आदर्श गांवों का हाल

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इस गांव में बीजेपी वालों का आना मना है, लगे पोस्टर वाले इस गांव को केन्द्रिय मंत्री महेश शर्मा ने लिया था गोद। इस पोस्टर में लिखा हुआ है कि बीजेपी वालों का यहां आना मना है। इसके अलावा हमारे रहनुमाओं ने अपनी-अपनी सांसद निधि से गोद लिये गांवों को बेहतर बनाने की कसम खाई थी। यहां तक कि इन गांवों से गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य और बेरोजगारी दूर करने के संकल्प लिये गये थे। यहां तक कि अब न कोई देश में गरीब रहेगा और न कोई ही भूख के कारण दम तोड़ेगा तथा यह भी बात थी कि अब कोई किसान आत्महत्या जैसी बात नहीं करेगा। परंतु यह सब बातें सिर्फ ढकौंसला ही साबित दिखाई दे रही है। इसका डीता जागता उधाहरण वह गांव जहां यह पोस्टर लगा हुआ है।

गांव वाले कह रहे हैं कि जिन गांवों का विकास कराने के हजार दावों के साथ गोद लिये थे कि इन गांवों के विकास से शुरूआत होगी। अब जब पूरे पांच साल सरकार क हो गये हैं और उन गांवों की कोई सूध लेने वाला नहीं दिखा, तो ग्रामीणों ने कसम खायी की ऐसे रहनुमाओं को अब सबक सिखाने का समय आ गया है। इससे बड़ी बात और क्या हो सकता है कि गांव में उनका प्रवेश ही बंद हो जाये। परंतु हमारे रहनुमा यह कहते नहीं थकते की हम विकास की ओर अग्रसर हैं। हमारे एक ही मकसद है कि देश का विकास। परंतु हकीकत यह है की उन्होंने देश का विकास तो किया निहीं पर अपना विकास खूब किया। वे यह नहीं जानते कि जनता जर्नादन होती है। वह सब जानती है। 16वीं लोकसभा चुने जाने के साथ-साथ हमारे रहनुमाओं ने अपनी सांसदी क्षेत्र का एक गांव चुना था जिसे आदर्श गांव का नाम दिया गया था। यदि इन गांवों से ही देश के विकास की शुरूआत थी तो हमारे रहनुमा पूरे पांच साल सोये रहे अब जब आंख खुली तो ग्रामीणों ने उनका गांवों में आने की पाबंदी लगा दी।

केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा भले ही संसद में उनके इलाके के प्रतिनिधि हों और भले ही उन्होंने गांव को गोद लिया हो फिर भी कचहैड़ा गांव के लोग उनसे खासे नाराज हैं और उनके खिलाफ पोस्टर लगाकर साफ कर दिया है कि अब यहां उनका स्वागत नहीं होगा। दरअसल इस विरोध की कहानी तब शुरू हुई जब एक रीयल्टी कंपनी और ग्रामीणों के बीच लड़ाई हो गई। उत्तरप्रदेश के गौतमबुद्ध नगर के कचहैड़ा में अक्टूबर 2018 में हुई हिंसा के मामले में 86 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इसे लेकर ग्रामीणों में आज भी आक्रोश है। प्रदर्शन अब भी जारी है और करीब दो दर्जन पुरुष एवं महिलाएं, युवा एवं बुजुर्ग अपने लोकसभा सांसद के खिलाफ रूक-रूक कर नारेबाजी कर रहे हैं। एक पोस्टर में लिखा है ’महेश शर्मा के गोद लिए गांव कचहैड़ा में भाजपा वालों का आना सख्त मना है।’ इस तरह के पोस्टर गांव के कई स्थानों पर लगे दिख रहे हैं। ग्रामीणों का गुस्सा मुख्यतः शर्मा के खिलाफ है जो विकास नहीं होने के लिए उन्हें जिम्मेदार मानते हैं।

यहां यदा-कदा ’मोदी तुझसे बैर नहीं, महेश शर्मा की खैर नहीं’के नारे भी सुनने को मिलते हैं। कचहैड़ा में करीब 4500 मतदाता हैं जिन्होंने 2014 में शर्मा के पक्ष में मतदान किया था। गौतमबुद्ध नगर क्षेत्र से 2009 में बसपा के सुरेंद्र नागर लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। वहीं महेश शर्मा ने बताया कि गांव में आंदोलन राजनीतिक कारणों से हो रहा है। शर्मा ने पीटीआई से कहा, ’वहां विकास धीमा है, फिर भी काफी काम किया गया है।’ स्थानीय लोगों ने कहा कि उन्होंने 2010 में अपनी जमीन एक निजी बिल्डर को बेच दी थी और उन्हें मुआवजा मिला था। उनसे वादा किया गया था कि सड़क, पेयजल, स्वास्थ्य सुविधाएं, सामुदायिक केंद्र, एक डिग्री कॉलेज, खेल का मैदान और सुविधाओं से युक्त श्मशान घाट का निर्माण किया जाएगा। सेवानिवृत्त स्कूल शिक्षक धर्मपाल सिंह ने कहा कि बिल्डर ने केवल सड़क बनवाई और वह भी घटिया किस्म की जिस पर बारिश के समय पानी भर जाता है। इनके अलावा न जाने कितने ऐसे गांव होंगे जिनका नजारा आप खुद ही देख सकते हैं।

16वीं लोकसभा बनने के बाद हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह योजना 11 अक्टूबर 2014 को प्रारंभ की गई थी जिससे सांसद आदर्श ग्राम योजना का उद्देश्य गांवों और वहाँ के लोगों में उन मूल्यों को स्थापित करना है जिससे वे स्वयं के जीवन में सुधार कर दूसरों के लिए एक आदर्श गांव बने तथा लोग उनका अनुकरण उन बदलावों को स्वयं पर भी लागू करें। यह योजना संसद के दोनों सदनों के सांसदों को प्रोत्साहित करती है कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्र के कम से कम एक गांव की पहचान करें और 2016 तक एक आदर्श गांव उसका विकास करें अब जब पूरे पांच साल बीत गये तो हमारे रहनुमाओं को उन गोद लिये गांवों की याद आई। इसी वर्ष 2019 में दो और गांवों को शामिल करते हुए देश भर में फैले 6 लाख गांवों में से 21500 से अधिक गांवों को इस योजना का हिस्सा बनाएं।

अब आप समझ ही गये होंगे कि जब एक गांव का विकास नहीं करा सकते तो छः लाख गांवों का विकास कैसे संभव है। यानिके हमारे रहनुमा हम सबका कितना ख्याल रखते हैं। सांसद आदर्श ग्राम योजना की मान्यताएं लोगों की भागीदारी को स्वीकार करना जैसा समस्याओं का अपने आप में समाधान है, सुनिश्चित करें कि समाज के सभी वर्ग ग्रामीण जीवन से संबंधित सभी पहलुओं से लेकर शासन से संबंधित सभी पहलुओं में भाग लें। इसके अलावा अंत्योदय का पालन करें। गांव के ’सबसे गरीब और सबसे कमजोर व्यक्ति“ को अच्छी तरह जीवन जीने के लिए सक्षम बनाएं। लैंगिक समानता और महिलाओं के लिए सम्मान सुनिश्चित करें।

सामाजिक न्याय की गारंटी को सुनिश्चित करें। श्रम की गरिमा और सामुदायिक सेवा और स्वैच्छिकता की भावना को स्थापित करें। सफाई की संस्कृति को बढ़ावा दें। प्रकृति के सहचर के रुप में रहने के लिए-विकास और पारिस्थितिकी के बीच संतुलन सुनिश्चित करें। स्थानीय सांस्कृतिक विरासत संरक्षण और प्रोत्साहन दें। आपसी सहयोग, स्वयं सहायता और आत्म निर्भरता का निरंतर अभ्यास करना। ग्रामीण समुदाय में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देना। सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता, जवाबदेही और ईमानदारी बरतना। स्थानीय स्वशासन की भावना को विकसित करना। भारतीय संविधान में उल्लेखित मौलिक अधिकारों और मौलिक कर्तव्यों में प्रतिष्ठापित मूल्यों का पालन करना। इसके अलावा पहचानी गईं ग्राम पंचायतों के समग्र विकास के लिए नेतृत्व की प्रक्रियाओं को गति प्रदान करना तथा जनसंख्या के सभी वर्गों के जीवन की गुणवत्ता के स्तर में सुधार निम्न माध्यमों से करना है।

एक आदर्श ग्राम में ग्राम पंचायत, नागरिक समाज और सरकारी मशीनरी में लोगों को दृष्टिकोण साझा करने, उनकी अपनी क्षमताओं और उपलब्ध संसाधनों का हर संभव सर्वोत्तम उपयोग करने विधिवत तरीके से सांसद द्वारा समर्थित होना चाहिए। स्वाभाविक रूप से एक आदर्श ग्राम संदर्भ विशिष्ट होगा। हालांकि, पक्के तौर पर महत्वपूर्ण गतिविधियों की पहचान करना अभी भी बाकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सासंद आदर्श गांव के तहत गोद लिया गया गांव जयापुर बनारस से 25 किलोमीटर दूर स्थित है। मिश्रित जनसंख्या वाले इस गांव में कई जाति व समुदाय के लोग मिलजुल कर रहते हैं। कहा जाता है कि यह गांव शुरू से ही संघ का गढ़ रहा है।

गांव की जनसंख्या 2974 है। इसमें पुरुषों की संख्या 1541 है जबकि महिलाओं की संख्या 1433। यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती है। मूलभूत सुविधाओं से यह गांव महरूम है। यहां न तो कोई स्वास्थ्य केंद्र है न मिडिल स्कूल। यहां कोई पशु चिकित्सालय भी नहीं है। लोगों को कई सुविधाओं के लिए पास के गांव जक्खिनी जाना पड़ता है। सेवापुरी विधानसभा क्षेत्र में पड़ने वाले इस गांव के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वाराणसी आने पर सबसे पहले इसी गांव का नाम सुना था। हालांकि दुखद घटना की वजह से इस गांव का नाम सुना। इस गांव में आग लगने से पांच लोगों की मौत हो गई थी इस वजह से इस गांव का नाम सुना। उसी समय मै इस गांव से जुड़ गया। उन्होंने कहा कि हम जयापुर को आदर्श गांव बनाएंगे।

जयापुर के लोग गांव की सड़कों के निर्माण को लेकर वर्षों से सपने संजोए थे लेकिन लगता है सपना अब पूरा हो रहा है। विकास कार्य होता देख ग्रामीणों में खुशी की लहर है। उन्हें उम्मीद है कि अब गांव की तस्वीर बदल जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गोद लिए जाने के बाद उनके आह्वान का जयापुर गांव वासियों ने तत्काल स्वागत किया। गांव के करीब 300 वर्ष पुराने महुआ के पेड़ को संरक्षित करने की कवायद के साथ अब कन्या के पैदा होने पर जश्न मनाने का भी संकल्प लिया जा रहा है। कन्या की शादी के लिए धन की व्यवस्था करने का रास्ता गांव वालों ने निकाल लिया है।

अभिभावक अब अपने खेतों की मेड़ व बाग की खाली जमीनों पर कन्या जन्म के साथ ही धन देने वाले पौधे लगाएंगे। कन्या धन के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए गए इस कदम से अचानक ही आसपास के गांवों में भी मानो चेतना सी आ गई है। जयापुर ग्राम की प्रधान दुर्गावती देवी की प्रेरणा पर गांव के नारायण पटेल की अगुवाई में कई लोगों ने पौधरोपण किया। जयापुर में नरेंद्र मोदी ने कहा था ‘आप कन्या भ्रूण हत्या रोकें, मैं कानून का पालन सुनिश्चत करता हूं। कन्या के पैदा होने पर उत्सव मनाएं। बुजुर्गो, धरोहरों व पुराने पेड़ों की पहचान कर उसका सम्मान व संरक्षण करें’।

वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश का जयापुर गांव में अंकुरित भी होने लगा। मोदी अभी दिल्ली पहुंचे भी न थे कि उनके आह्वान का अनुसरण करते हुए ग्रामीणों ने गांव के सबसे पुराने पेड़ की तलाश कर ली। 300 साल पुराने महुआ के इस पेड़ को संरक्षित करने की कवायद शुरू कर दी। ग्रामीणों के अनुसार महुआ के इस पेड़ के बारे में सभी ने पूर्वजों से सुना और जाना है। बहरहाल, वृक्ष के चारों ओर ग्रामीण जुटे और विधि पूर्वक उसकी पूजा की। यह वृक्ष किसान सूर्य प्रताप सिंह के परिवार का है। कई पीढ़ी पूर्व इसे रोपा गया था। वृक्ष पूजन के बाद प्रसाद वितरण भी हुआ। तय हुआ कि इस धरोहर वृक्ष का संरक्षण किया जाएगा।

चबूतरा बनाया जाएगा, पेड़ की आयु व रोपण करने वाले शख्स का नाम भी लिखा जाएगा ताकि गांव के बच्चे वृक्ष की बाबत जानें और पौधरोपण के लिए प्रेरित हों। गांव के नर्सरी संचालक खेलावन राजभर ने पुराने पेड़ की जर्जर डाली को मजबूत करने के लिए जांच की, कीटनाशक छिड़काव बीमार से दिखने वाले बूढ़े वृक्ष की दशा सुधारने की रणनीति बनी। इसके लिए बीएचयू के विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी। ग्रामीणों को स्वच्छता के लिए जागरूक भी किया। सचेत किया कि आदर्श गांव बनाना है तो हमें पीएम मोदी के संदेशों का पालन करना होगा।

हमारे देश की आबादी सवा सौ करोड़ है और हमारे जनप्रतिनिधि 543 हैं। मुझे लगता है कि इनकी संख्या में इजाफा हो तो देश का विकास हो। क्योंकि यह भार शायद हमारे रहनुमा उठा नहीं पा रहे हैं। यदि यह योजनाएं सचमुच धरातल पर उतर जाये तो हम यह कह सकते हैं कि अब न तो गरीरी रहेगी और न ही कोई बेरोजगार रहेगा। अब जब छह गांवों के विकास के साथ-साथ यह योजना आने वाले समय में और चार चांद लगायेगी। इस योजना से न तो कोई गरीब किसान आत्म हत्या करेगा और न कोई गरीबी के कारण दम तोड़ेगा। अब निर्धन के बच्चे भी कांवेंट स्कूलों में पढ़-लिख सकेंगे। अब किसी अबला का तिरस्कार नहीं होगा। अब सबको रोजगार मिलेगा। यह बहुत अच्छी व्यवस्था है आईये हम सबको इस व्यवस्था की ओर कदम से कदम बढ़ाने चाहिए और जिससे हम सबका विकास हो सके।

– सुदेश वर्मा

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