ट्रंप की दलील निरर्थक

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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का कानूनी विवाद सुलझने में समय लग सकता है। हार की आशंका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी रिपलिकन पार्टी ने कई माह पहले ही अदालत में जाने की तैयारी कर ली थी। वहीं, डेमोक्रेटिक पार्टी भी कानूनी लड़ाई के लिए तैयार थी। ट्रंप के सहायकों ने मिशिगन, विस्कांसिन, पेनसिल्वानिया में सबसे पहले वोटों की गिनती को चुनौती दी थी। ट्रंप का तर्क है, वोटों की गिनती जारी रहने से अवैध रूप से डाले गए मतों की गणना भी हो जाएगी। हालांकि, दोनों पक्षों से जुड़े विशेषज्ञों ने इससे असहमति जताई है। वे सोचते हैं, आने वाले दिनों में कुछ और नए मामले दायर किए जा सकते हैं। ये राज्यों के कानून के मुताबिक मतों की फिर से गिनती और डाक मतपत्रों की डिलीवरी से संबंधित हो सकते हैं। राज्यों के चुनाव अधिकारियों को वोटों की गिनती में कई दिन लग जाते हैं। इस बार वायरस महामारी के कारण 9 करोड़ से अधिक अमेरिकियों ने डाक से वोट डाले हैं। जॉन मैकेन के राष्ट्रपति चुनाव अभियान में वकील रह चुके ट्रेवर पॉटर कहते हैं, यह कानून के खिलाफ है कि हमें वोटों की गिनती रोक देनी चाहिए क्योंकि एक उम्मीदवार आगे है और एक पिछड़़ रहा है।

वोटों की गिनती के दूसरे दिन डेमोक्रेटिक जो बाइडेन अभियान के सलाहकार बॉब बाउर ने कहा, डोनाल्ड ट्रंप और उनके कोई भी वकील सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएंगे। रिपलिकन पार्टी के कानूनी सलाहकार टॉम स्पेंसर मानते हैं, कानूनी झमेला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचेगा। मामले का नतीजा तीन न्यायाधीशों- ब्रेट केवेनॉफ, जॉन राबट्र्स और एमी कोनी बैरेट पर निर्भर है। इन तीनों जजों को ट्रंप ने नियुत किया है। ध्यान रहे, ट्रंप ने सितंबर में कहा था, वे चाहते हैं कि चुनाव से पहले बैरेट सुप्रीम कोर्ट में काम संभाल लें ताकि पूरी बेंच चुनाव विवादों का निर्णय कर सके। स्पेंसर कहते हैं,देखना है,बैरेट या निर्णय देती हैं। ट्रंप और बाइडेन ने बड़े वकीलों और कानूनी विशेषज्ञों की फौज तैनात कर रखी है। डेमोक्रेटिक और रिपलिकन पार्टी के वकील कई माह पहले चुनाव से संबंधित 400 से अधिक याचिकाएं दाखिल कर चुके हैं। पहले कभी इतने अधिक मुकदमे दायर नहीं हुए हैं। चुनाव से पहले विस्कांसिन के मामले में सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला सुर्खियों में रहा।

कोर्ट ने विस्कांसिन में मतपत्र लेने का समय बढ़ाने की मांग को अस्वीकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केवेनाफ ने विस्कांसिन के मामले में विवादास्पद राय जाहिर की है। उन्होंने, 26 अटूबर के फैसले में लिखा है, संघीय अदालतों को राज्यों द्वारा तय समय सीमा को अस्वीकार नहीं करना चाहिए। इसके बाद न्यायाधीशों, विशेषज्ञों, डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं और एटिविस्ट ने दलील दी कि अदालतों को मतदान को बढ़ावा देने वाले फैसले करना चाहिए। चीफ जस्टिस जॉन राबर्ट ने बीच का रास्ता अपनाया है। उन्होंने, कहा राज्यों की अदालतें राज्यों के कानून की व्याख्या कर सकती हैं। लेकिन, संघीय अदालतों को इस लड़ाई से अलग रहना चाहिए। अगर सभी राज्यों में वोटों की गिनती पूरी होने पर निर्णायक और स्पष्ट परिणाम आता है तो सभी मुकदमे बेकार हो जाएंगे। ओहायो यूनिवर्सिटी में चुनाव कानून विशेषज्ञ एडवर्ड फोले कहते हैं सभी महत्वपूर्ण राज्यों में जीत का अंतर निर्णायक होने पर जार्ज बुश और अल गोर जैसी कानूनी लड़ाई की संभावना खत्म हो जाएगी।

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