जजों की नियुक्ति : सुधार का मौका

0
324

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने विधानसभा स्पीकर, उपमुख्यमंत्री, दो सांसद और कई पूर्व विधायकों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज करवाई है, जिसकी जांच अब सीबीआई को सौंप दी गई है। उप्र, बिहार भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात हैं, लेकिन आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में राजनीतिक भ्रष्टाचार को संस्थागत मान्यता मिलने के बाद इसने कॉर्पोरेट शक्ल अख्यितार कर ली है। जगन भी भ्रष्टाचार के सरताज रहे हैं जो अनेक आपराधिक मामलों में डेढ़ साल जेल में रहने के बाद अब जमानत पर बाहर आकर मुख्यमंत्री बन गए हैं। जगन के खिलाफ चल रहे मुकदमों में यदि जल्द फैसला आया तो उन्हें फिर जेल जाना पड़ सकता है। इसलिए पूरी आक्रामकता से हमला करके जगन खुद को बाहुबली व जननायक दिखाने की कोशिश में हैं।

चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखकर हाईकोर्ट के जजों पर भ्रष्टाचार का आरोप राजनीतिक अस्तित्व के वाटर लू में जगन ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखकर जजों पर भ्रष्टाचार व कदाचार के आरोपों का बम फोड़ा है। मुख्यमंत्री के पत्र बम का सार यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान जज के इशारे पर हाईकोर्ट के जज राज्य सरकार को परेशान कर रहे हैं। जगन ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज के परिजनों पर मनी लॉन्ड्रिंग और बेनामी संपत्ति अर्जित करने के गंभीर आरोप लगाए हैं। इसके पहले भी न्यायपालिका पर कई बार उंगलियां उठी हैं। लेकिन किसी राज्य के निर्वाचित मुख्यमंत्री ने पहली बार जजों पर भ्रष्टाचार व अनुचित हस्तक्षेप के गंभीर आरोप लगाए हैं। इससे देश की संघीय व्यवस्था के साथ संविधान चलाने वालों की विश्वसनीयता भी संकट में दिखने लगी है।

विवाद ने कई चीजों को सामने ला दिया इस पूरे विवाद से सरकार, जज, भू-माफिया और मीडिया की सड़ांधता के कई पहलूओं की संवैधानिक स्वीकारोक्ति हो रही है। मुख्यमंत्री व जजों समेत सभी लोग संविधान की दुहाई देकर खुद को धर्मावतार घोषित कर रहे हैं। लेकिन जनता से कानून पर भरोसे की बात करने वाली ताकतें, खुद को बेदाग़ बताने के लिए मनमाफिक जांच एजेंसियों के घोड़ों पर ही दांव लगाने को तैयार हैं। सुशांत की तर्ज पर इन मामलों में स्वतंत्र और पारदर्शी जांच और कार्रवाई हो तो आंध्र के साथ पूरे देश की किस्मत सुधर सकती है। सुशासन के नाम पर की जा रही इस संवैधानिक लड़ाई की पटकथा छह साल पहले शुरू हुई थी। विभाजन के बाद तेलंगाना के हिस्से में हैदराबाद राजधानी आई और आंध्र को नई राजधानी बनाने के लिए 10 साल का समय मिला।

तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने विश्व बैंक के लोन से 1 लाख करोड़ के अमरावती राजधानी के ड्रीम प्रोजेक्ट को लॉन्च कर दिया। 50 हजार एकड़ से ज्यादा जमीन के प्रोजेक्ट में 70% भूमि अधिग्रहण होने के बाद भू माफिया व ठेकेदारों की लॉबी ने अमरावती प्रोजेक्ट पर लाखों करोड़ का दांव लगा दिया। 2019 के चुनावों में चंद्रबाबू नायडू ने अमरावती को विश्व की 5 सबसे बेहतरीन राजधानियों में शुमार करने का ऐलान किया, पर दुर्योग से जनता ने उन्हें नकार दिया। अमरावती प्रोजेक्ट रद्द करके तीन शहरों में राजधानी का नया शिगूफा सत्ता विरोधी लहर और सोशल मीडिया के दम पर चुनाव जीतने वाले जगन ने अमरावती प्रोजेक्ट को कैंसिल करके तीन शहरों में नई राजधानियों का शिगूफा छोड़ दिया। इनके माध्यम से क्षेत्रवाद का सफल कार्ड खेलने के साथ जगन अपने आर्थिक साम्राज्य को भी मजबूत करने की फिराक में हैं। उन्होंने ओबीसी समेत अनेक वर्गों के लिए लोकलुभावन फैसले लिए। कई जांच बिठाकर चंद्रबाबू को शांत करने की जुगत भिड़ाने के बाद जब जगन ने न्यायपालिका को भी शिकंजे में लेने की कोशिश की तो यह बवंडर खड़ा हो गया।

जगन का आरोप है कि 100 नीतिगत मामलों पर हाईकोर्ट के अनावश्यक हस्तक्षेप की वजह से राज्य सरकार जनहित में लिए गए फैसलों को लागू नहीं करा पा रही, साथ ही राजधानी प्रोजेक्ट के मामले में अनेकों पीआईएल के माध्यम से सरकार पर अनुचित न्यायिक दबाव बनाया जा रहा है। जजों के रिश्तेदारों के खिलाफ हुई एफआईआर की मीडिया रिपोर्टिंग पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है, फिर भी सोशल मीडिया में उन मामलों पर संगठित अभियान जारी है। सोशल मीडिया के माध्यम से विक्टिम कार्ड खेलते हुए जगन अपनी लड़ाई को जनता की लड़ाई में तब्दील करने की कोशिश में जुटे हैं। जगन द्वारा खेला जा रहा यह रूपक भारतीय लोकतंत्र में नेताओं का सबसे लोकप्रिय और सफल ब्रह्मास्त्र है।
विवाद का सबसे गंभीर पहलू, जजों पर राजनीतिक संलग्नता के गंभीर आरोप हैं, जिनपर सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए। पांच साल पहले एनजेएसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम व्यवस्था को सड़ांधपूर्ण बताया था। जगन के पत्र के बाद दोषियों को दंडित करने के साथ, जजों की नियुक्ति की व्यवस्था को भी पारदर्शी बनाना होगा। क्योंकि निर्वाचित सरकारों पर संवैधानिक अंकुश और लोकतंत्र की सफलता के लिए निष्पक्ष और प्रभावी न्यायपालिका पूरे देश की जरूरत है।

विराग गुप्ता
(लेखक सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं ये उनके निजी विचार हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here