गुरु प्रदोष व्रत

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भगवान भोलेनाथ की आराधना से होगी सौभाग्य व विजय की प्राप्ति
प्रदोष व्रत से मिलती है भगवान शिवजी की विशेष अनुकम्पा

भगवान शिवजी की पूजा-अर्चना अपने-अपने तरीके से हर आस्थावान धर्मावलम्बी पुण्य अर्जित करने के लिए करते हैं। तौंतीस कोटी देवी-देवताओं में भगवान शिव को देवाधिदेव महादेव मना गया है। इसकी कृपा से जीवन में भौतिक सुख, ऐश्वर्य, वैभव, सौभाग्य व विजय की प्राप्ति होती है। भगवान शिवजी की विशेष अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए शिवपुराण में विविध व्रतों का उल्लेख है। जिसमें प्रदोष एवं शिवरात्रि व्रत प्रमुख रूप से हैं। प्रदोष व्रत से दुःख दारिद्रय का नाश होता है। जीवन में सुख-समृद्धि खुशहाली आती है, साथ ही जीवन के समस्त दोषों का शमन भी होता है। प्रत्येक माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि जो प्रदोष बेला में मिलती हो, उसी दिन प्रदोष व्रत रखाजाता है। इस बार 26 सितम्बर, गुरुवार को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि आश्विन कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि सितम्बर, गुरुवार को दिन में 11 बजकर 03 मिनट पर लगेगी। जो कि 27 सितम्बर, शुक्रवार को प्रातः 7 बजकर 32 मिनट तक रहेगी।

प्रदोष व्रत की विधि – ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि व्रतकर्ता को प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्ति होना चाहिए। अपने इष्ट देवी-देवताओं की पूजा अर्चना के पश्चात अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गन्ध व कुश लेकर प्रदोष व्रत का संकल्प लेना चाहिए। व्रतकर्ता को दिनभर निराहार रहना चाहिए। सायंकाल पुनः स्नान करके यथासम्भव धुले हुए या स्वच्छ वस्त्र धारण कर प्रदोष काल में श्रद्धा भक्ति व आस्था के साथ भगवान शिवजी की विधि-विधान पूर्वक पंचोपचार, दशोपचार अथवा षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए। भगवान शिवजी का अभिषेक करके उन्हें वस्त्र, यज्ञोपवीत, आभूषण, सुगन्धित द्रव्य के साथ बेलपत्र, कनेर धरूता, मदार, ऋतुपुष्प, नैवेद्य आदि अर्पित करके धूप-दीप के साथ पूजा-अर्चना पूर्व दिशा या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करनी चाहिए। शिवभक्त अपने मस्तिष्क पर भस्म और तिलक लगाकर शिवजी की पूजा करें तो पूजा विशेष लाभदायी होती है। भगवान शिवजी की महिमा में शिवमन्त्र का जन तथा स्कन्दपुराण में वर्णित प्रदोष स्तोत्र का पाठ एवं प्रदोष व्रत कथा का पठन या श्रवण अवश्य करना चाहिए। इससे मनोकामना की पूर्ति होती है। व्रत से सम्बन्धित कथाएं सुननी चाहिए। यह व्रत महिलाएं एवं पुरुष दोनों के लिए शुभ फलदायी है। इस दिन अपनी दिनचर्या सुव्यवस्थित रखते हुए भगवान शिवजी की आराधना करनी चाहिए। शिवजी की महिमा में रखे जाने वाला प्रदोष व्रत जीवन के समस्त दोषों का शमन करके सफलता का यथाशक्ति ब्राह्मणों को दान तथा बेसहारा एवं असहायों की सेवा व सहायता करनी चाहिए। शिवजी की महिमा में रखे जाने वाला प्रदोष व्रत जीवन के समस्त दोषों का शमन करके सफता का मार्ग प्रशस्त करता है।

वार के अनुसार प्रदोष व्रत का लाभ – ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी बनताया कि शास्त्रों के मुताबिक प्रदोष व्रत का प्रत्येक वार के अनुसार अलग-अलग फल मिलता है। जो इस प्रकार है- रवि प्रदोष – आयु, आरोग्य, सुख समृद्धि, सोम प्रदोश –शान्ति, रक्षा तथा आरोग्य व सौभाग्य में वृद्धि, भौम प्रदोष – कर्ज से मुक्ति, बुध प्रदोष – मनोकामना की पूर्ति, गुरु प्रदोष – विजय व लक्ष्य की प्राप्ति, शुक्र प्रदोष-आरोग्य, सौभाग्य एवं मनोकामना की पूर्ति, शनि प्रदोष – पुत्र सुख की प्राप्ति।

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