झूठ को पांव लगाने के प्रयास

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कहावतें हमेशा बहुत बड़ा संदेश देती हैं, साथ ही व्यक्ति को सचेत करने का काम करती है। कहते हैं कि एक झूंठ को सौ बार बोला जाए तो वह सच जैसा लगने लगता है और कई बार बोला जाए तो यह भी हो सकता है कि व्यक्ति सच को ही पूरी तरह से भूल जाएं।

वर्तमान राजनीतिक वातावरण में पूरी तरह से झूंठ प्रमाणित हो चुके शब्द को बार-बार दोहराया जा रहा है। यहां सबसे ज्यादा ध्यानाथ तथ्य यह है कि इसे केवल प्रचारित किया जा रहा है, प्रमाणित नहीं किया जा रहा।

प्रमाण देने के लिए राजनीतिक दलों के पास कुछ है ही नहीं। क्या यह केवल राजनीतिक सत्ता को प्राप्त करने के लिए जनता को भ्रमित करने का षड्यंत्र मात्र है। यह मीमांसा का विषय हो सकता है और होना भी चाहिए।

बात चल रही है राफेल की। इसमें कांग्रेस के नेताओं को समस्या क्या है, उसका मूल भाव सामने अभी तक नहीं आ सका है, लेकिन इसके बारे में देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्णय को एक प्रकार से अस्वीकार करने की मानसिकता निश्चित ही देश में भ्रम पूर्ण वातावरण बनाने का काम कर रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी चुनावी आमसभाओं में खुलेआम रुप से नारे लगवा रहे हैं ‘चौकीदार… चोर है…।

इस प्रकार का नारा लगवाने के पीछे ऐसा लगता है कि यह राहुल गांधी और उनके नेताओं में सत्ता की भूख जाग्रत हो चुकी है। क्योंकि जिस प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कांग्रेसी नेता चोर बताने का प्रयास कर रहे हैं, उनका पूरा परिवार आज भी उसी स्थिति में हैं, जैसी वह पांच साल या पन्द्रह वर्ष पूर्व में था। यहां पन्द्रह वर्ष का जिक्र इसलिए किया गया कि नरेन्द्र मोदी का परिवार गुजरात में निवास करता है और प्रधानमंत्री बनने से पहले मोदी गुजरात के सफल मुख्यमंत्री रहे।

यह सच है कि गुजरात प्रदेश में मुख्यमंत्री के रुप में और अब प्रधानमंत्री के रुप में नरेन्द्र मोदी ने देश में उस मिथक को तोड़ा है, जिसमें कहा जाता था कि सरकार भ्रष्टाचार को समाप्त नहीं कर सकती। झूंठ चाहे जितना बोला जाए, लेकिन सच यही है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजनीतिक भ्रष्टाचार को समाप्त करने की दिशा में अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। इसके विपरीत हम देखें कि पिछली सरकार का कार्यकाल कैसा रहा?

उस समय केन्द्रीय मंत्री भी भ्रष्टाचार के लपेटे में आए। कई पर प्रकरण चला और जेल भी गए। कांग्रेस सहित संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के राजनेताओं में आज भी इतना साहस नहीं है कि वह अपने शासनकाल की उपलब्धियों के आधार पर चुनावी सभा कर सकें।

वर्तमान में देश का राजनीतिक चुनावी वातावरण पूरी तरह से नरेन्द्र मोदी युक्त हो गया है। देश का कोई भी राजनीतिक दल हो, उनका भाषण मोदी के बिना अधूरा ही रहता है। मोदी वर्तमान समय की राजनीतिक धुरी बन गए हैं। आज की राजनीति का यह भी सबसे बड़ा सच है कि नरेन्द्र मोदी ने अपने काम और समर्पण के आधार पर अपने आपको इतना बड़ा कर लिया है कि सब उसके सामने बौने ही दिखाई दे रहे हैं।

विपक्ष का यह बौनापन ही भड़ास निकालने का कारण बनता जा रहा है। हर कोई अपने आपको नरेन्द्र मोदी के बराबर बताने का प्रयास करता दिखाई दे रहा है। उनको संभवत: यही लगता होगा कि जनता उन्हें किसी भी प्रकार से कमजोर नहीं समझे। वास्तविकता क्या है, यह राजनीतिक विश्लेषक भी जानते हैं और आम जनता भी जानती है।

सुरेश हिन्दुस्थानी
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं

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