झारखंड में बिल खोदने वाले मेंढक की प्रजाति

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भारतीय शोधकर्ताओं को झारखंड के छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्र में स्थलीय मेंढक की बिल खोदने वाली प्रजाति मिली है। यह स्पैरोथेका वंश की मेंढक प्रजाति है, जिसे पूर्वी भारत में (नेपाल की दो प्रजातियों को छोड़कर) पाया गया है। स्पैरोथेका वंश के बिल खोदने वाले मेंढ़कों की 10 प्रजातियां दक्षिण एशिया में फैली हुई हैं। झारखंड में कोडरमा जिले के नवाडीह और जौगनी गांव में कृषि क्षेत्रों के आसपास जैव विविधता की खोज से जुड़े अभियानों के दौरान वैज्ञानिकों को मेंढक की यह प्रजाति मिली है। यह मेंढ़क स्पैरोथेका वंश का सबसे छोटा सदस्य है, जिसके थूथन की लंबाई लगभग 34 मिलीमीटर है। दक्षिणी बिहार के प्रचीन भारतीय राज्य मगध के नाम पर वैज्ञानिकों ने मेंढक की इस प्रजाति को स्पैरोथेका मगध नाम दिया है। इस मेंढक का सामान्य नाम बिलकारी (बिल खोदने वाला) मगध मेढ़क रखा गया है। इस मेंढ़क की संबंधित प्रजातियों में से कुछ नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका और पाकिस्तान में पायी जाती हैं। बिल खोदने वाले मेंढक समूह के वैज्ञानिक वर्गीकरण प्रणाली का उपयोग किया है, जिसमें रूपात्मक, वर्गानुवांशिक और भौगोलिक अध्ययन शामिल है।

भारतीय वन्यजीव संस्थान (देहरादून) भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (पुणे), भारत विज्ञान संस्थान (बंगलुरू), बायोडायवर्सिटी रिसर्च ऐंड कन्जर्वेशन फाउंडेशन (सतारा) और बालासाहेब देसाई कॉलेज (पाटन) के शोधकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से किया गया यह अध्ययन शोध पत्रिका रिकॉड ऑफ द जूलोजिकल प्राणी सर्वेक्षण के वैज्ञानिक डॉ. केपी दिनेश ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि उभयचर जीवों से जुड़े अधिकांश अध्ययन वन क्षेत्रों में किए जाते हैं और शहरी उभयचर विविधता की ओर कम ध्यान दिया जाता है।

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