आत्मकथा की व्यथा-कथा

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अभी 3 दिन पहले की ही बात है। जब मैं न्यूयॉर्क के एक हाई स्काई होटल की 165 वीं मंजिल के सुइट में था। शीशे के सामने खड़े, चेहरे पर मास्क लगाए अपनी शेव बना रहा था। स्पेन, जर्मनी, इंग्लैंड, कैनबरा आदि के कॉफी हाउस की दीवारों पर लगाए मेरे कहकहे अभी शांत हुए ही नहीं थे। टोयो, मॉस्को, फ्रैंकफर्ट आदि की सड़कों पर साहित्य के उड़ाए सिगरेटी धुएं के गुबार अभी भी उठ रहे थे। उसी समय अमेरिकन राष्ट्रपति बाइडेन का फोन बज उठा। बाइडेन ने कहा कि तुम दुनिया के जाने-माने व्यंग्यकार हो। साथ ही साथ एक इंसान जैसे भी लगते हो। अब तुम्हें अपनी आत्मकथा तुरंत ही लिख देनी चाहिए। सच तो यह है कि चाइना ने बोरोना वायरस दिया ही इसलिए है।

मैं तो शुरू से ही महान रहा हूं और इस धरती पर मैंने अपनी महानता का भार डालने के लिए ही अवतार लिया है। मैं अभी अमेरिका की जिस हाईस्काई होटल में अपनी पूजा, काव्य और साधना के साथ ली नई, उस होटल की छत से कभी एक नवविवाहित जोड़े ने छलांग लगाई थी। कहते हैं कि वह जोड़ा जब जमीन पर आया तो अपने साथ वे पोते और उनकी पुत्र वधुएं भी साथ लाया। होटल के पहली मंजिल पर मेरी सेवा के लिए लिफ्ट में एक बच्चे को बैठाया जाता जो मेरे पास आते-आते बूडढा हो जाता है। खैर! अभी चाइना के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मुझसे निकट से संपर्क बनाने की कोशिश की। उन्होंने मुझे आत्मकथा लिखने के लिए चाइना में उद्योग लगाने की गरज की। जब मेरे हाथों में पहनी अंगूठी देखी तो शी ने कहा कि ये अंगुठी मुझे कित्ते में देंगे। पका व्यापारी!

मैंने उनसे कहा कि पहले मुझसे पूछ तो लेते कि मैं ये अंगूठी आपको बेचने वाला हूं या नहीं। ये तेरा और ये मेरा। मैं ठहरा पका अजमेरा! मेरे अजमेर की महानता का मंत्र शी व ही जिनपिंग पर छाने लगा। तब शी जिनपिंग इस बात पर मुस्कुराए और कहा जानता हूं व्यंग्यकार जी! आप बड़े महान हो। आपकी आत्मकथा लिखने के लिए भी मैं आपसे निवेदन कर रहा हूं, लेकिन आपकी यह अंगूठी मुझे बहुत पसंद है। मैं इसे अपनी बीवी को भेंट करना चाहता हूं। व्यंग्यकार जी! प्लीज! यह अंगूठी मुझे दे दो। इधर चाइना के राष्ट्रपति से बात कर ही रहा था की इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का वीडियो कॉल आने लगा। मैंने काफी देर तक उनको वेटिंग में रखाए योंकि इसी समय जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्र प्रमुखों ने भी मेरी महानता के गीतगा।

रामविलास जागिड़

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