अमावस्या : 2 मार्च, बुधवार आज

0
213

स्नान-दान-श्राद्धादि एवं पितृदोष निवारण की अमावस्या भगवान श्रीशिवजी, श्रीविष्णु जी तथा पीपल वृक्ष की पूजा से सुख-समृद्धि, खुशहाली
108 बार पीपल वृक्ष की परिक्रमा से अभीष्ट की प्राप्ति

हिन्दू धर्मशास्त्र में हर माह के तिथि पर्व का अपना विशेष महत्व है। ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि मंगलवार, 1 मार्च को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 1 बजकर 01 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन बुधवार, 2 मार्च को रात्रि 11 बजकर 05 मिनट तक रहेगी। इस तिथि पर स्नान-दान-व्रत एवं श्राद्ध करने का विशेष महत्व है। ऐसे करें पूजा-अर्चना-अमावस्या तिथि पर पीपल वृक्ष की पूजा-अर्चना से सुख-समृद्धि, खुशहाली मिलती है। अमावस्या तिथि पर विधि-विधान पूर्वक पितरों की भी पूजा-अर्चना की जाती है। अमावस्या तिथि पर पूजा-अर्चना अपने पारिवारिक रिति-रिवाज व परम्परा के अनुसार ही करनी चाहिए।

पितरों के आशीर्वाद से जीवन में भौतिक सुख-समृद्धि, खुशहाली का आगमन होता है। इस दिन पीपल के वृक्ष व भगवान् विष्णु जी की पूजा-अर्चना के साथ पीपल वृक्ष की परिक्रमा करने पर आरोग्य व सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पीपल वृक्ष की विशेष महिमा-पीपल वृक्ष में समस्त देवताओं का वास माना गया है। पीपल के वृक्ष को जल से सिंचन करके विधि-विधान पूर्वक पूजा के पश्चात् 108 बार परिक्रमा करने पर सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस दिन व्रत उपवास रखकर इष्टदेवी देवता एवं आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना अवश्य करनी चाहिए। ब्राह्मण को घर पर निमन्त्रित करके उन्हें भोजन करवाकर सफेद रंग की वस्तुओं का दान जैसे-चावल, दूध, मिश्री, चीनी, खोवे से बने सफेद मिष्ठान्न, सफेद वस्त्र, चाँदी एवं अन्य सफेद रंग की वस्तुएं दक्षिणा के साथ देकर, उनका चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेना चाहिए।

किसी कारणवश यदि ब्राह्मण को भोजन न करवा सकें तो इस स्थिति में उन्हें भोजन सामग्री (सिद्धा) के साथ नकद द्रव्य देकर पुण्यलाभ प्राप्त करना चाहिए। समस्त धार्मिक अनुष्ठान करने पर उत्तम फल की प्राप्ति होती है। पीपल के वृक्ष की पूजा का आज विशेष महत्व है। पीपल वृक्ष पूजा के मन्त्र-ॐ मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्ये विष्णुरूपिणे अग्रतो शिवरूपाय पीपलाय नमो नमः। आज के दिन व्रतकर्ता को अपनी दिनचर्या नियमित व संयमित रखते हुए यथासम्भव गरीबों, असहायों और जरूरतमन्दों की सेवा व सहायता तथा परोपकार अवश्य करना चाहिए। जिससे जीवन में सुख-शान्ति व खुशहाली का मार्ग प्रशस्त हो।

ज्योतिर्विद् श्री विमल जैन

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here