भाई साहब, आज तो अजीर्ण हो रहा है।

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हमने कहा- तोताराम, अब समझ में आया कि देश में 68% बच्चे कुपोषित क्यों हैं ? दुनिया में हर तीसरा बच्चा वज़न के निर्धारित मानदंडों के अनुसार सामान्य से कम वज़न का क्यों है? इससे अधिक आँकड़े न तो हमें मालूम हैं और यदि मालूम हों तो भी न तू और न ही सरकार में बैठे लोग समझ सकेंगे। उन्हें अभी तक प्राप्त आँकड़ों से यही पता नहीं चल पाया कि नोटबंदी और जी एस टी से फायदा हुआ या नुकसान? यह भी समझ में नहीं आ रहा है जी डी पी घट रही है या बढ़ रही है ? वास्तव में कितनी रहेगी ? लेकिन तेरी इस अजीर्ण वाली बात से हम यह कह सकते हैं कि देश में भुखमरी का एक बड़ा कारण तू भी है। वैसे ही जैसे एक बार चर्चिल ने अपने से मिलने आए बर्नार्ड शॉ से कहा था- लगता है आपके देश में भोजन की कमी है |तो शॉ ने ज़वाब दिया था- और आपको देखकर भोजन की उस कमी के कारण का भी पता चल जाता है। सो तुझे देखकर भी यह पता चलता है कि देश में सभी लोगों को पर्याप्त भोजन क्यों नहीं मिल रहा है? तेरा पेट और सिर हमें आकार में कुछ बड़े-से नज़र आ रहे हैं। छाती भी 28 से 30 इंच की ओर विकसित होती सी लग रही है। 2024 तक जैसे देश की अर्थ व्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी या किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी वैसे ही तेरी छाती भी तब तक 32 इंच की तो हो ही जाएगी।

बात को आगे बढ़ने से पहले हमने एक छोटा-सा कमर्शियल ब्रेक लेते हुए पत्नी से कहा- सुनती हो, आज तोताराम के लिए चाय मत बनाना। इसे अजीर्ण हो रहा है और हाँ, पकौड़े भी रहने दे फिर कभी बना लेना। तिल के लड्डू भी किसी और दिन दे देना जब इसे अजीर्ण न हो। बोला- भाई साहब, आप किसी और की भी सुन लिया करें। आप जो मेरा यह फूला हुआ पेट देख रहे हैं वह अधिक भोजन से नहीं बल्कि विचारों की अधिकता और उसके कहीं व्यक्त न हो पाने के कारण से है। लगता है यदि कुछ दिन और यही हालत रही तो फट जाऊँगा। हमने कहा- जब तेरे अजीर्ण का संबंध भोजन से नहीं बल्कि अभिव्यक्ति से है तो इसकी घोषणा यहाँ चाय के समय करने की क्या ज़रूरत थी। मोदी जी की बात और है। उन्हें तो मजबूरी में देश भर से अपने मन की बात करनी पड़ती है। तू तो यहाँ हमारे प्राण खाने की बजाय अपने मन की बात बंटी की दादी मैना को सुनाकर अपना आजीर्ण ठीक कर लिया कर। बोला- भाई साहब, क्यों मेरा मुँह खुलवाते हैं? यदि पत्नियां ही पतियों की सुनतीं तो लोग देश सेवा के बहाने घर छोड़कर भागते ही क्यों? क्या कोई और उपाय नहीं है इस बीमारी का?

हमने कहा-तोताराम,तेरी ही नहीं, इस देश की ही सबसे बड़ी समस्या न तो बेरोजगारी है, न गरीबी, न अशिक्षा। इस देश की सबसे बड़ी समस्या है ज्ञान का अजीर्ण। जिसे देखो ब्रह्म, ब्रह्माण्ड, आत्मा-परमात्मा से नीचे बात ही नहीं करता। सुनने वाला मिलते ही यह देश शौच जाना तक भूलकर भाषण झाड़ना शुरू कर देता है। इसका तो एक ही उपाय है। कहीं से एक पुराना-धुराना माइक्रोफोन और ईयर फोन कबाड़ ले और कमरा बंद करके उसके आगे अपने मन की जितनी चाहे बात कह डाल। बोल- लेकिन इस नाटक से क्या मेरी बात सारा देश सुन सकेगा? हमने कहा- इससे तुझे क्या मतलब ?सुनती तो यह जनता मोदी जी की भी नहीं लेकिन क्या उन्होंने अपना ‘मन की बात’ का मासिक धर्म निभाना बंद कर दिया? सो तू भी अपने मन की कर डाल। तोताराम हमारी पत्नी को जोर से आवाज़ लगते हुए बोला- भाभी, अब मन की बात 23 फरवरी को करेंगे। अजीर्ण है तो ज्ञान का है, भोजन का थोड़े ही है। चाय ही नहीं; लड्डू, पकौड़े जो कुछ है, सब ले आइए।

 

रमेश जोशी
( लेखक देश के वरिष्ठ व्यंग्यकार और ‘विश्वा’ ( अंतर्राष्ट्रिय हिंदी समिति, अमरीका ) के संपादक है। ये उनके निजी विचार हैं। मोबाइल – 09460155700 l blog-jhoothasach.blogspot.com (joshikavirai@gmail.com)

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