आत्मघाती हमलों का खतरा

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श्रीलंका में 21 अप्रैल को ईस्टर के दिन हुए भीषण आतंकी हमले के तार कश्मीर से भी जुड़ने लगे हैं। श्रीलंका के सेना प्रमुख का दावा है कि विदेशी संगठनों से सम्पर्क बढ़ाने भारत पहुंचे थे आतंकी। हालांकि भारत की तरफ से इस दावे की पुष्टि नहीं हुई है। वैसे गलत पहचान के सहारे आतंकियों के भारत में आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इन सबके बीच चिंताजनक पहलू यह है कि वहाबी विचारधारा के तहत जिस तरह मध्य एशिया में इस्लाम के नाम पर आतंक की फसल लहलहाने का नीतिगत तरीके से काम चल रहा है वो भारत जैसे विविधता भरे बहुसंस्कृति देश के लिए बड़ी चुनौती है। इसलिए भी कि श्रीलंका में हमले के बाद वहां की तौहीद जमात से जुड़े आतंकियों का जिक्र सामने आया था।

उसकी मौजूदगी दक्षिण भारत में भी महसूस की जाने लगी है। भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी की माने तो श्रीलंका हमलावरों के तमिलनाडु में कदम बढ़ाते की कोशिश के कुछ खुफिया इनपुट मिले हैं। हालांकि यहां इसको लेकर सुरक्षा एजेंसियां सकर्त हो गयी हैं। पहले भी भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने ही श्रीलंका को आत्मघाती हमले की सूचना दी थी। आत्मघाती हमले के बाद कुछ लोग केरल और कश्मीर से भी गिरफ्त में आये हैं। ऐसा समझा जाता है कि श्रीलंका का इस्लामिक आतंकी संगठन नेशनल तौहीद जमात से जुड़े लोग भारत भी आये थे। भारत में इस जमात के जड़ जमाने की कोशिशों के संकेत मिलने के बाद सतर्कता कई गुना बढ़ानी इसलिए भी जरूरी हो गयी है कि देश वैसे भी कश्मीर और उत्तरपूर्व में दहशतगर्दी की समस्या से जूझ रहा है।

ऐसी स्थिति में देश के दक्षिणी हिस्से में इस्लामिक आतंकवाद के पांव जमाने से हालात और चुनौतीपूर्ण हो सकेत हैं। वैसे अरबी संस्कृति की वहाबी विचारधारा ने पूरी दुनिया में शुरू सांस्कृतिक समझदारी को कमजोर करने में खास भूमिका निभाई है। इस्लामिक स्टेट के तौर पर अलकायदा के बाद आतंकियों की उभरी नई जमात ने मध्य पूर्व एशिया में खून खराबे को जेहाद बताकर महिमामंडित करने की भरपूर कोशिश की जिसका खामियाजा मिश्र और सीरिया जैसे देशों में भुगता। ऐसी आतंकी विचारधारा का सरगना अल बगदादी एक बार फिर वीडियो के जरिये चर्चा में है। जिस तरह कश्मीर के घाटी क्षेत्र में इस संगठन के झंडे लहराये देखे जाते रहे हैं वे इसका सुबूत है कि कट्टर आतंकी विचारधारा की तनिक भी मौजूदगी बड़ी चुनौती बन सकती है।

ठीक है तमाम आलोचनाओं के बावजूद देश के भीरत आतंकवाद की चुनौतियों से सेना सफलतापूर्वक लड़ रही है और जिस तरह आतंकियों का सफाया हो रहा है उससे कश्मीर के पटरी पर लौटने की उम्मीद की जा सकती है। सिलसिलेवार एक धर्म विशेष के स्थानों को नुकसान पहुंचाने और बेकसूरों की जान लेने की अमानवीय घटना से भारत जैसे देश के लिए चिंतित होना लाजमी है। स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब यह जानकारी सामने आये कि आतंकियों के तार भारत के किसी शहर से या राज्य से जुड़े हुए हैं।

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