गीता सार

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जैसे मनुष्य अपने पुराने वस्त्रों को उतारकर दूसरे नए वस्त्र धारण करता है। वैसे ही जीव मृत्यु के बाद अपने पुराने शरीर को त्यागकर नया शरीर प्राप्त करता है।

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