेकर के खिलाफ शिकायत की।

मुकदमे में रेलवे के वकील ने तर्क दिया कि रेलवे द्वारा दी गई पार्किंग सुविधा वैकल्पिक थी और रेलवे की ओर से अनिवार्य नहीं थी क्योंकि रेलवे मासिक पास जारी नहीं करता है। साथ ही वकील ने युक्तिपूर्वक तर्क दिया कि शिकायत में कोई भी सबूत नहीं है कि गाड़ी उस जगह से चोरी हुई।

दो साल और चार महीने तक होती रही सुनवाई इस हफ्ते खत्म हुई और फोरम के जजों ने माना कि गाड़ी पार्किंग से ही चोरी हुई और यह रेलवे तथा केयरटेकर की जिम्मेदारी है कि वे गाड़ी की देखरेख करें और सुरक्षित पार्किंग उपलब्ध कराएं। उन्होंने स्पष्ट कहा, ‘उनकी लापरवाही और सेवा में कमी के कारण शिकायतकर्ता ने गाड़ी खो दी।’

हालांकि रेलवे द्वारा नामांकित केयरटेकर ने मासिक पास पर लिखा था कि वह गाड़ी को होने वाले किसी भी नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा, पर फोरम ने कहा कि उसमें कहीं भी यह नहीं लिखा था कि वे चोरी के लिए जिम्मेदार नहीं हैं! इसलिए जजों ने फैसला सुनाया कि वरिष्ठ संभागीय वाणिज्य प्रबंधक और पार्किंग केयरटेकर आदेश के 45 दिनों के अंदर कुमार को 10 हजार रुपए हर्जाना और कोर्ट में खर्च हुए 5000 रुपए दें।

कोर्ट ने आगे कहा कि मोटसाइकिल चोरी होने का हर्जाना शिकायतकर्ता को देने की जरूरत नहीं है क्योंकि वह गाड़ी के बीमा में कवर हुआ होगा। आपके आसपास की सभी अदालतों में ‘लीगल एड (सहायता) क्लीनिक’ होते हैं। अगर आपको शंका है कि आपके अधिकार का हनन हुआ या नहीं, तो इस जगह जाएं। वे जरूरी जानकारी देकर आपकी मदद करेंगे।

एसरसाइज से कैंसर की रोकथाम: जुलाई में हुई सायकोलॉजिकल सोसायटी की वार्षिक कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत अध्ययन यही कहता है। न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर कैंसर के डॉ सैम ऑरेंज और उनकी टीम ने पाया है कि केवल एक एसरसाइज सेशन से भी खून में ऐसे तत्व पैदा होते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि की गति पर तुरंत असर डालते हैं। जब व्यायाम प्रत्येक हफ्ते, कई बार दोहराया जाए, तो संभव है कि रतप्रवाह में इन व्यायाम प्रेरित कारकों को पूरे शरीर की अन्य कोशिकाओं से जुडऩे के ज्यादा अवसर मिलें। डॉ सैम कहते हैं, ‘हर वीकेंड पर इकट्ठा वर्कआउट सही तरीका नहीं है।

‘ यानी एक-दो दिन की साप्ताहिक एटिविटी की बजाय पूरे हफ्ते फिजिकली एटिव रहना कैंसर के जोखिम को कम करने में खासतौर पर महत्वपूर्ण है। डॉ सैम कहते हैं कि ये नए नतीजे कैंसर को रोकने में व्यायाम की भूमिका समझने की ओर बड़ा कदम हैं। आपको लाभ पाने के लिए हर वर्कआउट में बहुत पसीना बहाने की जरूरत नहीं है। तेज गति से चलना, जॉगिंग और साइकिलिंग कैंसर के इलाज के साथ रोकथाम में भी मददगार हैं।

अमेरिकन कॉलेज ऑफ स्पोट्र्स मेडिसिन ने गणना की है कि नियमित एसरसाइज कैंसर होने के जोखिम को 69 फीसद तक कम कर सकती है। कैंसर रिसर्च यूके का ‘एसरसाइज इज़ मेडिसिन इन ऑन्कोलॉजी’ शीर्षक का पेपर कहता है कि ‘आप जितने एटिव रहें, उतना अच्छा।’ संक्षेप में व्यायाम इम्यून सेल्स की एटिविटी बढ़ा सकता है, जिससे कैंसर की ग्रोथ रोकने में मदद मिल सकती है। स्वीडन के कैरोलिन्स्का इंस्टीट्यूट के मॉलीयूलर बायोलॉजिस्ट बताते हैं कि एसरसाइज कैसे इम्यून सिस्टम के सायटोटॉसिक सेल्स के मेटाबॉलिज्म को बदलकर कैंसर सेल्स पर उनके हमले की क्षमता बढ़ाती है।

तो हम कौन-सी सामान्य एसरसाइज कर सकते हैं? वॉकिंग: स्वीडिश व अमेरिकी शोधकर्ताओं द्वारा 7,55,459 लोगों पर किया गया अध्ययन बताता है कि 20 मिनट रोज (या प्रतिसप्ताह 150 मिनट) वॉकिंग जैसी आधुनिक एसरसाइज लिवर कैंसर का जोखिम 80त्न तक कम कर सकती है। आंकड़े बताते हैं कि इससे कोलन, ब्रेस्ट और किडनी कैंसर जैसे अन्य कैंसरों का जोखिम भी कम होता है।

सीढिय़ां चढऩा: इस वर्ष प्रकाशित यूके के 2,80,423 प्रतिभागियों के अध्ययन में ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे और स्पेन के शोधकर्ताओं ने पाया कि अगर कोई व्यति प्रतिदिन पांच मंजिल से ज्यादा सीढिय़ां चढ़ता है, तो कैंसर से मौत का जोखिम कम होता है। अगर आप डुप्लेस में रहते हैं तो प्रतिदिन कम से कम पांच बार सीढिय़ां चढ़ें।

साइकिलिंग: यूके में नियमित आवागमन करने वाले 2,50,000 लोगों के पांच वर्ष तक अध्ययन में यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो के शोधकर्ताओं ने पाया कि कुछ दूर या पूरी तरह साइकिल से काम पर जाने से कैंसर होने की आशंका 45 फीसद तक कम हो सकती है। दौडऩा: ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं के मुताबिक जब बात कैंसर होने का जोखिम कम करने की हो, तो थोड़ाबहुत दौडऩा, भले ही हफ्ते में एक बार, न दौडऩे से तो बेहतर ही है। शोध के नतीजे ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोट्र्स मेडिसिन में प्रकाशित हुए हैं। इन सभी नतीजों से मैं यह समझ पाया हूं कि हम जो भी एसरसाइज करें, नियमित करें व नतीजे पूरी तरह से नियमितता पर निर्भर करते हैं।

एन. रघुरामन
(लेखक मैनेजमेंट गुरु हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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