साध्वी के विवादित बोल

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मालेगांव बम विस्फोट की आरोपी और भोपाल से भाजपा उम्मदवार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने विवादित बयान देकर भाजपा को फिर शर्मसाार कर दिया। उनके मुताबिक महात्मा गांधी को गोली मारने वाले नाथूराम गोडसे देशभक्त थे। इसी तरह उन्होंने पहले भी शहीद हेमंत करकरे के बारे में आपत्तिजनक बातें कही थीं। उस पर बड़ा राजनीतिक विवाद हुआ थाए बाद में साध्वी को पार्टी के दबाव में माफी मांगनी पड़ी थी। इस बार फिर उन्होंने पार्टी के ही दबाव में अपने बायान को लेकर माफी मांगी है। वैसे उनके बयान के बारे में चुनाव आयोग ने पूरी रिपोर्ट तलब की है। साध्वी को चुनाव में खड़ा करने के पीछे पार्टी की सोच यह थी कि कांग्रेस के दिग्गज दिग्विजय सिंह की राह आसान नहीं रहेगी। इसके अलावा पार्टी, कांग्रेस के भगवा आतंकवाद की कथित वास्तविकता पर सियासी विमर्श खड़ा करके एक तरह से धु्रवीकरण का इरादा रखती थी।

इस लिहाज से बरसों जेल में अमानवीय स्थितियों का शिकार हुई प्रज्ञा ठाकुर से भला बेहतर चेहरा कौन होता। यही सोचकर शिवराज सिंह चौहान और उमा भारती के नामों पर साध्वी की उम्मीदवारी को प्राथमिकता दी गई। पर एक के बाद एक जिस तरह साध्वी के विवादास्पद बयान सामने आये हैं, उससे भाजपा की मंशा को चोट पहुंची है। दरअसल साध्वी सियासी मैदान में बिल्कुल नई हैं। उन्हें नहीं पता कि उनके बयानों का सियासी मतलब कितना बड़ा हो सकता है। शायद उन्हें यह भी नहीं पता कि सत्ता में आने के बाद कई विषयों पर पार्टी की राय आम राय से विलग नहीं हो सकती। यह सच है कि बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे को लेकर पार्टी के भीतर भी निजी दायरे में एक तरह की सहानुभूतिक समझ है, जिसकी वजह से समानांतर धड़े तपाक से वही कह बैठते हैं, जो सार्वजनिक तौर पर कहने से एक बड़ा विवाद पैदा हो सकता है।

संघ और भाजपा के भीतर की यह दुविधा अन्य सियासी दलों को निशाना साधने का मौका भी देती है। तभी तो भाजपा विरोधी दल खासतौर पर कांग्रेस जब-तब संघ-भाजपा पर बापू के असमय निर्वाण को लेकर हमलावर होती रही है। राहुल गांधी भी तो इसी धारणा के तहत संघ पर बापू की हत्या में हाथ होने का आरोप लगा बैठे थे। हालांकि बाद में उन्हें कोर्ट में अपने बयान को लेकर माफी मांगनी पड़ी। यह सच है कि सिर्फ धारणा के आधार पर किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंचा जा सकता। लेकिन बैठक खाने में तो चर्चा चलती ही रहती है। साध्वी का बयान भी उसी बैठक खाने की देन है जिस पर सियासी घमासान मचना स्वाभाविक था। अभिनेता कमल हासन ने पिछले दिनों कहा था कि आजाद भारत में नाथूराम गोडसे पहले हिंदू आतंकी थे। इसी सन्दर्भ में एक सवाल के जवाब में साध्वी ने वहीं कहा जिस सोच से उनकी परवरिश हुई है।

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