चूडिय़ां किसी भी धातु से बनी हों, लेकिन अंत में वह हाथों की सुंदरता को बढ़ाने के लिए ही उपयोग में आती हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से चूडिय़ां जिस धातु से बनी होती हैं, उसका उसे पहनने वाली महि ला के आसपास के वातावरण तथा स्वयं उसके स्वास्थ्य पर भी बराबर का असर होता है। चूडिय़ां पहनने के धार्मिक महत्व के साथ-साथ उनके वैज्ञानिक लाभ भी हैं। जानते हैं उनके बारे में। शारीरिक रूप से महिलाएं पुरुषों की तुलना अधिक नाजुक होती हैं। स्त्रियों के शरीर की हड्डियां भी काफी नाजूक रहती हैं। चूडिय़ां पहनने के पीछे स्त्रियों को शारीरिक रूप से शक्ति प्रदान करना मुख्य उद्देश्य है। पुराने समय में स्त्रियां सोने या चांदी की चूडिय़ां पहनती थी। सोना और चांदी लगातार शरीर के संपर्क में रहने से इन धातुओं के गुण शरीर को मिलते रहते हैं। आयुर्वेद के अनुसार सोने-चांदी की भस्म शरीर को बल प्रदान करती है। सोने-चांदी के घर्षण से शरीर को इनके शक्तिशाली तत्व प्राप्त होते हैं, जिससे महिलाओं को स्वास्थ्य लाभ मिलता है और वे अधिक उम्र तक स्वस्थ्य रह सकती हैं। एक अन्य मान्यता के अनुसार महिलाएं जब घर में काम करती हैं तो चूडिय़ों की आवाज से घर की नकारात्मक ऊर्जा बेअसर हो जाती है। सकारात्मकता बढ़ती है।
धार्मिक मान्यता यह है कि जो विवाहित महिलाएं चूडिय़ां पहनती हैं, उनके पति की उम्र लंबी होती है। इसी वजह से विवाहित स्त्रियों के लिए चूडिय़ां पहनना अनिवार्य है।
चूडिय़ां पहनने के वैज्ञानिक फायदे
1. कलाई के नीचे से लेकर 6 इंच तक में जो एक्यूपंचर पॉइंट्स होते हैं, इन्हें समान दबाव से दबाए जाने पर शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बना रहता है।
2. चूड़ी हाथ में घर्षण करती है। इससे हाथों का रक्त संचार बढ़ता है। विज्ञान के अनुसार यही घर्षण ऊर्जा बनाए रखता है और थकान को मिटाने में सहायक होता है।
3. हाथों में चूड़ी पहनना सांस के रोग और दिल की बीमारी की आशंकाओं को काफी हद तक घटाता है। चूड़ी पहनने से मानसिक संतुलन बना रहता है।
4. वहीं विज्ञान का मानना है कि कांच की चूडिय़ों की ध्वनि से वातावरण में उपस्थित नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।