जार्ज फर्नांडीस जब 1967 में पहली बार लोकसभा में चुनकर आए तो सारे देश में उनके नाम की धूम मची हुई थी। वे बंबई के सबसे लोकप्रिय मजदूर नेता थे। उन्होंने कांग्रेस के महारथी एस के पाटील को मुंबई में हराया था। तब जार्ज संसोपा के उम्मीदवार थे। संयुक्त समाजवादी पार्टी के नेता थे, डॉ. राममनोहर लोहिया। लोहियाजी ने डॉ. परिमलकुमार दास और मेरी ड्यूटी लगाई कि हम दोनों जाएं और जार्ज को नई दिल्ली स्टेशन से लेकर आएं। जार्ज को हमने ला कर साउथ एवेन्यू में राजनारायणजी के घर छोड़ा। जार्ज के दिल्ली आते ही हमारी गतिविधियां तेज़ हो गईं। मधु लिमए, किशन पटनायक, मनीराम बागड़ी, रामसेवक यादव, लाडलीमोहन निगम, कमलेश शुक्ल, श्रीकांत वर्मा आदि हम लोग डॉ. लोहिया के घर पर अक्सर मिला करते थे और लोहियाजी के आंदोलनों को फैलाने पर विचार किया करते थे।
स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के साथ चले मेरे शोधग्रंथ को हिंदी में लिखने के विवाद पर जार्ज ने मेरा डटकर समर्थन किया। अंग्रेजी हटाओ, जात तोड़ो, भारत-पाक एका, रामायण-मेला, दाम-बांधो आदि कई आंदोलनों में जार्ज ने नई जान फूंक दी। जार्ज को 214, नार्थ एवन्यू का फ्लैट मिला। 216 नंबर में अर्जुनसिंहजी और सरलाजी भदौरिया पहले से रहते थे। भदौरियाजी की बरसाती में कमलेशजी रहते थे। मैं सप्रू हाउस में रहता था। जब डॉक्टर लोहिया बीमार पड़े तो वे विलिंगडन अस्पताल में भर्ती थे। उन दिनों जार्ज के साथ घनिष्टता बढ़ गई। जार्ज बेहद सादगी पसंद इंसान थे। वे अक्सर मुसा हुआ कुर्ता-पाजामा पहने रहते थे। मंत्री बनने पर भी उनकी वेश-भूषा, खान-पान और रहन-सहन में कोई फर्क नहीं आया था। मंत्री बनते ही उन्होंने कोका-कोला और आइबीएम पर प्रतिबंध लगा दिया। एनडीए सरकार में मंत्री बनने पर उन्हें कृष्णमेनन मार्ग का बंगला मिला, जिसके सामने के दरवाजे और खिड़कियां उन्होंने निकलवा दिए थे, क्योंकि उस सड़क पर से जब कोई वीआईपी निकलता तो सुरक्षाकर्मी उन्हें बंद करवा देते थे। आपातकाल के दिनों में वे सरदारजी का भेस धारण करके घूमते थे। उसके सालाना अभिभावक समारोह में ये दोनों बड़े समाजवादी नेता साधारण अभिभावकों की तरह बैठे रहते थे। हमारे वरिष्ठ और प्रिय साथी जार्ज फर्नांडिस को मेरी हार्दिक श्रद्धांजलि !
डॉ. वेदप्रताप वैदिक
(लेखक वरिष्ठ चिंतक हैं)