अब हर भारतीय को मिलें 5000 रुपये

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कोरोना की वजह से हमने 2020 का ज्यादातर समय अर्थव्यवस्था के बारे में निराशा के साथ बिताया। हालांकि, अब आशावादी होने का समय है। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 2021 बड़ी तेजी का साल हो सकता है। भारत अपना वैक्सीनेशन प्रोग्राम जल्द शुरू करेगा। सौभाग्य से भारत में कोरोना के नए मामलों की संख्या में स्थिरता आई है। इस बीच, भारतीय अर्थव्यवस्था खुल चुकी है। इसीलिए, यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि 2021 बेहतर होगा। हालांकि, अर्थव्यवस्था में सही मायनों में तेजी के लिए हमें अब भी और प्रोत्साहन की जरूरत है। हमारी सबसे बड़ी संपत्ति हमारे लोग और घरेलू अर्थव्यवस्था है। अगर हम चाहते हैं कि अर्थव्यवस्था वापसी करे, तो बड़े पैमाने पर तुरंत खपत पैदा करनी होगी। यह रहा ‘प्रोत्साहन’ नाम की योजना का प्रस्ताव, जिसमें प्रत्येक भारतीय को 5000 रुपये दिए जाएं, जिसे अगले 12 महीनों में खर्च करना होगा। यह 20 हजार रुपये प्रति परिवार तक हो सकता है। यह राशि न सिर्फ लोगों की इस मुश्किल वक्त में मदद करेगी, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था में तेजी लाएगी। लेकिन कुछ लोग कह सकते हैं कि हमारे पास इतना पैसा कहां है? राजकोषीय घाटे का क्या होगा? क्या इससे फायदा होगा? इन सवालों का जवाब है हां, हम यह कर सकते हैं और इससे लाभ होगा।

इसके लिए हमें प्रस्तावित प्रोत्साहन योजना समझनी होगा और आंकड़े देखने होंगे। पांच हजार रुपये के कैश वाउचर पाने के लिए इस योजना में हर वो भारतीय शामिल होगा, जिसके पास वैध पहचान पत्र है। 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को आधी राशि देकर कुछ लागत बचा सकते हैं, लेकिन आसानी के लिए इस लेख में यही राशि रखते हैं। ये प्रोत्साहन वाउचर डिजिटल या भौतिक (जैसे वैधता खत्म होने की तारीख वाले विशेष नोट) हो सकते हैं। ध्यान रहे, यह हर भारतीय को देने होंगे क्योंकि इसका हिसाब लगाना मुश्किल और समय की बर्बादी होगा कि इन पैसों की किसे ज्यादा जरूरत है। स्वाभाविक है कि संपन्न लोग इन वाउचर्स को छोड़ सकते हैं या किसी जरूरतमंद को दे सकते हैं। वाउचर्स की वैधता खत्म होने की अवधि (एक्सपायरी डेट) होगी (मान लीजिए 12 महीने) और दो हिस्सों में बंटे होंगे। आधा पैसा यात्रा, पर्यटन, होटल, रेस्त्रां या अन्य हॉस्पिटैलिटी या सेवा आधारित व्यापार में खर्च करने होंगे। बाकी राशि किराना, उपकरणों, कपड़ों या खाद्य सामग्री पर खर्च करनी होगी। इन वाउचर्स का विनियम या आदान-प्रदान कर सकेंगे। यानी इनके बदले नगद ले सकते हैं, हालांकि वाउचर्स पर एक्सपायरी डेट का मतलब होगा कि उनके साथ नगद की तुलना में कुछ छूट भी होगी। लोगों को वाउचर्स के मर्जी से उपयोग की आजादी देने से निगरानी के सिरदर्द से बच सकेंगे।

यह लोगों के हाथ में पैसे की तरह ही है, जिसे वह व्यक्ति भी खर्च करेगा, जिसे वे वाउचर देंगे। जब यह पैसा अर्थव्यवस्था में वापस आ जाएगा, इससे लगभग सभी सेक्टर्स में तेजी आएगी। नौकरियां वापस आएंगी। स्वाभाविक है कि यह लोगों के लिए भी मजेदार होगा क्योंकि उनके हाथों में मुक्त पैसा होगा, जिसे वे खर्च कर सकते हैं। तो फिर समस्या क्या है? बेशक बड़ा सवाल यह है कि क्या हम इसका वहन कर सकते हैं? आइए आंकड़े देखते हैं। तो 140 करोड़ लोगों के लिए एक बार 5000 रुपये देने की लागत 7 लाख करोड़ रुपये आएगी। यह बड़ी राशि है। हालांकि, इसे देने के लिए सरकार एक 30 साल की लंबी अवधि वाला बांड जारी करेगी, जो 7 फीसद प्रतिवर्ष की दर से करमुक्त याज देगा। भारत में कई अमीर लोग हैं, जो ऐसा रिटर्न चाहेंगे और इसीलिए इस सुरक्षित और अच्छा रिटर्न देने वाले बॉन्ड में निवेश करेंगे। 30 वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था इतनी बढ़ जाएगी कि 7 लाख करोड़ रुपये का मूल बहुत बड़ा नहीं रहेगा और इसे आसानी से चुकाया जा सकेगा।

वहीं, 7 लाख करोड़ रुपये पर 7 फीसद की दर से इस बांड की फाइनेंसिंग कॉस्ट करीब 0.5 करोड़/प्रतिवर्ष आएगी। हां, यह अभी भी बड़ी राशि है और हां, हम अभी खर्च करने के लिए उधार ले रहे हैं, लेकिन अर्थव्यवस्था को गति देने (और इससे मिलने वाले उच्च कर राजस्व) के संदर्भ में मिलने वाला रिटर्न लागत से कहीं ज्यादा होगा। ध्यान रहे कि इन प्रोत्साहन वाउचर्स पर भी सरकार जीएसटी लेगी। इससे ही पहले कुछ वर्षों का याज देने की राशि जुट जाएगी। सरकार उद्योगों के लिए पहले ही विभिन्न प्रोत्साहन पैकेजों की घोषणा कर चुकी है। हालांकि, अब उसे घरेलू मांग को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। लंबी अवधि के बॉन्ड से विा पोषित होने वाला, एक बार का प्रोत्साहन वाउचर कार्यक्रम भारत की अर्थव्यवस्था की 2021 में गरजती हुई वापसी के लिए बड़ा कदम हो सकता है। और उससे वाकई में हमारा नया साल खुशनुमा हो जाएगा।

चेतन भगत
(लेखक अंग्रेजी के उपन्यासकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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