जब तक तोताराम का हमारे यहां अवतरण है तब तक प्रायः बरामदे में हमारी प्राण-प्रतिष्ठा हो चुकी होती है। चाय आने वाली थी कि लगा तोताराम कुछ बड़बड़ा रहा है। ध्यान से सुना तो शब्द कुछ स्पष्ट हुए .. दरवाज़ा बंद दरवाज़ा बंद। ऐसे में यही होगा। और करो दरवाज़ा बंद। हमने कहा- बंधु, दरवाज़ा बंद करना तो बहुत बड़ी बात है, हम तो आपके स्वागत में पहले से बरामदे में पलक-पांवड़े बिछाए रहते हैं। फिर यह ताना कि सको मार रहे हो ? बोला- मैं स्वच्छ-भारत योजना की बात कर रहा हूं। पूरे चार साल अमिताभ बच्चन से ‘दरवाज़ा बंद’ गवाते रहे। अब देख लिया न दरवाज़ा बंद करने का नतीज़ा। हमने कहा- मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने से पहले की बात और थी कि लोग बेशर्मी से खुले में गर्दन झुकाकर क हीं भी निवृत्त हो लिया करते थे। बोला- तभी तो ऐसी घटनाएं नहीं हुआ करती थीं। अब देखो, जब चाहे कोई न कोई अपराधी शौचालय जाने के बहाने फरार हो जाता है। और अब तो अगस्ता हेलिकोप्टर वाला रतुल पुरी भी खिसक लिया। हमने कहा- लेकिन बंधु यह भी तो उचित नहीं कि इंटरनेट की तरह अपराधी का टट्टी-पेशाब बंद कर दो। ये तो नेचुरल कॉल हैं। इन पर किसी का जोर नहीं चलता।
बोला- लेकिन सावधानी तो बरती जा सकती है। एक बार सावरकर को पानी के जहाज से ब्रिटेन से भारत लाया जा रहा था। रास्ते में फ्रांस का समुद्री तट पड़ता था। सावरकर ने सोचा यदि वे किसी तरह फ्रांस पहुंच जाएं तो उन पर ब्रिटेन के नियमों की बजाय अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार मुक़दमा चलेगा। इसलिए जब फ्रांस नज़दीक आया तो सावरकर जहाज के शौचालय के कमोड के छेद में से निक लकर फरार हो गए। यह बात और है कि फ्रांस ने नियमों का उल्लंघन करते हुए उन्हें ब्रिटेन को सौंप दिया। अपराध स्वरूप सावरकर को काले पानी की सज़ा हुई। ऐसी घटना अंग्रेजों के राज में घटना नहीं हुई। हमने कहा-हम तेरी बात नहीं कर रहे हैं। हम तो पुलिस वालों की अकल का रोना रो रहे हैं। सुना है लालू जी का होमोग्लोबिन कम हो गया है तो जेल में उन्हें सुबह नाश्ते में चार अंडे, बादाम और भी न जाने क्या-क्या दिया जा रहा है। खैर, वे तो बड़े आदमी हैं। आजकल तो साधारण अपराधी को भी कोर्ट में लाएंगे तो हथकड़ी नहीं लगा सकते हैं। पुलिस और अपराधी हाथ में हाथ डाले कोर्ट में ‘हाथो में तेरे मेरे हाथ रहे’ की मुद्रा में आते हैं।
हमारे शास्त्रों में तो सप्तपदी के बारे में कहा जाता है कि किसी के साथ सात कदम चल लो तो प्रेम हो जाता है। ऐसे में सिपाही और अपराधी में भी इतना लगाव हो जाता है कि दोनों एक ही बीड़ी शेयर करते नजऱ आते हैं। हमने कहा- अब तू आज़म खान ‘इधर-उधर की बात’ कर रहा है। बात बंद दरवाजे की हो रही थी ? बोला- ऐसे में यदि अपराधी को लघु या दीर्घ शंका हो जाए तो क्या उसे शौचालय में जाने से कैसे रोका जा सकता है? और अंग्रेजों के जहाज में छेद की बात करता है तो हर सरकार एक जहाज ही है। सबमें छोटे-बड़े छेद होते ही हैं। अपने यहीं देख लो। क्या पहले भोपाल गैस त्रासदी का भारत का अपराधी एंडरसन कांग्रेस के समय में दिल्ली में बाकायदा राष्ट्रपति जी से मिलकर हवाई जहाज में बैठा था। और अब माल्या, नीरव और चौक से सभी चौकसियों के बावजूद विदेश में मज़े कर रहे हैं या नहीं? क्या छेदों को बंद नहीं किया जा सकता?हमने कहा- कर तो सकते हैं पर तब खुद कहां से निकलेंगे?
रमेश जोशी
(लेखक वरिष्ठ व्यंगकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)