कोरोना महामारी से देश पहले ही युद्ध स्तर पर लड़ाई लड़ रहा है। चुनौतियां दिन प्रतिदिन जटिल होती जा रही हैं। अब इसमें आंध्र की त्रासदी ने और इजाफा कर दिया है। आंध्र प्रदेश के विशाखापटनम में गुरूवार तड़के हुए एक गैस लीक हादसे में 1३ लोगों की जान जा चुकी है और एक हजार से ज्यादा लोग संक्रमित बताये जाते हैं। फिलहाल दो दर्जन लोग ऐसे हैं, जिनकी हालत गंभीर है। राज्य सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। केन्द्र सरकार भी हालत पर नजर बनाये हुए है। इस मामले ने भोपाल गैस त्रासदी की भयावत यादें ताजा कर दी है। दो-तीन दिसंबर, 1984 की रात यूनियन कार्बाइड के कारखाने में हुए गैस रिसाव से तीन हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। यह दुनिया की सबसे घातक औद्योगिक आपदा थी। कारखाने से मिथइल आइसोसाइनेट जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। इसकी भयावहता का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि प्रभावित इलाके के लोगों में अभी भी उसका असर जेहन और शरीर में किसी ना किसी मात्रा में व्याप्त है। मुआवजे की लंबी लड़ाई के बाद भी लोगों को सही से न्याय नहीं मिल पाया है। अब जिस कारखाने में गैस रिसाव हुआ है, यह दक्षिण कोरियाई कंपनी है। इसमें कृत्रिम रबर बनाया जाता है।
फैट्री के करीब पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांव प्रभावित हुए हैं। कितनी भारी क्षति हुई है, इसका अंदाजा मामले की जांच के बाद ही लग पाएगा। वैसे इसके दुष्प्रभाव से निपटने के लिए गुजरात से स्टीरीन गैस को नियंत्रित करने के लिए पुणे से एनडीआरएफ का विशेष दस्ता काम पर लगा दिया गया है। इस बीच एनएचआरसी ने आंध्र और केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया है। यह सूचना निश्चित तौर पर भयाक्रांत करने वाली है और तब विशेष रूप से जब देश विशेष रूप से कोरोना से लडऩे के लिए सारे संसाधन झोक रहा है। डॉक्टर और पुलिस कर्मचारी दिन-रात खुद को झोंक रहे हैं। जनता भी कमोवेश, लॉकडाउन के तहत लड़ाई में सहयोग कर रही है। सबकी निजता इन दिनों स्थगित है। सकारात्मक- नकारात्मक, दोनों तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं। तमाम सियासी उठापटक क बीच कमोवेश कोरोना संकट के खिलाफ मूल स्वर एक ही है। महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली से जरूर उदास करने वाली खबरें हैं। खासकर इन जगहों पर मामले ज्यादा बढ़ रहे हैं। टेस्टिंग, कांट्रैट ट्रेसिंग और आइसोलेशन के माधयम से कोरोना वायरस का नियंत्रित करने की रणनीति विफल होने लगी है।
इसीलिए अब और आक्रामक रणनीति पर मंथन हो रहा है ताकि स्थिति में सुधार आ सके। अब नई नीति में टेस्टिंग को और सघन व तेज करने की जरूरत महसूस की जा रही है। इन राज्यों में जांच क्षमता बढ़ाई जाएगी। इस बीच राजधानी लखनऊ के लिए सजी विक्रेताओं और थोक किराना व्यवसाइयों के जरिये संक्रमण के मामले सामने आने के बाद बुद्ध पूर्णिमा का दिन शांतिपूर्ण गुजरा, कोई नया मामला सामने ना आने से राहत मिली है। हालांकि अवध क्षेत्र के अन्य जिलों में छह लोग संक्रमित मिले हैं। एक अनुमान है कि मामलों के घटने-बढऩे का सिलसिला अभी जारी रहने वाला है। वैसीन पर शोध के लिए दुनिया की तमाम दवा कंपनियां भारी-भरकम संसाधन खर्च कर रही है। कोरोना को लेकर हालांकि अभी यह तय नहीं हो पाया है कि इसके कितने और प्रकार दुनिया में अपना घातक प्रभाव डाल रहे हैं। अब तक अकेले भारत ने 53 जीनोम सिक्वेंस खोजे हैं, जो वैस्विक संस्था जीआईएसएआईडी को सौंपे गये हैं। एक वायरस की विविधता से वैसीन निर्माण में समय लग रहा है।