बढ़ती जनसंख्या जहां देश विकास के साथ-साथ पर्यावरण को प्रभावित कर रही है, वहीं उससे बेरोजगारी को बढ़ावा मिल रहा है। उार प्रदेश में घटते जनघनत्व को देखते हुए प्रदेश की योगी सरकार चाहती है कि प्रदेश की जनसंया को स्थिर किया जाए। जिससे प्रदेश का समुचित रूप से विकास हो सके। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को विश्व जनसंख्या दिवस पर उार प्रदेश जनसंख्या नीति 2021-2030 का विमोचन करते हुए दावा किया है कि समाज के विभिन्न तबकों को ध्यान में रखकर प्रदेश सरकार इस जनसंख्या नीति को लागू करने का काम कर रही है। जनसंख्या नीति का संबंध केवल जनसंख्या स्थिरीकरण के साथ ही नहीं है बल्कि सरकार हर नागरिक के जीवन में खुशहाली और समृद्धि चाहती है। प्रदेश के 11 जनपदों में प्रयोगशाला व ऐप का उद्घाटन करते हुए लोगों को जागरूक कर रही है। उम्मीद जताई जा रही है नई जनसंया नीति के तहत प्रदेश में जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने का ऐलान भी सीएम योगी कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य है जहां की आबादी सर्वाधिक है, इसे नियंत्ररण करना जरूरी हो गया है।
इसी बाबत प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह का यह कहना कि बढ़ती हुई जनसंख्या से पर्यावरण पर असर पड़ता है, संसाधनों पर जोर पड़ता है। उन्का लक्ष्य है कि 2052 तक उार प्रदेश में जनसंख्या को स्थिर करना है। इस बात का प्रतीक है कि सरकार जनसंख्या नियंत्रण सत कदम उठा सकती है। जनसंया नियंत्रण कानून को लेकर शुरू हुई योगी सरकार की पहल को केंद्रीय मंत्री मुतार नकवी का भी समर्थन मिला है। उनका यह कहना कि जनसंया नियंत्रण कानून देश और वक्त की जरूरत है, अगर उत्तर प्रदेश इस दिशा में जागरूकता के लिए काम कर रहा है तो इसका स्वागत होना चाहिए। उनके इस संदेश से मुस्लिम समुदाय के लोगों पर प्रभाव पड़ेगा। वह भी वक्त के साथ चले, और बढ़ती जनसंख्या के प्रति गंभीरता से सोचे। राज्य सरकार के द्वारा तैयार किए गए डाक्ट के लागू होने पर भविष्य में जिनके दो से ज्यादा बच्चे होंगे, उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। ऐसे लोग कभी चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। ऐसे व्यक्ति स्थानीय निकाय और पंचायत का चुनाव भी नहीं लड़ सकते। इसके अलावा राशन कार्ड में भी चार से अधिक सदस्यों के नाम नहीं लिखे जाएंगे।
यह नीति अमल में आने के बाद स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से नवजात मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर को कम करने का प्रयास होगा। साथ ही नपुंसकता-बांझपन की समस्या के समाधान उपलब्ध कराते हुए जनसंया रोकने के प्रयास भी किए जाएंगे। नई नीति में 11 से 19 साल के किशोरों के पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य के बेहतर प्रबंधन करने पर जोर होगा। नागरिकों में जागरूकता पैदा करने के लिए जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित पाठ्यक्रम स्कूलों में पढ़ाए जाने का सुझाव भी दिया है। कानून लागू होने के बाद यदि किसी महिला को दूसरी प्रेग्नेंसी में जुड़वा बच्चे होते हैं, तो वह कानून के दायरे में नहीं आएंगी। कानून के मौजूदा ड्राक्ट के मुताबिक ये विधेयक राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से एक साल बाद लागू होगा। एक से ज्यादा शादी के मामले में, बच्चों की सही संख्या जानने के उद्देश्य से प्रत्येक जोड़े को एक विवाहित जोड़े के रूप में गिना जाएगा। सरकारी डाक्ट का उद्देश्य जनता में जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रेरण करना है, जिससे बढ़ती जनसंक्या को रोका जा सके। प्रदेश सरकार के इस प्रयास को सफल बनाने के लिए जनजागरूकता जरूरी है, जिसके प्रयास किए जाने चाहिए।