गीता सार

0
352

अपने आपको भगवान को अर्पित करो। यही सबसे उत्तम सहारा है जो इसके सहारे को जानता है वह भय, चिन्ता, शोक, शोक से सर्वदा मुक्त रहता है। जैसे मनुष्य अपने पुराने वस्त्रों को उतारकर दूसरे नए वस्त्र धारण करता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here