याद आता है जनार्दन द्विवेदी का वह बयान जिसने उन्हें कांग्रेस में “खलनायक” बना दिया था। 2014 का चुनाव हारने के बाद कांग्रेस के इस तत्कालीन महासचिव ने इतना ही तो कहा था – ‘ मोदी लोगों को यह समझाने में कामयाब रहे कि सामाजिक नजरिये से वह भारतीय नागरिकों के बेहद करीब हैं । उनकी जीत भारतीयता की जीत है।’ जब उन के इस बयान पर कांग्रेस पार्टी में बवाल खड़ा हुआ तो उन्होंने कहा कि 2014 का नतीजा मोदी या भाजपा की जीत नहीं है बल्कि यह कांग्रेस की हार है।
तब जनार्दन द्विवेदी को अलग थलग कर दिया गया। वह सोशलिस्ट पृष्ठभूमि के विचारक हैं। वे श्रीकांत वर्मा के जरिए कांग्रेस में आए थे। राजीव गांधी के वक्त उनका बहुत महत्व था इसलिए वह गांधी परिवार के निकटतम सदस्य बने रहे। सिर्फ नरसिंह राव के कार्यकाल में वे कांग्रेस दफ्तर के एक कौने में थे। इस के बावजूद चापलूसों ने सोनिया गांधी के कान भर कर उन्हें राजनीतिक बनवास में भेज दिया। राहुल गांधी ने तो कांग्रेस महासचिव पद से हटाने के बाद उन्हें कांग्रेस कार्यसमिति से भी निकाल बाहर किया।
कांग्रेस ने 2002 में नरेद्र मोदी के खिलाफ नकारात्मक राजनीति शुरू की थी। आज 2019 में कांग्रेस वहीं की वहीं खडी है जबकि मोदी कहां से कहां पहुंच गए। जनार्दन द्विवेदी ने कांग्रेस को सोचने और मंथन करने का मौक़ा दिया था कि मोदी को “खलनायक” की तरह पेश करने से कांग्रेस को कुछ हासिल नहीं होगा। कांग्रेस अगर 2014 में जनार्दन द्विवेदी के इशारे को समझ कर मंथन करती तो शायद आज उस की यह हालत नहीं होती।
अब राजीव गांधी के ही करीबी समझे जाने वाले कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी लगभग वही बात कही है जो पांच साल पहले जनार्दन द्विवेदी ने कही थी। बुधवार को जयराम रमेश ने कहा – “ हर वक्त मोदी को “खलनायक” की तरह पेश करने से कुछ हासिल नहीं होगा। काम हमेशा अच्छा, बुरा या मामूली होता है। काम का मूल्यांकन व्यक्ति नहीं बल्कि मुद्दों के आधार पर होना चाहिए। जैसे मोदी सरकार की उज्ज्वला योजना कुछ अच्छे कामों में एक है।” लगभग यही बात कुछ दिन पहले भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने भी कही थी।
अपन को याद है कि जब जनार्दन द्विवेदी ने साफगोई से बात कही थी तो कांग्रेस के मीडिया सेल के प्रभारी अजय माकन कैसे उन पर टूट पड़े थे। अब जयराम रमेश का क्या हश्र होगा यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन कांग्रेस के अनेक नेता अब यह महसूस करने लगे हैं कि जनार्दन द्विवेदी और जयराम रमेश कांग्रेस को “नायक” और “खलनायक” वाली राजनीति से बाहर ला कर मुद्दा आधारित राजनीति की ओर ले जाना चाहते हैं।
कांग्रेस के नेता अब यह भी महसूस करने लगे हैं कि मोदी सरकार के हर किसी फैसले का आँख मूँद कर विरोध करना बंद किया जाना चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की जयराम रमेश के बयान पर आई प्रतिक्रिया इस ओर इशारा करती है। सिंघवी ने अपने ट्विट में लिखा –“ मैंने हमेशा कहा है कि मोदी को खलनायक की तरह पेश करना गलत है।” वैसे अपन ने हमेशा उन के मुहं से मोदी के बारे में नकारात्मक ही सुना है।
सोशल मीडिया पर चर्चा है कि जयराम रमेश और सिंघवी भाजपा में शामिल होने के इशारे कर रहे हैं। लेकिन अपन ऐसा नहीं मानते , क्योंकि भाजपा में जाने वाले ठोक बजा कर भुवनेश्वर कलिता की तरह जाते हैं। जिन्होंने बाकायदा 370 पर कांग्रेस के स्टैंड को गलत बताते हुए कांग्रेस छोडी। कांग्रेस के अनेक नेता मानते हैं कि 370 पर बोल्ड स्टेंड ले कर मोदी देश की जनता की निगाह में “नायक” बन चुके हैं, जबकि कांग्रेस के स्टेंड पर पार्टी की फजीहत हो रही है।
भुवनेश्वर कालिता ने तो इस मुद्दे पर पार्टी ही छोड़ दी , जबकि जनार्दन द्विवेदी , कर्णसिंह , ज्योतिरादित्य सिंधिया , भूपेन्द्र सिंह हुड्डा जैसे अनेक नेताओ ने मोदी के फैसले को ठीक बताया है , इसके बावजूद कांग्रेस पुनर्विचार को तैयार नही है , अलबत्ता 370 हटाने को गलत बताते हुए 21 अगस्त को धरने में शामिल हुई।
अजय सेतिया
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं…