क्या ऐसे खत्म होगा देश में भ्रष्टाचार

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पिछले सप्ताह सरकार ने दर्जन भर आयकर अधिकारियों को नौकरी से निकाला और अब केंद्रीय सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क विभाग के 15 अफसरों को निकाल बाहर किया है। ये वे अफसर हैं, जिनके भ्रष्टाचार के विरुद्ध जांच बैठी हुई है। इन अफसरों पर रिश्वत लेने, जबरन वसूली, आय से कहीं अधिक संपत्ति जमा रखने आदि के आरोप हैं। इन सारे अफसरों को सरकार के बुनियादी नियमों की धारा 56 ए के तहत सेवा-निवृत्त किया गया है।

नई सरकार ने अपने शुरुआती दौर में ही यह कठोर कदम उठाकर अपने अफसरों को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि वह भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेगी। मेरे विचार में यह संदेश तो ठीक है और इसका स्वागत भी है लेकिन इस संदेश का क्या कुछ ठोस असर भी होगा या वह सिर्फ कागजी गोला बनकर रह जाएगा ?

जिन अफसरों को सेवा-निवृत्त किया गया है, उनकी आयु 50 के आस-पास है। यदि वे बाकायदा नौकरी करते रहते तो 10-12 साल में उन्हें जितना वेतन मिलता रहता, उसका कई गुना तो उन्होंने भ्रष्ट तरीकों से हड़प लिया है। उन्होंने जितनी रिश्वतें खाई हैं, उनका ब्याज ही उनकी तनखा से ज्यादा होगा। इसके अलावा उन्हें पेंशन भी मिलती रहेगी। इस बीच रिश्वत देनेवाली कंपनियां भी उन्हें लुका छिपाकर नौकरियां दे सकती हैं।

ऐसे अफसरों को सिर्फ नौकरी से निकाल देना काफी नहीं है। इस कार्रवाई से अन्य युवा अफसरों की नसों में कोई डर दौड़ेगा क्या ? बिल्कुल नहीं। वे बदनामी की भी कोई परवाह नहीं करेंगे। तब क्या किया जाए ? लक्ष्य सिर्फ भ्रष्टाचारियों को दंडित करना ही नहीं हो बल्कि ऐसे प्रावधान करना है, जिससे भविष्य में भ्रष्टाचार करनेवालों की हड्डियों में भी कंपकंपी दौड़ जाए।

भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी हुई नौकरशाही की शुद्धि हो। यह कैसे होगी ? इसके लिए पहला काम तो यह हो कि इन भ्रष्ट अफसरों के बड़े-बड़े फोटो और परिचय देश के प्रमुख अखबारों और चैनलों पर प्रचारित किए जाएं। दूसरा, इनकी और इनके परिजन की समस्त अवैध चल-अचल संपत्तियां जब्त की जाएं।

तीसरा, इन्हें एक पैसा भी पेंशन के रुप में न दिया जाए। इनके अलावा इनमें से कुछ गंभीर अपराधियों को जेल की हवा भी खिलाई जा सकती है। यह सब तो करें ही, लेकिन इनके साथ-साथ नेता लोग भी खुद को स्वच्छ रखने की भरसक कोशिश करें। उनके मातहत नौकरशाहों में उनके आचरण के कारण ही भ्रष्टाचार करने का दुस्साहस पैदा हो जाता है।

डॉ. वेदप्रताप वैदिक
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं

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