कहानी – सांसों की कीमत

0
1416

जिन्दगी के सच को बयां करती हिंदी कहानी, दुलीचंद नगर के सबसे अमीर लोगों में से थे। पैसा तो बहुत कमाया लेकिन मान सम्मान नहीं कमा पाए। कहने को तो इतना पैसा था कि पूरा नगर खरीद लेते लेकिन कभी किसी जरूरतमंद की मदद नहीं की। धीरे धीरे दुलीचंद ने 50 करोड़ की संपत्ति इकट्ठी कर लीए दिन रात सोच सोच कर बहुत खुश होता कि मेरे पास 50 करोड़ रुपये हैं। दुलीचंद ने पूरा जीवन केवल पैसे कमाने में निकाल दियाए ना कभी अच्छे कपड़े पहने और ना ही कभी कोई शौक पूरा किया। पैसे कमाने का जूनून इस कदर सवार था अपने खुद के जीवन की कोई सुध बुध ना रही, बस पैसा ही दुलीचंद का जीवन बन चुका था।

एक रात को कमरे में दुलीचंद आराम से सोये हुए थे, अचानक वहां यमराज का दूत आया

दूत बोला, तुम्हारी उम्र पूरी हो चुकी है, तुम्हें यमराज ने बुलाया है

दुलीचंद, लेकिन मैंने तो अभी जीवन सही से जिया भी नहीं है, कृपया मुझे मत ले जाइये

दूत, नहीं तुम्हें जाना होगा

दुलीचंद, मेरे पास बहुत पैसा है मैं तुम्हें 10 करोड़ दूंगा मुझे 1 साल और जीने दो

दूत नहीं माना

दुलीचंद बेचारा गिड़गिड़ाते हुए बोला, मैं 20 करोड़ दूंगा मुझे 1 महीना जीने दो

दूत फिर भी नहीं माना

दुलीचंद दया की भीख मांग रहा था, मैं पूरे 50 करोड़ दे दूंगा मुझे 1 घंटा और जीने दो

दूत फिर भी नहीं माना

दुलीचंद, ठीक है मैं एक पत्र लिखना चाहता हूँ, मुझे बस एक पत्र लिख लेने दो

दूत मान गया

दुलीचंद ने तेजी से कलम उठाई और एक पत्र लिखा

ये पत्र जिस किसी को भी मिले वो मेरा ये सन्देश लोगों को बताये

ने पूरा जीवन मेहनत करके 50 करोड़ रूपए इकट्ठे किये लेकिन इतनी बड़ी रकम से भी मैं अपने जीवन का 1 घंटा भी नहीं खरीद सका। इस जीवन का हर क्षण अमूल्य है, इसकी कोई कीमत नहीं है। जब तक जीवन हैं भूरपूर जियें दूसरों की मदद करें, हमेशा खुश रहें। बीता समय कभी वापस नहीं आता, आप अपनी पूरी संपत्ति देकर भी अपने जीवन का बीता समय नहीं खरीद सकते

दुलीचंद का ये पत्र वाकई दिल छू लेने वाला है, ये सन्देश केवल एक कहानी नहीं है बल्कि ये सन्देश जीवन की सच्चाई है। आप कितने भी पैसे कमा लें लेकिन जीवन का एक पल भी आप नहीं खरीद सकते। ये जीवन तो अमूल्य है, भरपूर जियें…

– सुदेश वर्मा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here