कश्मीरः पाक बने भारत-जैसा

0
166

पाकिस्तान जिसे ‘आजाद कश्मीर’ कहता है, उस कश्मीर के बारे में हमारे रक्षा मंत्री, गृहमंत्री और विदेश मंत्री ने इतने बढ़ चढ़कर बयान दिए हैं कि पाकिस्तान में उनकी तीखी प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक है लेकिन जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जो बात कही है, उसमें काफी गहराई, दूरदर्शिता और प्रासंगिकता है। उन्होंने कहा है कि तथाकथित ‘आजाद कश्मीर’ पर हमें कब्जा करने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी, बशर्ते कि हम हमारे कश्मीर के लोगों को इतना खुशहाल कर दें कि उन्हें देखकर पाकिस्तानी कश्मीर के लोग खुद ही यह कहने के लिए उठ खड़े होंगे कि हिंदुस्तानी कश्मीर में हमें मिलना है।

यह ऐसा इरादा है, जो दोनों मुल्कों के बीच युद्ध और मुठभेड़ की बात को पीछे धकेलता है। इसके अलावा डेढ़ माह से प्रतिबंधों में फंसे कश्मीरियों के लिए यह बात ताज़ा हवा के झोंके की तरह है। दोनों कश्मीर मिलें या न मिलें, हमारे कश्मीरियों को राहत तो मिलेगी ही। लगभग यही बात मैंने 1983 में पाकिस्तान की एक संगोष्ठी में कही थी। इस्लामाबाद के ‘इस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रेटजिक स्टडीज’ में हुए मेरे भाषण की अध्यक्षता पूर्व विदेश मंत्री आगा शाही कर रहे थे।

मैंने कहा था कि मैं अलगाव के विरुद्ध हूं। क्या आप वहां जनमत-संग्रह करवाने के लिए तैयार हैं ? सब चुप रहे। उस गोष्ठी में कई विद्वान, पूर्व राजदूत और संपादक लोग बैठे थे। किसी ने उठकर कहा कि पहले आप अपना कश्मीर पाकिस्तान के हवाले कीजिए। मैंने कहा कि मैं भारत का प्रधानमंत्री होता तो जरुर कर देता लेकिन उसके पहले आपसे पूछता कि क्या आपके कश्मीर की हालत हमारे कश्मीर से बेहतर है ? उन्हीं दिनों पाकिस्तान के एक कश्मीरी लेखक की किताब बहुत चर्चित हुई थी, उसमें उसने लिखा था कि गर्मियों में हमारा कश्मीर एक विराट वेश्यालय बन जाता है।

मैंने कहा कि ऐसी हालत में अपनी कश्मीरी माताओं और बहन-बेटियों को हम आपके हाथों में कैसे सौंप सकते हैं ? क्या आपने अब तक पाकिस्तान को इस लायक बनाया है कि भारत के करोड़ों न सही, हजारों-लाखों मुसलमान हम से कहें कि हम भारत छोड़कर पाकिस्तान में रहना चाहते हैं। मैं तो चाहता हूं कि पाकिस्तान इतना उदार, शांत, सबल और समृद्ध देश बने कि वहां से भारत आए हिंदू भी चाहें कि वे वहां लौटें या नए लोग भी वहां जाएं।

भारत अपनी सभी कमियों और बुराइयों के बावजूद इस लायक बन गया है कि बांग्लादेश, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका के कई लोग आकर भारत में रहना चाहते हैं। वे मुसलमान हैं या बौद्ध हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। पाकिस्तान भी भारत की तरह बन सकता है लेकिन कश्मीर के फर्जी मुद्दे ने दोनों देशों के बीच जबर्दस्त तनाव का माहौल बना रखा है। पाकिस्तान की अर्थ-व्यवस्था को चौपट कर रखा है। बेहतर हो कि जनरल मुशर्रफ ने अपने आखिरी दौर में जो चार-सूत्री समझ तैयार की थी, उस पर दोनों देश सार्थक संवाद शुरु करें।

डॉ. वेदप्रताप वैदिक
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here