इस्लामी झंठा उठाकर घूम रहे हैं इमरान!

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सत्य सामने है। सत्य इतिहास का है, इतिहास की हिंदू-मुस्लिम ग्रंथि का है! जो तीस-चालीस साल बाद होना था, उसका वक्त इतनी जल्दी आएगा यह उम्मीद नहीं थी। हां, पाकिस्तान अब कश्मीर को इस्लाम की लड़ाई करार दे रहा है। दुनिया को बता रहा है कि कश्मीर में ‘मुस्लिम बहुसंख्या’ के कारण ‘अत्याचार’ है। कश्मीर घाटी को उसने ‘पृथ्वी का सबसे बड़ा जेलखाना’ करार दिया है। यह सब पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मुहम्मद कुरैशी ने दस सितंबर को संयुक्त राष्ट्र की संस्था मानवाधिकार परिषद् में कहा। जाहिर है दुनिया में पाकिस्तान का हल्ला अब दो देशों के बीच विवाद का नहीं, कश्मीरियों के हक, अंतरराष्ट्रीय झगड़े का नहीं, बल्कि मुसलमानों का है। लंदन के ‘द टाइम्स’ को इमरान खान ने इंटरव्यू देते हुए कहा कि अहम बात अस्सी लाख लोगों का जीवन खतरे में होना है। नरसंहार और नस्लीय सफाई होने वाली है और हम उसे ले कर चिंता में हैं। इंडिया टुडे की डाटा इंटेलीजेंस यूनिट ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के पांच अगस्त से एक सितंबर के बीच के टिवट्स का विश्लेषण करते हुए बताया कि अधिकांश ट्विट में ‘मुस्लिम’ शब्द था। मुस्लिम शब्द को हिंदू, आरएसएस का हवाला देते हुए उन्होंने कई बार नस्लीय सफाई (ethnic cleansing) शब्द दोहराया।

अब जरा इमरान खान के शुक्रवार को पाक अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद की रैली में दिए ताजा भाषण पर गौर करें। उन्होंने कहा कि वे कश्मीर के लोगों के लिए वो करेंगे, जो आज तक किसी ने नहीं किया होगा। फिर उनके वाक्य थे- नरेंद्र मोदी बचपन से आरएसएस से जुड़े हुए हैं और आरएसएस वो जमात है, जिसमें मुसलमानों के लिए नफ़रत भरी हुई है। जब ये बनी थी तो इसका मकसद था कि हिंदुस्तान सिर्फ हिंदुओं के लिए हो। मैं अगले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली में जा रहा हूं और अपने कश्मीरियों को मायूस नहीं करूंगा। कोई आज तक कश्मीरियों के लिए इस तरह नहीं खड़ा हुआ है जैसे मैं खड़ा होऊंगा। दुनिया को बताऊंगा कि आरएसएस की असलियत क्या है। जिस तरह हिटलर और नाजी पार्टी ने जर्मनी में लोगों पर ज़ुल्म किया, ये भी उसी रास्ते पर चल रहे हैं।

इमरान ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो कर रहे हैं उससे कश्मीरी जनता में भारी प्रतिक्रिया होगी और हिंसक वारदातों में और इज़ाफ़ा होगा।… न केवल कश्मीर, बल्कि 20 करोड़ भारतीय मुसलमानों और दुनिया भर के सवा अरब मुसलमानों में इसको लेकर प्रतिक्रिया होगी। इमरान ने कहा कि भारत न केवल कश्मीरियों को, बल्कि 20 करोड़ भारतीय मुसलमानों को भी इंतहांपसंदी यानी अतिवाद की तरफ धकेल रहा है। वे तभी दुनिया से कह रहे हैं कि वह ‘हिंदुस्तान के हिटलर’ को रोके।

इमरान का यह भी कहना था कि कश्मीर का मसला इंसानियत का मसला है। 40 दिनों से हमारे कश्मीरी भाई-बहन, बुजुर्ग-बच्चे कर्फ्यू के नीचे हैं। मैं खासतौर पर नरेंद्र मोदी को ये पैगाम देना चाहता हूं कि सिर्फ एक बुजदिल इंसान ही दूसरे इंसानों पर जुल्म करता है। आप इस जुल्म में कामयाब नहीं होंगे क्योंकि कश्मीर की आवाम में मौत का खौफ खत्म हो चुका है। उनका डर चला गया है। ये वो हिंदुस्तान बनने जा रहा है जो न नेहरू चाहते थे, न महात्मा गांधी। इसी आरएसएस की विचारधारा ने महात्मा गांधी का खून किया था।…याद रखें कि पाकिस्तान में कोई जेट आए या फौज आए, तो मैं बार-बार कहता हूं कि ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा।…मुझे ये पता है कि आप में से कई एलओसी (लाइन ऑफ कंट्रोल) की तरफ जाना चाहते हैं। आप में जज्बा और जुनून है। लेकिन, तब तक एलओसी की तरफ मत जाना जब तक मैं आपको नहीं बताऊंगा। मैं आपको बताऊंगा कि कब जाना है। पहले मुझे संयुक्त राष्ट्र जाने दो। दुनिया के नेताओं को बताने दो, कश्मीर का केस लड़ने दो।…

जाहिर है पाकिस्तान इस्लामी झंडे को उठा कर एटमी जंग में धार्मिक लड़ाई का भभका मार रहा है। वह ‘हिंदू आरएसएस’ और उसके प्रधानमंत्री मोदी को एजेंडा बना कर दुनिया के मुसलमानों को उकसा रहा है। उन्हें कह रहा है कि कुरबानी देने का वक्त है। इमरान खान, उनके सेना प्रमुख बाजवा, विदेश मंत्री कुरैशी तीनों हल्ला बना रहे हैं कि कश्मीर में क्योंकि मुसलमान बहुसंख्या में हैं इसलिए उन्हें जेल में बंद कर उन्हें अल्पसंख्या में लाने, उनकी नस्लीय सफाई, उन पर कहर बरपाने का भारत का एजेंडा है। यह थ्योरी चलाई जा रही है कि अनुच्छेद 370 को खत्म करने की भारत सरकार की कार्रवाई मुस्लिम बहुसंख्या वाले इलाके में हिंदू आधिपत्य के लिए है।

और दुनिया में हिंदू बनाम मुसलमान के झगड़े की बात पैठ रही है। इसका नंबर एक प्रमाण अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्डू ट्रंप का इमरान खान के साथ बैठे हुए प्रेस कांफ्रेस में कहे ये वाक्य है- भारत-पाकिस्तान में जटिल स्थिति है। बहुत बड़ा कारण धर्म है। धर्म उलझा हुआ विषय है। ‘‘उनमें यह चला आ रहा है… सैकड़ों सालों से, अलग-अलग नामों से यह झगड़ा चला आ रहा है.. लेकिन यह.. अब कश्मीर में है। और कश्मीर बहुत ही उलझी हुई जगह है। हिंदू हैं, मुसलमान हैं।

दूसरा प्रमाण वैश्विक मीडिया की जम्मू-कश्मीर की रिपोर्टिंग में बार-बार ‘भारत में हिंदू राष्ट्रवादी सरकार’ या ‘हिंदू राष्ट्रवादी नरेंद्र मोदी’ का ‘हिंदू एजेंडा’ जैसे जुमलों का आना है। मतलब भारत में हम लोग और खासकर हिंदू चाहे जितनी अनदेखी, अनसुनी करें लेकिन दुनिया माने हुए है कि भारत में एक हिंदू राष्ट्रवादी सरकार है, जिसका हिंदू एजेंडा है। इसके चलते मुसलमान हाशिए में हैं और कश्मीर घाटी के 70-80 लाख मुस्लिम बाड़े में, तारबंदी में, ओपन जेल में जी रहे हैं!

तभी तय मानें कि संयुक्त राष्ट्र में 27 सितंबर को इमरान खान का भाषण धर्म के हवाले भारी जंगखोरी लिए हुए होगा। बाजवा और कुरैशी दुनिया को पहले ही कह चुके हैं कि अंतरराष्ट्रीय संगठन लड़ाई रोकने के लिए बने हैं और यदि लड़ाई होती है तो ये संगठन, दुनिया जिम्मेवार होगी। इसलिए पूरी दुनिया और खास कर सारी मुस्लिम आबादी संयुक्त राष्ट्र पर निगाह केंद्रित किए हुए है।“हम अपने भाईयों के लिए कुरबानी देने को तैयार है। आखिरी गोली तक. आखिरी सैनिक की आखिरी सांस तक हम लड़ेंगे। किसी भी सीमा तक हम जाने को तैयार हैं। हर ईंट का जवाब पत्थर से देंगे और आप जो भी करेंगे हम आखिर तक लड़ेगें।”

ऊपर के ये तमाम वाक्य इमरान, बाजवा, कुरैशी के निजी नहीं, बल्कि पाकिस्तान राष्ट्र-राज्य की सोच, रणनीति, रोडमैप का खुलासा हैं।

तो नंबर-1 लब्बोलुआब- पाकिस्तान का मुस्लिम नाम पर इंतहांपसंदी याकि अतिवादी जंगखोर बनने-बनाने का डंका। नंबर-2 लब्बोलुआब- दुनिया में भारत की हिंदू राष्ट्रवादी सरकार की इमेज!

तभी राष्ट्र-राज्य की दिशा वाला यह अहम सवाल है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र की आमसभा में ऐसा क्या कहें, जिससे पाकिस्तानी हल्ले को जवाब मिले? उसकी बोलती बंद हो? सवाल यह भी है भारत को क्या जवाब देने की जरूरत है? पूछ सकते हैं हम क्यों पाकिस्तान के प्रचार को महत्व दें? क्या यह उसके थोथा चना बाजे घना जैसी बात नहीं है, जिसे भारत को अनसुना करना चाहिए? इस पर कल विचार।

हरिशंकर व्यास
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं

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